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भारत में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां

आपका स्वास्थ्य आपकी सबसे मूल्यवान संपत्ति होती है, इसलिए आपको इसे नुकसान से बचाने के लिए पर्याप्त कदम उठाने चाहिए। फिर भी, बीमारियां या दुर्घटनाएं आम होती हैं और इनकी वजह से आपको कभी भी आपातकालीन हालात का सामना करना पड़ सकता है।

भारत में स्वास्थ्य सेवा की वर्तमान स्थिति और खर्च को देखते हुए, अस्पताल में इस तरह के अनियोजित दौरे आपको वित्तीय परेशानी में डाल सकते हैं।

शुक्र है कि अपने स्वास्थ्य को हेल्थ इंश्योरेंस से कवर रखने वाले लोगों को इस तरह के अनियोजित खर्च उठाने की जरूरत नहीं पड़ती।

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लोगों को अस्पताल में भर्ती होने के शुल्क के साथ-साथ, उनके इलाज का खर्च उठाने में मदद कर सकती है। कुछ मामलों में, नेटवर्क अस्पतालों और क्लीनिकों से मेडिकल केयर लेते समय, पॉलिसी धारक को अपनी जेब से एक भी पैसा खर्च करने की ज़रूरत नहीं पड़ती।

हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के अतिरिक्त फ़ायदों में अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद के खर्च कवर, डेकेयर खर्चों का रिइंबर्समेंट और आकर्षक सालाना फ़ायदे शामिल हैं।

भारत में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की सूची

कंपनी का नाम स्थापना का साल हेड क्वार्टर की जगह
नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 1906 कोलकाता
गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड 2016 बेंगलुरु
बजाज अलिआंज़ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2001 पुणे
चोलामंडलम एमएस जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड 2001 चेन्नई
भारती एक्सा जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2008 मुंबई
एचडीएफ़सी एर्गो इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2002 मुंबई
फ्यूचर जनराली इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2007 मुंबई
द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 1919 मुंबई
इफ़्को टोक्यो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2000 गुरुग्राम
रिलाएंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2000 मुंबई
रॉयल सुंदरम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2001 चेन्नई
द ओरिएंट इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 1947 नई दिल्ली
टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2001 मुंबई
एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2009 मुंबई
ऐको जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड 2016 मुंबई
नवी जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड 2016 मुंबई
ज़ूनो जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड (पहले एडलवेस जनरल इंश्योरेंस के नाम से जानी जाने वाली) 2016 मुंबई
आईसीआईसीआई लॉम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2001 मुंबई
कोटक महिंद्रा जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2015 मुंबई
लिबर्टी जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड 2013 मुंबई
मैगमा एचडीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2009 कोलकाता
रहेजा क्यूबीई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2007 मुंबई
रहेजा क्यूबीई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2007 मुंबई
श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2006 जयपुर
यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 1938 चेन्नई
मनिपाल सिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2014 मुंबई
आदित्य बिरला इंश्योरेंस लिमिटेड 2015 मुंबई
स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड 2006 चेन्नई
मैक्स बूपा इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2008 नई दिल्ली
केयर हेल्थ इंश्योरेंस लिमिटेड 2012 गुड़गांव
यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड 2007 मुंबई
अब जब आपने हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की सूची देख ली है, तो अब इंश्योरेंस कंपनी, इंश्योरेंस ब्रोकर और इंश्योरेंस एग्रीवेटर के बीच अंतर जानना भी जरूरी है।

