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ऐरोप्लेन्स में किस फ्यूल का इस्तेमाल किया जाता है? इसके विभिन्न प्रकार और मूल्य

क्या आपने कभी सोचा हैं की ऐरोप्लेन्स में किस फ्यूल का इस्तेमाल किया जाता है? एक छोटे से जेट प्लेन से लेकर विशाल एयरबस में, सभी प्रकार के ऐरोप्लेन्स को ऑपरेट करने में एविएशन फ्यूल की आवश्यकता पड़ती है। 

देखा जाए तो बाज़ार में एविएशन फ्यूल के कई प्रकार उपलब्ध हैं, लेकिन ज्यादातर कम्पनीज़ केरोसिनका इस्तेमाल करना अधिक पसंद करती हैं। 

क्या आप इसके पीछे का कारण जानना चाहते हैं?

इस विषय से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी को प्राप्त करने के लिए इस आर्टिकल को स्क्रॉल करें और संहजें की ऐरोप्लेन्स में किस तरह का फ्यूल इस्तेमाल होता है और क्यों?

ऐरोप्लेन्स में इस्तेमाल होने वाले फ्यूल के बारे में अन्य जानकारी

ऐरोप्लेन्स को ऑपरेट करने के लिए एविएशन फ्यूल की जरूरत पड़ती हैं। पेट्रोलियम और सिंथेटिक फ्यूल ब्लेंड्स के साथ मिलाकर एयरोप्लेन का फ्यूल तैयार किया जाता है। 

एरोप्लेनस में इस्तेमाल होने वाले एविएशन फ्यूल मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं - जिन्हे हम जेट फ्यूल और AVGAS के नाम से जानते हैं। 

आम तौर पर, गैस टर्बाइन और डीजल आधारित एयरक्राफ्ट केरोसिन को फ्यूल के रूप में उपयोग में लेते हैं, जो एयरक्राफ्ट के बेहतर प्रदर्शन और संचालन में मदद करता है। इस प्रकार के एयरक्राफ्ट, मुख्य रूप से प्रोपेल्लेर्स के रोटेशन की सहायता से उड़ते हैं, जो एक थ्रस्ट को उत्पन्न करते हैं।

जबकि वह एयरक्राफ्ट जो पिस्टन से ऑपरेट होते हैं, उनमे AVGAS अथवा एविएशन गैसोलीन फ्यूल का इस्तेमाल मुख्य रूप से किया जाता। इस प्रकार के एयरक्राफ्ट, प्रोपेल्लेर्स के रोटेशन की मदद से उड़ते हैं, जो एक थ्रस्ट भी उत्पन्न करते हैं।

चलिए अब विस्तार से समझते है किस प्रकार का फ्यूल, एयरक्राफ्ट में इस्तेमाल किया जाता है और यह कितने प्रकार के होते हैं 

एयरक्राफ्ट फ्यूल के कौन कौन से विभिन्न प्रकार हैं?

दुनिया भर में कई प्रकार के फ्यूल के वैरिएंट्स आपको देखने को मिल जाएंगे। लेकिन प्राइवेट जेट प्लेन, कमर्शियल ऐरोप्लेन्स और सामान्य एविएशन एयरक्राफ्ट ज्यादातर दो प्रकार के एयरक्राफ्ट फ्यूल इस्तेमाल करते हैं: जेट फ्यूल और AVGAS 

1. जेट फ्यूल अथवा केरोसिन

जेट फ्यूल,रिफाइंड केरोसिन बेस्ड एक ऐसा फ्यूल हैं जिसे टरबाइन इंजन, टर्बोप्रॉप और जेट इंजन वाले ऐरोप्लेन्स में व्यापक रूप से इस्तेमाल होता हैं।

जेट फ्यूल मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं: जिन्हे हम जेट A एंड जेट A1 के नाम से जानते हैं। 

