डिजिट इंश्योरेंस करें

साइक्लोन के बारे में सब कुछ जाने : निर्माण , कारण और प्रभाव

सैटेलाइट के द्वारा प्राप्त की गई जानकारियों से यह पता चलता है कि साइक्लोन आम तौर पर कम प्रेशर वाले जोन्स और गर्म इंटरट्रॉपिकल जल के ऊपर बनते हैं। ये विशाल और घातक तूफान होते हैं जो की काफी तबाही मचाने के साथ किसी क्षेत्र के लोगों के जीवन और संपत्ति को गंभीर नुकसान भी पहुंचाते हैं। 

वर्ल्ड मेटियोरोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार अगर देख जाये तो लगभग 85 ट्रोपिकल तूफान गर्म ट्रोपिकल लैटीट्यूड सागरों पर विकसित होते हैं।

साइक्लोन के प्रकार, होने के कारण, घटना, उसके प्रभाव, खतरनाक जोन्स और प्रिवेंटिव मेज़र्स को जानने के लिए हमारे इस लेख को पूरा पढ़ें - 

साइक्लोन क्या है?

मेटियोरोलॉजिकल टर्म से देखा जाए तो, साइक्लोन एक ऐसी हवा है जो एक स्ट्रॉंग लो-प्रेशर सेंटर के चारों ओर अंदर की तरफ (नॉदर्न हेमिस्फीयर मे काउंटर- क्लॉकवइस और साउथर्न हेमिस्फीयर मे क्लॉकवइस) घूमती है।

आमतौर पर, जब हवाएं 118 किमी प्रति घंटे से ऊपर उठती हैं तो इस हवा को साइक्लोन का नाम दिया जाता है। इंडियन ओशन और पैसिफिक ओशन के साउथ के ऊपर बनने वाली इन घूमती हुई हवाओं को साइक्लोन कहा जाता है। अलग अलग रिजन में साइक्लोन को टाइफून, हरिकेन,आदि जैसे अलग अलग नामों से जाना जाता है। 

साइक्लोन की गंभीरता को समझने के लिए आपको इसकी बनने की प्रक्रिया और इसकी कैटेगरिस को विस्तार से समझने की ज़रूरत पड़ेगी। साइक्लोन के बारे में और अधिक जानने के लिए हमारे इस लेख को पूरा पढ़ें - 

साइक्लोन कैसे बनते है?

साइक्लोन के बनने की प्रक्रिया को समझने के लिए निचे दिये गए बिंदुओ को ध्यान से पढ़े-

  • समुद्र के ऊपर गर्म और नम हवा कम डेंसिटी के कारण ऊपर की तरफ उठने लगती है, जिस कारण समुद्र की सतह के पास कम हवा रह जाती है, परिणामस्वरूप, यह कम प्रेशर हवा एक लो-प्रेशर ज़ोन बनाने लगती है। 

  • आस पास के हाई प्रेशर वाले क्षेत्रों के कारण, हवा इस कम प्रेशर के अंदर बहने लगती है और अंततः गर्म हो जाती है, जिससे एक साइकल बनता है।

  • गर्म हवा के लगातार गर्म होने और भाप बनने की प्रक्रिया के साथ, पूरे बादल और विंड सिस्टम घूमने लगते हैं और धीरे धीरे कर इनका आकर भी बड़ा होने लगता है। 

  • अधिक गति प्राप्त करने के साथ ही, साइक्लोन का सेंटर बीच में बनने लगता है। यह बीच वाला ज़ोन सबसे कम हवा के प्रेशर वाले क्षेत्र को दर्शाता है जो काफी शांत और क्लियर होता है। इसके अलावा, ऊपर से हाई प्रेशर वाली हवा इस रिजन की ओर बहती है।

जब हवा के घुमाव वाली गति 63 किमी प्रति घंटे तक पहुँच जाती है, तो इसे ट्रॉपिकल तुफान का नाम दिया जाता है। हालाँकि, जब इस हवा की गति 119 किमी प्रति घंटे तक पहुँच जाती है, तो इसे ट्रॉपिकल साइक्लोन के नाम से जाना जाता है।

अब जैसा की आप साइक्लोन के बनने की प्रक्रिया को समझ चूके हैं, तो चलिए अब हम साइक्लोन की कैटेगरिस पर एक नजर डालते हैं।

साइक्लोन की कितनी कैटेगरी होती है?