इंश्योरेंस कंपनी बनाम इंश्योरेंस एग्रीगेटर बनाम इंश्योरेंस ब्रोकर

इंश्योरेंस कंपनी, ब्रोकर और एग्रीगेटर के बीच अंतर समझें।

इंश्योरेंस कंपनी एग्रीगेटर ब्रोकर
इंश्योरेंस कंपनियां इंश्योरेंस उत्पाद बनाने और उन्हें ग्राहकों को बेचने वाली कारोबारी इकाई होती हैं। एग्रीगेटर थर्ड पार्टी संस्थाएं हैं जो संभावित ग्राहकों के लिए तुलना करने के लिए प्रासंगिक डेटा के साथ-साथ सभी उपलब्ध इंश्योरेंस विकल्पों को सूचीबद्ध करती हैं। ब्रोकर एक बीमा कंपनी और उसके ग्राहकों के बीच पार्टियों की मध्यस्थता करते हैं।
भूमिका - ग्राहकों के लिए अलग-अलग इंश्योरेंस उत्पादों का बनाना और इन उत्पादों को खरीदने वाले व्यक्तियों को पर्याप्त वित्तीय मदद देना। भूमिका - संभावित इंश्योरेंस खरीदारों को अलग-अलग उपलब्ध प्लान की तुलना करने के लिए एक मंच देना, ताकि वे सबसे उपयुक्त विकल्प चुन सकें। भूमिका - कमीशन कमाने के लिए इंश्योरेंस कंपनी की ओर से ग्राहकों को या बाजार में इंश्योरेंस उत्पाद बेचना।
नियुक्त किया गया – किसी ने नहीं एग्रीगेटर तीसरे पक्ष हैं जिनका बाजार में सक्रिय किसी भी इंश्योरेंस कंपनी से कोई संबंध नहीं है। ब्रोकर को अक्सर इंश्योरेंस कंपनी नियुक्त करती है। वैकल्पिक रूप से, वे कमीशन प्रोग्राम के जरिए ऐसी कंपनियों से जुड़े हो सकते हैं।
एक इंश्योरेंस कंपनी अपने पॉलिसी होल्डर के सभी वैध क्लेम को निपटाने के लिए जिम्मेदार होती है। कोई नहीं कोई नहीं
चुनाव के इतने सारे विकल्प होने की वजह से सही हेल्थ इंश्योरेंस प्लान चुनना तनावपूर्ण लग सकता है। सौभाग्य से, हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय आपको कुछ खास कारकों को ध्यान में रखना चाहिए।

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी चुनने से पहले इन चीज़ों को देख लेना चाहिए

अगर आप नीचे बताई गई बातों को ध्यान में रखते हैं, तो आप संभवतः पर्याप्त वित्तीय कवरेज देने वाला हेल्थ इंश्योरेंस प्लान खरीदेंगे।

  • ब्रांड की प्रतिष्ठा - मेडिकल आपात स्थिति के दौरान आपको अपनी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी पर भरोसा करने में सक्षम होना चाहिए। इसलिए, किसी कंपनी को अपनी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के तौर पर चुनने से पहले सोशल मीडिया और दूसरी जगहों पर ऑनलाइन रेटिंग की जांच करना एक जरूरी हिस्सा है। नकारात्मक टिप्पणियों या समस्याओं पर ध्यान दें, जिसका सामना कंपनी के मौजूदा ग्राहकों को अपने उत्पादों या सेवाओं के साथ करना पड़ा।

  • आईआरडीएआई से स्वीकृति जरूरी - भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण एक सरकारी संस्था है, जो भारत में इंश्योरेंस कंपनियों के नियमन के लिए जिम्मेदार है। इसके तहत पंजीकृत कंपनियों को अपनी गतिविधियों में पर्याप्त पारदर्शिता बनाए रखते हुए इसके दिशानिर्देशों का पालन करना होता है। इसलिए, अपने या अपने परिवार के लिए हेल्थ इंश्योरेंस का फ़ायदा लेते समय ऐसी आईआरडीएआई से स्वीकृत कंपनियों से जुड़े रहना हमेशा बुद्धिमानी है।

  • क्लेम निपटारे का ट्रैक रिकॉर्ड – हो सकता है कि मेडिकल आपात स्थिति के दौरान आपके पास इलाज के लिए धन की व्यवस्था करने के लिए बहुत कम गुंजाइश या समय हो। ऐसे समय में, आपको एक ऐसी इंश्योरेंस कंपनी की जरूरत होती है जो क्लेम के आवेदनों को जल्दी मंजूर करे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जरूरी वित्तीय मदद मिले और उचित देखभाल में देरी न हो। अपनी इंश्योरेंस कंपनी चुनने से पहले, उसके क्लेम निपटारे का अनुपात देखें। इससे आपको कंपनी को मिले क्लेम में से निपटाए गए क्लेम के प्रतिशत के बारे में सही समझ मिलेगी। कहने की जरूरत नहीं है कि ज्यादा अनुपात अच्छा होता है।