इन दोनों वैरिएंट्स के बीच एक मामूली सा उत्पादन अंतर हैं। ये दोनों ही वैरिएंट्स, टरबाइन- इंजन को ऑपरेट करने के लिए इंटरचेंजेबली इस्तेमाल किये जा सकते हैं। 

दोनों के बीच मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं- 

  • फ्रीजिंग पॉइंट - आमतौर पर जेट A1 ,-47 ° पर फ्रीज़ होता है, जबकि जेट A का फ्रीजिंग पॉइंट - 40°C हैं। जेट A1 को लम्बी अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट्स के लिए बेहतर माना जाता है। यह पोलर रुट्स के फ्लाइट्स के लिए एक बेहतर विकल्प भी माना जाता है। 
  • एडिटिव्स - जेट A1 में ज्यादातर एडिटिव्स होते हैं जो स्टैटिक डिसिपेटर्स होते हैं. यह स्टैटिक चार्ज को कम करने में मदद करता है , जो जेट फ्यूल मूवमेंट से उत्पन्न होती हैं. इसके मुकाबले, जेट A में स्टैटिक डिसिपेटर्स एडिटिव्स शामिल नहीं होते हैं. 
  • उपयोग - जेट A अमेरिका में प्रचलित है, जबकि जेट A1 यूनिवर्सल है या पूरे विश्व में इसका उपयोग किया जाता है।

2. AVGAS

यदि आप सोच रहे हैं कि जेट एरोप्लेन में किस फ्यूल का इस्तेमाल किया जाता है, तो इसका जवाब है AVGAS. एविएशन गैसोलीन या AVGAS, एविएशन फ्यूल का वह वैरिएंट हैं जो छोटे पिस्टन के इंजन वाले एयरप्लेन को पावर देकर उन्हें उड़ने में मदद करता है। 

आमतौर पर फ्लाइट ट्रेनिंग जेट्स, फ्लाइंग क्लब्स और प्राइवेट पायलट इन एरोप्लेन को ऑपरेट करते हैं। 

AVGAS में टेट्रा इथाइल लेड एडिटिव भारी मात्रा में पाया जाता है। टेट्राइथेल लीड इंजन के डेटोनेशन या नॉक को रोकने का काम करता है, जिससे इंजन फेल भी हो सकता है।

हालांकि, यह फ्यूल ह्यूमन के साँस लेने या ब्लडस्ट्रीम के माध्यम से अब्सॉर्प्शन के लिए जहरीला होता है। इसलिए इस फ्यूल का उपयोग सावधानी से करने की सलाह दी जाती है।

AVGAS मुख्यतः दो प्रलयर के होते हैं, जिन्हे हम AVGAS 100 और AVGAS 100LL के नाम से जानते हैं। यहाँ 100 ऑक्टेन रेटिंग को दर्शाता है।

ऐरोप्लेन्स में इस्तेमाल होने वाले इस प्रकार के फ्यूल में दिखने वाले मामूली से अंतर निम्नलिखित हैं-

  • टेट्रा इथाइल लेड एडिटिव - AVGAS 100 में लेड की मात्रा अधिक होती है, जबकि AVGAS 100LL में कम मात्रा में टेट्रा एथिल लेड होता है।

  • कलर - AVGAS 100LL में एक आर्टिफिशियल नीला रंग होता है, जबकि AVGAS 100 हरे रंग का होता है।

ऐरोप्लेन्स में किस प्रकार के फ्यूल का उपयोग किया जाता है और उनके अंतर को समझने के साथ ही चलिए अब हम इसकी संरचना के बारे में जानने की कोशिश करते हैं। जिससे आपको इस फ्यूल के निर्माण प्रक्रिया को समझने में सहायता मिलेगी।

एयरप्लेन के फ्यूल में क्या होता हैं?

