1. इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस
इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी, जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, व्यक्ति के इलाज के ख़र्च को कवर करती है। यह कवर आपके लिए, आपके माता-पिता सहित आपके जीवनसाथी और बच्चों के लिए लिया जा सकता है।
इस प्लान के तहत, परिवार के हर एक सदस्य को एक इंडिविजुअल सम इंश्योर्ड मिलता है। उदाहरण के लिए; अगर आपका सम इंश्योर्ड ₹10 लाख है, तो परिवार का हर एक सदस्य उस पॉलिसी पीरियड में ₹10 लाख तक सम इंश्योर्ड इस्तेमाल कर सकता है, मतलब अगर आप तीन सदस्यों के लिए इंडिविजुअल प्लान खरीद रहे हैं, तो तीनों के लिए सामूहिक सम इंश्योर्ड ₹30 लाख होगा।
इसका मतलब यह है कि अगर आपके परिवार के सभी/एक से ज़्यादा सदस्यों को एक ही समय में कुछ हो जाता है, तो हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में दी गई रकम अलग-अलग सम इंश्योर्ड होने के कारण उन सभी को एकसाथ कवर करने के लिए काफ़ी होगी।
2. फ़ैमिली फ़्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस
ऐसे प्लान के तहत, एक ही पॉलिसी में सभी व्यक्तियों के लिए सम इंश्योर्ड अमाउंट मौजूद रहती है। यह पूरा अमाउंट एक व्यक्ति के इलाज पर भी ख़र्च किया जा सकता है, जिसके बाद इस मामले में किसी अन्य मेडिकल इमरजेंसी कंडीशन में किसी भी क्लेम को कवर नहीं किया जाता है।
सीनियर सिटीज़न फ़ैमिली फ़्लोटर प्लान के दायरे में नहीं आते हैं, क्योंकि उनकी मेडिकल संबंधी ज़रूरतें ज़्यादा जटिल होती हैं।
फ़ैमिली फ़्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस के बारे में और ज़्यादा जानें।
3. सीनियर सिटीज़न हेल्थ इंश्योरेंस
सीनियर सिटीज़न के सभी मेडिकल ख़र्चों के हिसाब से, ऐसे प्लान को सिर्फ़ 60 साल से ज़्यादा उम्र के लोग ही ले सकते हैं। ज़्यादा उम्र के कारण होने वाली कई प्रकार की बीमारियों के लिए कॉम्प्रिहेंसिव कवरेज प्रदान किया जाता है।
4. ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस
ऐसे प्लान कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए लेती हैं। इसके प्रीमियम का पेमेंट एम्प्लॉयर ही करता है और इसमें ऐसे प्रोविज़न होते हैं जो सम इंश्योर्ड को फिर से रिफ़िल कर देते हैं। ऐसी ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी कॉस्ट इफ़ेक्टिव होती हैं और एम्प्लॉई रिटेंशन टेक्टिक के रूप में इस्तेमाल की जाती हैं।
साथ ही, आप यह भी याद रखें कि यह इंश्योरेंस कवर सिर्फ़ तब तक उठाया जा सकता है जब तक आप कंपनी में काम करते हैं। अगर आपको नौकरी से निकाल दिया जाता है या आप कंपनी छोड़ देते है तो इस कवर का बेनिफ़िट नहीं उठाया जा सकता है।
5. मेटरनिटी कवर के साथ हेल्थ इंश्योरेंस
प्रेग्नेंसी के दौरान किए गए सभी प्री और पोस्टनेटल ख़र्च मेटरनिटी इंश्योरेंस कवर के तहत आते हैं। नवजात शिशु के पहले तीन महीनों के मेडिकल बिल भी इसमें शामिल होते हैं। हालांकि, ऐसी पॉलिसी दो साल के वेटिंग पीरियड के साथ मिलती हैं।
मेटरनिटी इंश्योरेंस के बारे में और ज़्यादा जानें।
6. टॉप-अप हेल्थ इंश्योरेंस
कई बार, हेल्थ इंश्योरेंस कवर लेते समय आपके इलाज का अनुमानित ख़र्च समय के साथ बढ़ सकता है, और आपकी सम इंश्योर्ड नहीं बदलती है।
ऐसी कंडीशन में, आप अलग पॉलिसी खरीदने के बजाय, अपने मौजूदा कवर को टॉप-अप करवा सकते हैं। यह टॉप-अप पॉलिसी पूरे सम इंश्योर्ड को बढ़ाने में मदद करती हैं जिसका इस्तेमाल आप किसी भी इमरजेंसी में कर सकते हैं।
लेकिन टॉप-अप का बेनिफ़िट उठाने के लिए, आपको सबसे पहले डिडक्टिबल अमाउंट को चुनना होता है। उदाहरण के लिए, अगर आप ₹3 लाख का टॉप-अप प्लान लेते हैं तो ₹50,000 का डिडक्टिबल अमाउंट चुनना होगा।
फिर, क्लेम के समय, आपको पहले ₹50,000 का डिडक्टिबल अमाउंट अपनी जेब से देना होगा । एक बार ₹50,000 का डिडक्टिबल अमाउंट ख़त्म होने के बाद, इंश्योरेंस प्रोवाइड करने वाली कंपनी बाकी के ₹3 लाख तक का ख़र्च उठाएगी।
ये हेल्थ इंश्योरेंस प्लान उन सभी स्वास्थ्य देखभाल ख़र्चों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं जिसकी ज़रूरत व्यक्ति को अपने जीवन में पड़ सकती है। यह लाइफ़ इंश्योरेंस प्लान से काफ़ी अलग है, क्योंकि लाइफ़ इंश्योरेंस प्लान इंश्योरेंस किए गए व्यक्ति के जीवन या मौत के आधार पर फ़ाइनेंशियल कवरेज देता है।
भारत में हेल्थ इंश्योरेंस के प्रकारों के बारे में विस्तार से जानें