  • नेटवर्क अस्पताल – पॉलिसी होल्डर इंश्योरेंस कंपनी के नेटवर्क अस्पतालों और क्लीनिकों में कैशलेस इलाज की सुविधा ले सकते हैं। इन मामलों में, किसी को वित्तीय मुआवजा पाने के लिए इंश्योरेंस क्लेम करने या रिइंबर्समेंट प्रक्रिया की जरूरत नहीं होती है। इसके बजाय, मिले हुए मेडिकल बिलों का निपटारा सीधे इंश्योरेंस कंपनी और अस्पताल के बीच किया जाता है। ज्यादा से ज्यादा नेटवर्क आउटलेट वाली कंपनियों की तलाश करें, ताकि आप हर बार कैशलेस इलाज का फ़ायदा ले सकें।

  • परेशानी मुक्त क्लेम प्रक्रिया - क्लेम करने की जटिल प्रक्रिया आपको आपात स्थिति के दौरान औपचारिकताओं में उलझा सकती है। किसी मेडिकल आपात की स्थिति में आप वित्तीय मदद पाने के लिए कागजी कार्रवाई के ढेर को भरने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं। इसलिए, अपनी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी चुनने से पहले हमेशा सुनिश्चित करें कि कंपनी एक सरल और परेशानी मुक्त क्लेम प्रक्रिया का पालन करती है, जो कि समय लेने वाली या भ्रमित करने वाली नहीं है।

  • हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम – आप मेडिकल कवरेज के लिए जिस राशि का भुगतान करते हैं, प्लान खरीदने से पहले उस पर विचार करना एक और महत्वपूर्ण कारक है। लेकिन, सिर्फ कीमत पर न जाएं। इसके बजाय, पैसे के मुताबिक विशेषताओं वाली पॉलिसी की तलाश करें। पॉलिसी में मिलने और न मिलने वाले फ़ायदों के बारे में विचार करते हुए कीमतों की तुलना करें। ऐसा करने से आपको मेडिकल आपात के दौरान वित्तीय सुरक्षा से समझौता किए बिना एक किफायती प्लान चुनने में मदद मिलेगी।

संभावित हेल्थ इंश्योरेंस खरीदार के लिए शायद सबसे महत्वपूर्ण सलाह यह है कि ऐसी पॉलिसी सीधे इंश्योरेंस कंपनी से ही खरीदें।

कई लोग मेडिकल केयर एजेंटों से खरीदना पसंद करते हैं। लेकिन, कंपनी के साथ सीधा लेन-देन हमेशा ज्यादा फ़ायदेमंद होता है।

आइए जानें, क्यों!

हेल्थ इंश्योरेंस सीधे इंश्योरेंस कंपनी से खरीदने के फ़ायदे

ब्रोकर या दूसरे स्रोत से खरीदने के बजाय कंपनी से हेल्थ इंश्योरेंस कवर खरीदने केफ़ायदे नीचे बताए गए हैं:

  • कई विकल्पों में से चुनें – ब्रोकर या एजेंट अक्सर किसी विशेष कंपनी से उपलब्ध सभी हेल्थ इंश्योरेंस उत्पादों के बारे में नहीं बताते। वे आपको महंगे विकल्पों तक सीमित रखने की कोशिश करते हैं क्योंकि वे ऐसे विकल्पों से ज्यादा कमीशन पा सकते हैं। इंश्योरेंस कंपनी से सीधे खरीदने से ऐसी सीमाओं से बचा जा सकता है।

  • प्लान को अपनी जरूरतों के मुताबिक कास्टमाइज़ करना - इंश्योरेंस कंपनियां अपने पॉलिसी होल्डर को कई तरह के कास्टमाइज़ के विकल्प देती हैं, जिनका इस्तेमाल करके आप अपनी खास जरूरतों के मुताबिक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में सुधार कर सकते हैं। प्लान बेचने वाला कोई ब्रोकर ऐसे कास्टमाइज़ेशन के बारे में नहीं बता सकता, जिसकी वजह से आप बेसिक पॉलिसी चुन लें।