एरोप्लेन में इस्तेमाल किये जाने वाला जेट फ्यूल का निर्माण मुख्य रूप से क्रूड आयल द्वारा किया जाता है जिसे लिक्विड पेट्रोलियम के नाम से भी जाना जाता है। शेल में पाए जाने वाले कार्बनिक पदार्थ, अर्थात ठोस पेट्रोलियम या केरोजेन जेट फ्यूल के मुख्य स्रोत माने जाते हैं।

मैन्युफैक्चरर्स इन्हें शेल ऑयल में बदलने के लिए गर्मी का उपयोग करते हैं। इस प्रक्रिया से उत्पन्न फ्यूल को शेल फ्यूल का नाम जाता है।

यदि आप खोज रहे हैं कि एरोप्लेन में फ्यूल के रूप में क्या उपयोग किया जाता है - गैस या जेट फ्यूल? तो चलिए अब हम इस विषय पर विस्तृत से दी गयी जानकारी को पढ़कर समझने की कोशिश करते हैं।

एरोप्लेन में गैस के स्थान पर जेट फ्यूल को क्यों इस्तेमाल किया जाता है?

यह एक स्पष्ट तथ्य है कि एरोप्लेन फ्यूम्स से नहीं चल सकते। इसलिए, वे इंजनों को चलाने के लिए एविएशन फ्यूल्स में स्टोर्ड केमिकल एनर्जी का उपयोग करते हैं।

यहाँ हमने निचे आपको कुछ ऐसे कारण बताए हैं जिनकी वजह से जेट फ्यूल या केरोसिन को फ्यूल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है -

  • लो फ्रीजिंग पॉइंट -केरोसिन या जेट फ्यूल का फ्रीजिंग पॉइंट बेहद कम होता है, जिससे यह स्वाभाविक रूप से ठंडे तापमान में भी सुरक्षित रहता है। यह खासियत पोलर क्षेत्रों के ऊपर से गुजरने वाली फ्लाइट्स के लिए लाभदायक साबित होती है।

  • लो विस्कोसिटी - जेट फ्यूल में फ्लाइट ऑपरेशन के दौरान विस्कोसिटी कम होती है, इसलिए यह पानी की प्रकृति के जैसी होती है। इसके कम फ्रीजिंग पॉइंट के कारण ही, यह फ्लाइट्स के दौरान कम चिपचिपा और पानीदार रह पाता है। यही कारण है कि एयरक्राफ्ट में जेट फ्यूल का प्रयोग क्यों जाता है।

  • हाई फ्लैश पॉइंट- फ्लैश पॉइंट टेम्परेचर को इंगित करता है जब एक फ्लेम्ब्ले केमिकल इगनाइट होता है और वेपर में बदल जाता है। चूंकि जेट फ्यूल का फ्लैश प्वाइंट काफी अधिक होता है, इसलिए यह फ्लाइट्स के दौरान अधिक पावर को प्राप्त करने के लिए काफी अधिक ऑक्टेन प्रदान करता है।

  • कम खर्चीला - केरोसिन बाकी के फ्यूल की तुलना में काफी सस्ता होता है, जो इसे लागत प्रभावी बनाने का काम करता है।

अब जब आप यह समझ चुके हैं कि एरोप्लेन में इस्तेमाल होने वाले फ्यूल का क्या नाम है, तो चलिए अब हम यह समझने कि कोशिश करते हैं की एक एरोप्लेन को फ्लाइट के लिए कितने फ्यूल की आवश्यकता पड़ती है।

एक एरोप्लेन में कितना फ्यूल खर्च होता है?

फ्यूल की खपत को समझने के लिए, हमें फ्लाइट के आकार, उससे तय की गई दूरी और ऐरोप्लेन्स में किस प्रकार के फ्यूल का उपयोग किया जाता है, इस पर विचार करने की जरुरत पड़ती है।

उदाहरण के लिए, एक एयरबस A321neo दो घंटे में 1200 किलोमीटर की दूरी तय करती है। मान लीजिए कि अगर यह एयरप्लेन 600 किमी प्रति घंटे की औसत गति से हवा में उड़ती है और यदि इसमें एक समय में 192 लोगों के बैठने की क्षमता है; तो यह यह प्रति किलोमीटर लगभग 4.18 लीटर फ्यूल की खपत करेगा।

