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भारत में अकाल प्रोन क्षेत्र

अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण भारत को प्रतिवर्ष पर्याप्त मात्रा में बारिश प्राप्त होती है। हालांकि, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिस्थितियों ने हाल के बीते कुछ वर्षों में बारिश की इस मात्रा को कम कर दिया है। 

जिसके परिणाम में ग्राउंडवाटर लेवल में भी गिरावट देखने को मिली है, जिससे मिट्टी की नमी और शुष्क परिस्थितियों में कमी आई है। इसके अलावा, डिफॉरेस्टेशन, प्रदूषण आदि जैसी गैर-जिम्मेदार प्रथाओं ने अकाल जैसी प्राकर्तिक आपदा की घटनाओं में वृद्धि की है।

आज के इस लेख में हम भारत के अकाल प्रोन क्षेत्रों के बारे में जानेंगे और साथ ही आवश्यक डिजास्टर मैनेजमेंट के बारे में भी जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करेंगे।

भारत में प्रमुख अकाल प्रोन क्षेत्र कौन-कौन से हैं?

भारत में अकाल-प्रोन जिलों को अगर क्षेत्रफल की दृष्टि से देखें तो हमारे देश का लगभग 1/6 भाग इस क्षेत्र में शामिल है। इन क्षेत्रों में वार्षिक रूप से लगभग 60 सेमी या उससे भी कम की बारिश होती है।

इरीगेशन कमीशन ऑफ़ 1972 ने उस समय लगभग 67 ऐसे भारतीय जिलों की पहचान की थी जो सूखे की चपेट में थे। इन 67 जिलों में आठ भारतीय राज्यों में स्थित 326 तालुका शामिल हैं।

अभी हाल ही के आंकड़ों से यह पता चला है कि भारत के 74% जिले ऐसे हैं जो अत्यधिक सूखे की चपेट में हैं। 35 में से 27 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जोखिम क्षेत्र की श्रेणी में आते हैं। 

इन स्थितियों के लिए हम मनुष्य ही ज़िम्मेदार हैं। उद्धरण के तौर पर अत्यधिक सिंचाई, डिफॉरेस्टेशन, प्रदूषण, और अर्बनाइजेशन इसके प्रमुख कारण हैं। हालाँकि कुछ प्राकृतिक कारण जैसे खराब बारिश, जलवायु परिस्थितियों, उच्च तापमान आदि भी इसी सूची में शामिल हैं। 

यहाँ निचे हमें भारत में सबसे अधिक अकाल प्रोन क्षेत्रों की एक सूची दी है। इससे आप यह पता लगा सकते है की आप रिस्क जोन वाले क्षेत्र में रहते हैं या सेफ जोन में, इसलिए आपको इस बात को ध्यान में रखकर कुछ ज़रूरी एक्शन लेने चाहिए जिससे आप खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकें। 

भारत के हाइड्रोलॉजी और वाटर रिसोर्स इनफार्मेशन सिस्टम के अनुसार, हमारे देश के सबसे अधिक अकाल प्रोन क्षेत्र का के बारे में निचे वाले टेबल में सारी आवश्यक जानकारियां दी गयी हैं। 

राज्य एरिड क्षेत्र (वर्ग km.) सेमी - एरिड क्षेत्र (वर्ग km.)
राजस्थान 196,150 (57.31) 121,020 (35.396)
गुजरात 62,180 (31.72) 90,520 (46.18)
महाराष्ट्र 1,290 (0.42) 189,580 (61.61)
मध्य प्रदेश - 59,470 (13.41)
नोट: यहाँ ब्रैकेट में दी गयी वैल्यू उस राज्य के कुल प्रभावित क्षेत्र के % को दर्शाता है|

सभी को यह पता होना चाहिए कि भारत में जितने भी सूखा प्रभावित राज्य हैं वह मुख्य रूप से हमारे देश के एरिड, सेमी-एरिड और सब- ह्यूमिड वाले क्षेत्रों में स्थित हैं। इन क्षेत्रों में औसत वार्षिक बारिश से कम बारिश होती है। 

