1. हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी एक दूसरे से भिन्न होती हैं: और इसलिए प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन के संबंध में इनके नियम और शर्तें भी भिन्न होती हैं। आपको अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर किए गए वेटिंग पीरियड और PED की लिस्ट को हमेशा जांच-परख लेना चाहिए।
2. सभी बीमारियों या डॉक्टर के पास जाने को प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन नहीं माना जाता है। इंश्योरेंस करने वाली कंपनी केवल उन मेडिकल कंडीशन और बीमारियों को प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन मानती हैं जो व्यक्ति की सेहत पर लंबे समय से असर डालती रही है। अन्य छोटी-मोटी बीमारियां जैसे कफ, सर्दी, बुखार आदि, और इनके साइड इफेक्ट किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य को निर्धारित नहीं करते हैं।
3. प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन को छुपाने की सोच कभी सही नहीं होती: हम अक्सर ये सोचते हैं कि हमें प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन जैसी असलियत छुपा लेनी चाहिए जिससे हेल्थ इंश्योरेंस लेने में अड़चन ना आए। जबकि, इसका उल्टा असर हो सकता है, क्योंकि अगर आप PED छुपा के हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हैं, और बाद में आपके PED का पता चलता है, तो आपका क्लेम खारिज हो सकता है। इसलिए, बेहतर यही होगा कि आप शुरू में ही PED का ब्यौरा दे दें।
4. आप प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन के लिए कवर पा सकते हैं: हम अक्सर ये गलत सोचते हैं कि PED कवर नहीं हो सकती। जबकि, बहुत सी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां “वैवर ऑफ़ प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन” बेनेफ़िट ऑफर करती हैं जिसमें PED और इससे जुड़े खर्चों का कवरेज होता है।
5. वैवर ऑफ़ प्री-एग्जिस्टिंग डिज़ीज़ का एक वेटिंग पीरियड होता है: PED कवर करने वाली हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए, इंश्योरेंस कंपनी अक्सर 2 साल का वेटिंग पीरियड रखती हैं। इसलिए, आपको जल्द से जल्द हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी शुरू कर देनी चाहिए।
6. अगर आपको कोई प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन है, तो हेल्थ इंश्योरेंस देने वाली कंपनी आपके क्लेम को खारिज कर सकती है। लेकिन अगर आपने PED कवर वैवर को लिया है, तो आपकी प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन भी पॉलिसी में कवर हो जाएगी। अधिकतर इंश्योरेंस देने वाली कंपनियां प्री-एग्जिस्टिंग कंडीशन के लिए 2-4 साल का वेटिंग पीरियड रखती हैं। इसका मतलब है कि इंश्योरेंस देने वाली कंपनी द्वारा आपके PED कवर को शुरू करने तक आपको वेटिंग पीरियड तक का लंबा इंतजार करना होगा!