यह एयरप्लेन 1200 किलोमीटर की पूरी यात्रा में लगभग 5,016 लीटर फ्यूल की खपत करेगा। 

तुलनात्मक रूप से, बोइंग 747 जैसी बड़ी फ्लाइट प्रति सेकंड लगभग 4 लीटर फ्यूल का उपयोग करती है। यह 14,400 लीटर प्रति घंटे और 240 लीटर प्रति मिनट का एस्टीमेट देता है।

चूंकि उड़ान के दौरान बड़ी मात्रा में फ्यूल का उपयोग किया जाता है, इसलिए भारत में फ्यूल की वर्तमान कीमतों के बारे में जानना आवश्यक है।

भारत में एविएशन फ्यूल का वर्त्तमान मूल्य क्या हैं?

आपको यह जानकारी निश्चित रूप से होनी चाहिये की फ्यूल का मूल्य इकोनॉमिक कंडीशन और अन्य संबंधित फैक्टर्स के कारण बदलती है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, स्टेट ओन्ड फ्यूल रिटेलर्स के अधिसूचना नेशनल कैपिटल मूल्य में औसत एविएशन टरबाइन फ्यूल (एटीएफ) की कीमत में ₹3,663 प्रति किलोलीटर की वृद्धि की गई थी। (1 मार्च 2021 को प्रकाशित रिपोर्ट)।

हिंदुस्तान पेट्रोलियम के अनुसार, 1 सितंबर, 2021 से डोमेस्टिक एयरलाइंस के लिए महानगरों में ATF की कीमतें (रुपये/किलोलीटर) से कुछ इस प्रकार है:

महानगरीय शहर मूल्य
कोलकाता ₹70,541.36
चेन्नई ₹68,348.15
दिल्ली ₹66,527.97
मुंबई ₹64,762.40

दी गयी जानकारी आपको विस्तार में यह बताती हैं कि एरोप्लेन में किस प्रकार का फ्यूल इस्तेमाल हुआ है। 

इस विषय में विस्तृत जानकारी होने पर आपको यह जानने में मदद मिलेगी की एक एरोप्लेन किस तरह ऑपरेट करता है और उसे किस प्रकार के फ्यूल की जरूरत पड़ती है? 

अब आप जान चुके है किस प्रकार का फ्यूल ऐरोप्लेन्स में इस्तेमाल होता हैं और इसके कितने प्रकार हैं तो कृपया इसको आने मित्रो से साझा करना न भूले . 

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

82 UL एरोप्लेन का फ्यूल क्या है?

82 UL अनलेडेड फ्यूल का एक रूप है जिसे यूनाइटेड स्टेट्स वर्तमान में विकसित कर रहा है। यह एक 82 ऑक्टेन लीन मिक्सचर फ्यूल है जिसे आधुनिक गैर-टर्बो एवको लयकोमिंग इंजन ही उपयोग कर सकते हैं।

क्या गैसोलीन एरोप्लेन के फ्यूल के रूप में प्रयोग करने योग्य है?

नहीं, अधिकांश एरोप्लेन गैसोलीन के बजाय एविएशन फ्यूल का प्रयोग करते हैं। चूंकि गैसोलीन का एक हाई फ्रीजिंग पॉइंट होता हैं, इसके साथ ही इसका विस्कॉसिटी और फ्लैशपॉइंट भी कम होते हैं, जिससे इसका उपयोग करना जोखिम भरा हो जाता है।

एविएशन फ्यूल गैसोलीन से एटॉमिक रूप से कैसे भिन्न है?

जेट फ्यूल में 12 से 15 कार्बन एटम्स की रेंज में हाइड्रोकार्बन मौजूद होते हैं। इसके विपरीत, गैसोलीन हाइड्रोकार्बन का निर्माण करता है जिसमें हाइड्रोजन एटम्स के साथ 7 से 11 कार्बन एटम्स होते हैं।