वेस्टर्न घाट अत्यधिक अनियमित हैं और 750 मिमी से कम की बारिश को प्रतिवर्ष प्राप्त करता है। चूँकि यह क्षेत्र अत्यधिक आबादी वाला है, इसलिए यहाँ पर सूखे से होने वाली पीड़ा या क्षति बहुत ज्यादा है। अहमदाबाद से कानपुर और कानपुर से जालंधर तक फैले क्षेत्र में कुछ वर्षों के दौरान 750 मिमी या 400 मिमी से भी कम की बारिश को रिकॉर्ड किया गया है।

इन क्षेत्रों के अलावा, भारत में ऐसे और भी कई क्षेत्र हैं जहाँ बारिश न के बराबर होती है, उन क्षेत्रों की सूची को हमने निचे दिया है - 

  • केरल में कोयम्बटूर 

  • उड़ीसा में कालाहांडी 

  • उत्तर प्रदेश में पलामू क्षेत्र और मिर्जापुर पठार में 

  • पश्चिम बंगाल में पुरुलिया 

  • गुजरात में कच्छ और 

  • सौराष्ट्र क्षेत्र तमिलनाडु का तिरुनेलवेली जिला। 

आइए सूखे के प्रभाव से खुद को और अपने परिवार को बचाने के लिए कुछ अच्छे उपायों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं।

भारत में अकाल प्रोन क्षेत्रों में लिए जाने वाले प्रिवेंटिव मेज़र्स

नीचे दिए उपाय भारत देश के अकाल ग्रस्त क्षेत्रों में होने वाले नुकसान को कम कराने में सहायक साबित हो सकते है :-

  • बांध/रिजर्वायर का उचित प्रबंधन एवं स्टोरेज

  • वाटर शेड का प्रबंधन और वाटर रेशनिंग का पालन करना

  • कैटल मैनेजमेंट 

  • ऐसी फालसों का चुनाव करें जो अकाल प्रोन क्षेत्रों में कम से कम पानी में उग जाए

  • सॉइल कंजर्वेशन के तकनीकों का पालन करना

  • फायरवुड के इस्तेमाल को कम से कम करें और अधिक से अधिक पेड़ लगाने की कोशिश करें 

  • जल संरक्षण के लिए वैकल्पिक लैंड मॉडल का उपयोग करें

  • माइग्रेशन को कम कर अन्य लोगों को रोजगार देना

  • लोगों को जल संरक्षण का प्रशिक्षण देना

  • क्रॉपिंग पैटर्न में संशोधन करना और अकाल प्रतिरोधी फसलों का चयन करना

  • बेहतर ग्रेजिंग पैटर्न का प्रशिक्षण देना 

  • अपने क्षेत्र में अधिक झाड़ियों और पेड़ों को लगाना

  • ड्रिप इरीगेशन सिस्टम की शुरुआत करके सरफेस वाटर की रक्षा करें 

  • पशुपालन गतिविधियों के लिए नई तकनीकों का उपयोग करें 

  • रेन वाटर हार्वेस्टिंग के ऊपर गंभीरता से ध्यान दें 

  • पौधों और वनस्पतियों को सींचने के लिए घरेलू इस्तेमाल हए जल का पुन: उपयोग करें 

  • बायोडीजल प्लांटेशन का प्रोडक्शन करें 

  • मानव निर्मित ग्राउंड वाटर का पुनः भरण 

  • पानी को हार्वेस्ट करने के लिए पारंपरिक संरचनाओं जैसे बांधों, नहरों या तालाबों का निर्माण

इन निवारक उपायों के अलावा, लोगों को आपदा का सामना करने के लिए खुद को आर्थिक रूप से भी सुरक्षित रखने की आवश्यकता है।

ऐसे क्षेत्रों में अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए आप लाइफ इंश्योरेंस या अकाल - आधारित इंश्योरेंस का चयन कर एक बुद्धिमान भरा निर्णय ले सकते हैं। कोई भी व्यक्ति अपनी किसी भी महंगी प्रॉपर्टी का इंश्योरेंस कर सकता है और ऐसी आपदाओं के समय अपनी क्षति की पूर्ति के लिए पर्याप्त क्लेम प्राप्त कर सकता है। 

भारत में अकाल प्रोन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए कौन से इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं?

