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भारत के सुनामी प्रोन क्षेत्रों की सूची

जैसा की अब आप समझ ही चुके हैं की सुनामी समुद्र के पानी की विशाल वेव्स हैं जो समुद्र तल में सिस्मिक वेव्स या भूकंपों के कारण उत्पन्न होते हैं। इस प्राकृतिक आपदा से लोगों के जीवन और प्रॉपर्टी को भी काफी नुकसान पहुँचता है।

इसलिए, यह जरूरी है की हम प्राकृतिक आपदाओं के लिए खुद को तैयार रखे। आपको सरकार और लोकल एडमिनिस्ट्रेशन  के द्वारा दी जाने वाली सुनामी के अलर्ट की जांच करती रहनी चाहिए, इसके साथ ही आपको अपने सभी कीमती सामान का इंश्योरेंस भी आवश्यक रूप से करवाना चाहिए और इसके साथ ही आपको सुरक्षा गाइडलाइन्स का भी निश्चित रूप से पालन करना चाहिए। 

भारत में सूनामी-प्रॉन क्षेत्रों की सूचि के बारे में और अधिक जान्ने के लिए हमारे इस लेख को पूरा पढ़ें और इसके साथ ही हमारे लेख में आपको इस बात की भी जानकारी मिलेगी की सुनामी के कारण किन राज्यों को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ता है। यह आपको आवश्यक डिजास्टर मैनेजमेंट विधियों को समझने में आपकी मदद करेगा। 

सुनामी क्या है?

समुद्री तट के पास या उसके अंदर होने वाली डिस्टर्बेंस और एक्टिविटी के कारण जो गतिविधियों उत्पन्न होती है, जिस कारण समुद्र में बड़ी वेव्स की उत्पत्ति होती है, उसे ही सुनामी का नाम दिया जाता है। भूकंप के कारण समुद्र तल में अचानक होने वाले डिस्प्लेसमेंट के कारण बड़ी सुनामी के  वेव्स का निर्माण होता है।

ये वेव्स ओरीजिन क्षेत्र से बाहर की तरफ निकलती है और तट तक पहुंचने पर बेहद हानिकारक हो जाती है।

सुनामी की वेव्स आमतौर पर पानी की एक दीवार की तरह दिखती है, जो कोस्टलाइन से टकराकर काफी बड़ी क्षति पहुंचा सकती ही, सुनामी के दौरान आमतौर पर हर 5 से 60 मिनट के अंतराल मे समुद्र में सुनामी वेव्स आती रहती हैं।

आपको पता होना चाहिए कि सुनामी में उठने वाली पहली वेव्स सबसे बड़ी नहीं होती। इसके बाद वाली, वेव्स काफी घातक और आकार में भी बड़ी हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि फ्लड के कारण समुद्री तट का पानी पीछे की तरफ जाता है, जो बाद में काफी बड़ी वेव्स के रूप में वापस से समुद्र की तट पर आकर क्षति पहुंचता है। 

चूंकि सुनामी लोगों के जीवन और उनकी प्रॉपर्टिस के लिए काफि घातक साबित हो सकती है, इसलिए जल्द से सुनामी के समय आपको जल्द सावधानी बरतने की अत्यधिक आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, आप भारतीय मानचित्र पर सूनामी प्रभावित क्षेत्रों की सूची नोट कर सकते हैं।

भारत में सुनामी संभावित क्षेत्र कौन से हैं?

सरकार ने ईस्टर्न कोस्ट पर भारत में सुनामी से प्रभावित क्षेत्रों की एक सूची की पहचान की है। इसमे शामिल है -

  • पूरी

  • काकीनाडा 

  • मछलीपटनम

  • निजामपटनम -वेटापेलमैन

  • चेन्नई

  • कुड्डालोर -पांडिचेरी

  • रामेश्वरम

  • तूतूकुड़ी

  • अलाप्पुझा-चावरा

  • कोच्चि

हालाँकि आपको यह भी पता होना चाहिए कि कई जियोग्राफिकल फैक्टर(जो की सुनामी को रोकने मे मदद करते है) की वजह से सुनामी भारत में आम नहीं हैं ,लेकिन फिर भी भारत सुनामी के मामलों में खुद को सुरक्षित रखने योग्य नहीं हैं। 

पिछले रिकॉर्ड से यह पता चलता हैं की भारत में सुनामी प्रभावित क्षेत्र कौन- कौन से है, जिन्होंने सुनामी के कारण काफी भारी संकट को भी झेला है। इन सुनामी के उत्पत्ति मुख्य रूप से इंडियन ओशन में होती है। 

भारत में आज तक सुनामी से कौन-कौन से क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं?