  • बिना कमीशन के भुगतान - एजेंट या ब्रोकर आपके और मेडिकल कवरेज देने वाली कंपनी के बीच मध्यस्थ पार्टियों के रूप में काम करते हैं। जब आप ऐसे ब्रोकर से खरीदने का निर्णय लेते हैं, तो आप अपनी पॉलिसी प्रीमियम के हिस्से के रूप में एक अतिरिक्त शुल्क का भुगतान कर रहे होते हैं, जो कि इस एजेंट को कमीशन के तौर पर चला जाता है। अच्छी बात यह है कि जब आप इंश्योरेंस कंपनी से सीधे लेते हैं तो ऐसा कोई शुल्क जरूरी नहीं होता।

  • अलग-अलग उत्पादों की तुलना करें - ब्रोकर शायद ही आपको आपके सभी विकल्पों को देखने का मौका देंगे। इसके उलट, वे आपको अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के लिए जल्दी करेंगे। जब आप सीधे कंपनियों से संपर्क करते हैं, तो आप अपने लिए उपलब्ध अलग-अलग प्लान की तुलना और शोध करने के लिए समय ले सकते हैं। सोच-समझकर चुनने के बाद ही आपको पॉलिसी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करना होता है।

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी जीवन और मौत के बीच का अंतर साबित हो सकती है। इसलिए, इस तरह के कवरेज से जुड़े फैसलों को हल्के में न लें।

यह समझने के लिए कि इसमें क्या शामिल है और क्या नहीं, अपने पॉलिसी दस्तावेज़ों में सभी नियम और शर्तें पढ़ें। ऐसा करने से आपको लंबी अवधि में इसके ज्यादा फ़ायदे लेने में मदद मिलेगी।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने का सही समय कब होता है?

युवा लोगों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्लान सस्ते होते हैं और उम्रदराज लोगों के लिए महंगा। इसलिए, अपने 20 या 30 के दशक में कोई एक पॉलिसी चुनना एक समझदारी भरा फैसला होता है। किफ़ायती कवरेज के अलावा, आप किसी मेडिकल आपात के दौरान आर्थिक फ़ायदा भी ले  सकते हैं।

मेडिकल कवर खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

एक प्रतिष्ठित इंश्योरेंस कंपनी हमेशा तेज और कुशल क्लेम का निपटारा करती है, जिससे पॉलिसी होल्डर को गुणवत्तापूर्ण मेडिकल देखभाल पाने में मदद मिले। इसके अलावा, आपको क्लेम करने की प्रक्रिया के बारे में भी सोचना चाहिए। कुछ कंपनियां आपको मोबाइल ऐप्लिकेशन के जरिए इंश्योरेंस क्लेम करने की अनुमति देती हैं। इस तरह की डिजिटल प्रक्रियाओं को समझना और जरूरत पड़ने पर पूरा करना आसान होता है।

बीमा कंपनियों का चुनते करते समय आईआरडीएआई की मंजूरी क्यों महत्वपूर्ण है?

आईआरडीएआई केंद्र सरकार की एक संस्था है जो पूरी तरह से भारत में इंश्योरेंस क्षेत्र के विकास और नियमन के लिए जिम्मेदार है। आईआरडीएआई के तहत पंजीकृत कंपनियों को कुछ दिशानिर्देशों और नियमों का पालन करना होता, जो पॉलिसी होल्डर के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करते हैं। दूसरी कंपनियां इन नियमों से बंधी नहीं हैं, जो बाद में ग्राहकों के लिए जटिलताएं पैदा कर सकती हैं।

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी सीधे इंश्योरेंस कंपनी से खरीदने पर सस्ती क्यों होती है?

जब आप किसी एजेंट से खरीदते हैं तो हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ज्यादा महंगी होती हैं, लेकिन कंपनी से सीधे खरीदते समय लागत मामूली रूप से कम होती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि एजेंट ग्राहक को बेची जाने वाली हर पॉलिसी पर एक निश्चित कमीशन लेते हैं।

यह अतिरिक्त शुल्क बढ़े हुए प्रीमियम के रूप में पॉलिसी होल्डर की जेब से जाता है। जब आप किसी इंश्योरेंस कंपनी से सीधे संपर्क करते हैं, तो आपको ये कमीशन राशि देने की जरूरत नहीं होती है, जिससे आपका दिया जाने वाला प्रीमियम कम हो जाता है।