ये कुछ इंश्योरेंस पॉलिसी हैं जिन्हें भारत में सूखे की संभावना वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोग लेने के बारे में सोच सकते हैं। 

क्रॉप इंश्योरेंस

एक व्यक्ति अपनी फसलों का इंश्योरेंस कर सभी प्रकार की प्राकृतिक अकाल जैसी परिस्थितियों में खुद को सभी प्रकार के नुकसान से बचाने के लिए ले सकता है। यह इंश्योरेंस स्कीम फसल की विफलता, कम बारिश और सूखे जैसे अप्रत्याशित खतरों से होने वाले वित्तीय नुकसान को कवर करती है। आप किसी भी सरकारी या निजी प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी से इस इंश्योरेंस स्कीम को ले सकते हैं जो किफ़ायती प्रीमियम के साथ ही आपको पर्याप्त कवरेज प्रदान करने का काम करती है। हालांकि, ऐसे पॉलिसी को खरीदने से पहले आपको इनके टर्म्स ध्यान से पढ़ना चाहिए ताकि आगे चलकर आपको किसी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े।

लाइफ इंश्योरेंस

अकाल प्रवृद्ध क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों को सबसे पहले जीवन इंश्योरेंस का विकल्प चुनना चाहिए। यह एक इंश्योरर और इंश्योर्ड के बीच एक अनुबंध है जो इंश्योर्ड के निधन के बाद उसके परिवार को एकमुश्त राशि का भुगतान करने का वादा करता है। दूसरे शब्दों में, यह पॉलिसी किसी व्यक्ति के जीवन को आर्थिक रूप से सुरक्षित करती है। 

आपको कई इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा प्रदान किये जाने वाली अकाल स्पेसिफिक पॉलिसी को भी देख सकते हैं। ये सभी पॉलिसी कई शर्तों के साथ आते हैं जिन्हें एक एप्लिकेंट को अच्छे से समझने की आवश्यकता होती है। 

अपने लिए किसी एक को चुनने से पहले आपको अलग अलग इंश्योरेंस पॉलिसियों के प्रीमियम की तुलना करनी चाहिए, ताकि आप अपने लिए एक किफायती पूरा कवरेज प्रदान करने वाले इंश्योरेंस प्लान को चुन सकेंगे। 

अब जब आप भारत में अकाल फ़ोन क्षेत्रों के बारे में और सूखे को रोकने के लिए किये जाने वाले उपायों के बारे में समझ चुके हैं, तो आप आप सरकारी अलर्ट पर नजर रखकर और, अधिक नुकसान से बचने के लिए इन तकनीकों को फॉलो करके खुद को जागरूक रखें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या इन निवारक उपायों की सहायता से हम पूरी तरह से सूखे को रोक सकते हैं?

जी नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं है सूखा पड़ना एक प्राकर्तिक आपदा है जो कम या न के बराबर बारिश होने वाले क्षेत्रों में देखने को मिलता है। इसलिए निवारक उपायों से सूखे को पूरी तरह से रोकना मुमकिन नहीं है।

कितने प्रतिशत की बारिश मेटियोरोलॉजिकल अकाल को दर्शाता है?

आदर्श रूप से, यदि 50% से अधिक बारिश की कमी है तो यह मेटियोरोलॉजिकल अकाल को दर्शाता है।

क्या भारत में अकाल-मैनेजमेंट प्रोग्राम हैं?

जी हाँ, भारत सरकार के द्वारा कई अकाल-मैनेजमेंट प्रोग्राम को शुरू किया गया है, जैसे नेशनल वाटरशेड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट फॉर रेनफेड एरिया, नेशनल फ़ूड सिक्योरिटी मिशन, इत्यादि।