 

भारतीय कोस्टल बेल्ट ने अतीत में कई सुनामी का अनुभव नहीं किया है। हालाँकि, बंगाल की खाड़ी के नॉर्थ के पास भूकंपीय गतिविधियों के कारण इस क्षेत्र में सुनामी की लहरें देखने को मिली थी। 

आज तक भारतीय तट से टकराने वाली सूनामी के डिटेल्स वाली एक टेबल नीचे दी गई है।

घटना तारीख प्रभाव
बंगाल की खाड़ी में भूकंप के कारण आयी सुनामी 12 अप्रैल 1762 1.8 मीटर के सुनामी की वेव्स उत्पन्न हुई थी
कार निकोबार के नीचे 7.8 तीव्रता का भूकंप 31 दिसंबर 1881 भारत के ईस्ट कोस्ट और अंडमान निकोबार को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था
क्राकाटोआ ज्वालामुखी का विस्फोट 27 अगस्त 1883 चेन्नई में 2 मीटर ऊँची सुनामी के वेव्स की सूचना मिली थी।
अंडमान में 8.1 तीव्रता का भूकंप 26 जून 1941 इसके कारण भारत के ईस्टर्न कोस्ट के राज्यों को आपदा का सामना करना पड़ा था ।
मकरान सबडक्शन जोन में भूकंप 27 नवंबर 1945 इस सुनामी के कारण भारत के वेस्टर्न कोस्ट को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था।
भारत में आज तक की रिकॉर्ड हुई सबसे बड़ी टाइडल 26 दिसंबर 2004 चेन्नई सूनामी से होने वाले सबसे बड़े शहरों में से एक था। अकेले भारत में मरने वालों की संख्या 18,000 से ऊपर थी।

2004 में आई सुनामी से बुरी तरह प्रभावित हुए राज्यो के नामों की एक सूची निचे दी गयी है -

  • केरल - एलेप्पी और एर्नाकुलम

  • तमिलनाडु - कुड्डालोर, कांचीपुरम, चेन्नई, कन्याकुमारी, तिरुनेलवेली, थूथुकुडी, विल्लुपुरम, तिरुवरुर, रामनाथपुरम, तंजावुर

  • आंध्र प्रदेश - नेल्लोर, प्रकाशम, गुंटूर। विशाखापट्टनम, ईस्ट और वेस्ट गोदावरी

  • पांडिचेरी

  • ओडिशा

भारत में सुनामी प्रभावित क्षेत्रों की उल्लिखित सूची और प्रभाव इस बात को साबित करते हैं कि इस आपदा से होने वाले नुकसान काफि गंभीर होते। और जैसा की हम सभी को पता है की सुनामी एक प्राकृतिक आपदा है जिससे होने वाले नुकसान से बचना या उसे नियंत्रित करना एक हद तक असंभव है।

हालाँकि, आप सुनामी के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, आपको सुनामी जैसी आपदाओं से निपटने के लिए एक इमरजेंसी किट को तैयार रखना चाहिए और साथ ही आपको अपनी क़ीमती सामान को भी सुरक्षित करने के ऊपर ध्यान देना चाहिए। 

इंश्योरेंस यह सुनिश्चित करता है कि अगर सुनामी के कारण इंश्योरेंस होल्डर की मृत्यु हो जाती है या उसकी संपत्ति को किसी प्रकार की बड़ी क्षति पहुँचती है तो ऐसी स्थिति में इंश्योरेंस कंपनी द्वारा इस नुकसान की भरपाई की जाएगी। 

सुनामी-प्रोन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को कौन से इंश्योरेंस प्रोडक्ट खरीदने चाहिए?

निचे हमने आपको कुछ ऐसे इंश्योरेंस पॉलिसी के बारे में जानकारी दी हैं जिन्हें सुनामी-प्रोन क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्ति अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ले सकते है।

  • होम इंश्योरेंस: होम इंश्योरेंस अप्रत्याशित परिस्थितियों से आपके घर और उसके अंदर रखे कीमती वस्तुओं के लिए एक कवरेज प्रदान करती है। इस इंश्योरेंस में आग, भूकंप, तूफान, फ्लड, लैंडस्लाइड आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के अलावा मानव निर्मित कारणों से चोरी, आतंकवाद, दंगे, आदि से हुए नुकसान के लिए कवर प्रदान किये जाते हैं। 

  • व्हीकल इंश्योरेंस: यह इंश्योरेंस आग से होने वाली दुर्घटनाओं, प्राकृतिक आपदाओं, मालिक को चोट और चोरी के कारन होने वाले नुकसान के लिए एक वाहन को कवर प्रदान करती है। इसके अलावा, यह किसी थर्ड पर्सन को पहुँची चोट या क्षति को भी कवर करती है। 

  • लाइफ इंश्योरेंस: यदि आप भारत में सूनामी-प्रोन क्षेत्रों की बताई गयी सूचि में से किसी राज्य में रहते हैं, तो आपको अपने लिए लाइफ इंश्योरेंस को प्राप्त करना सबसे बड़ी प्रायोरिटी होनी चाहिए। लाइफ इंश्योरेंस आपके और एक इंश्योरेंस कंपनी के बीच का एक कॉन्ट्रैक्ट होता है जो इस बात को सुनिश्चित करता है की यदि, एक इंश्योरर की मृत्यु हो जाती है तो उसके बाद बेनिफिशियरी को एक पूर्व निश्चित राशि का भुगतान किया जाता है। 

ऊपर दी गयी सूची भारत में सुनामी और उनके प्रभावों के अच्छे से समझ कर आप अपने लिए डिजास्टर मैनेजमेंट नीतियों को बना सकते हैं जो सुनामी जैसी आपदा के दौरान आपको सुरक्षित रखने में आपकी मदद कर सकते हैं। 

2004 की ट्रेजेडी के बाद, इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इन्फॉर्मेशन सर्विसेज (INCOIS) जोखिम क्षेत्रों की भविष्यवाणी करने के लिए निरंतर काम कर रहा है। वे वास्तविक समय में वेव्स की ऊंचाई, जोखिम क्षेत्र और कमजोर इमारतों की गिनती कर लोगों को आपदा से अवगत कराते हैं। ऐसे सरकारी अलर्ट पर नजर रखना और उनके द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना खुद को सुरक्षित रखने के लिए आपका एक सबसे अच्छा निर्णय साबित हो सकता। है 

भारत में सुनामी प्रोन क्षेत्रों के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

दिसंबर 2004 की सुनामी भारत में कहाँ आई थी?

सुमात्रा के कोस्ट पर एक शक्तिशाली भूकंप ने इंडियन ओशन के कोस्टलाइन पर एक विनाशकारी सुनामी को जन्म दिया था। 

क्या आप आती हुई सुनामी को देख सकते हैं?

समुद्र के तल में एक शक्तिशाली भूकंप भारी वेव्स को पैदा कर सकता है जिसके परिणामस्वरूप उस क्षेत्र में सुनामी आ सकती है। सुनामी को देख कर के अनुमान लगाना किसी भी व्यक्ति के लिए काफी कठिन हो सकता है क्योंकि आने वाली सुनामी क्षितिज पर बादलों की तरह अचानक से आ सकती है।

भारत का कौन सा राज्य सुनामी से सबसे ज्यादा प्रभावित है?

तमिलनाडु

भारत में कितनी सुनामीयाँ आई है?

1762 के बाद भारत में कुल टाइडल वेव्स में से कुल 8 टाइडल वेव्स को सुनामी के रूप में स्वीकार किया गया था जिस कारण करीब 26,040 लोगों ने अपनी जान गवाई थी।