 

साइक्लोन की कैटेगरी हवा की ताकत पर निर्भर करती है। निचे दिए गए टेबल से आप यह अंदाजा लगा सकते है की लैंडफॉल के बाद साइक्लोन कितना नुकसान पहुँचा सकता है, जो की इस बात पर निर्भर करता है की हवा की क्या स्पीड है।

कैटेगरी हवा की स्पीड(in kmph) लैंडफॉल पर नुकसान
1 119-153 मिनिमल
2 154-177 मॉडरेट
3 178-210 एक्सटेंसिव
4 211-250 एक्ट्ररिम
5 250 से अधिक कैटास्ट्रोफिक
तो चलिए अब हम साइक्लोन के बनने के पीछे के कारण को समझने की कोशिश करते हैं।

साइक्लोन के क्या कारण हैं?

आपके प्रश्न "साइक्लोन कैसे बनते है" का उत्तर जानने के बाद अब शायद आप यह भी जानना चाहेंगे की आखिर साइक्लोन क्यो बनते और उनके बनने के पिछे क्या चीज़ें हो सकती हैं। 

ये हैं वो कुछ फैक्टर्स जो साइक्लोन बनाने के लिए ज़िम्मेदार हैं -

  • समुद्र की सतह पर गर्म टेम्परेचर।

  • कोरिओलिस फोर्स उस क्षेत्र को प्रभावित करते हैं जो कम प्रेशर वाले जोन को बनाने के लिए ज़िम्मेदार होते हैं।

  • एटमॉस्फियर की अस्थिरता। 

  • ट्रोपोस्फीयर के निचले से मध्यम स्तरों तक बढ़ती हुई नमी। 

  • वर्टिकल विंड शियर में कमी। 

  • पहले से मौजूद लो-लेवल डिस्टर्बेंस या फोकस।

अब जब की आप यह जान चुके हैं की साइक्लोन कैसे बनते है और इसके बनने के क्या कारण हैं, तो चलिए अब हम यह समझने की कोशिश करते हैं की अब तक भारत में कितने प्रकार के साइक्लोन देखने को मिले हैं। 

भारत मे हुए अब तक के साइक्लोन

 

उपर दिए गए टेबल के संबंध में, पिछले कुछ सालों में भारत में साइक्लोन की निम्नलिखित सूची

साइक्लोन के नाम साइक्लोन के प्रकार
यास बेय ऑफ बंगाल के ऊपर उत्पन्न होने वाली गंभीर साइक्लोनिक तूफान।
ताउकतैइ अरेबियन सी से उत्पन्न होने वाली अति भीषण साइक्लोनिक तूफान।
निसरगा अरेबियन सी से उठता हुआ भयंकर साइक्लोनिक तूफान।
अम्फान बेय ऑफ बंगाल में बनता हुआ सुपर साइक्लोनिक तूफान।
क्यार अरेबियन सी से उठता हुआ सुपर साइक्लोनिक तूफान
महा अरेबियन सी से उत्पन्न होने वाला अत्यंत भीषण साइक्लोनिक तूफान।
वायु गंभीर साइक्लोन तूफान की उत्पत्ति अरेबियन सी से होती है।
हिक्का अरेबियन सी से उठता हुआ बेहद भीषण साइक्लोनिक तूफान।
फानी इंडियन ओशन से उत्पन्न होने वाला अत्यंत भीषण साइक्लोनिक तूफान।
बॉब 03 सेंट्रल बेय ऑफ बंगाल से उत्पन्न होने वाला गंभीर साइक्लोनिक तूफान।
बुलबुल बेय ऑफ बंगाल में उत्पन्न होने वाला बहुत ही भयंकर साइक्लोनिक तूफान।

चलिए अब हम इन साइक्लोन के प्रभावों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं।

भारत मे साइक्लोन के प्रभाव

यदि आप जानते हैं कि साइक्लोन कैसे बनता है, तो आपको यह भी पता होना चाहिए कि यह अक्सर तेज हवाओं, मूसलाधार बारिश और तूफान के साथ ही उत्पन्न होता है। ये तीन चीज़ें निम्न प्रकार से किसी भी क्षेत्र में काफी हद तक प्रभाव डालते हैं-

  • तेज़ हवाएँ इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान पहुँचाती है, पेड़ों को उखाड़ देती हैं और अन्य आपदाओं को भी जन्म देने का काम करती है। 

  • मूसलाधार बारिश से बेजोड़ फ्लड आती है जो घरों और इमारतों को बहुत ज्यादा नुकसान पहुँचाने का काम करती है। 

  • तूफानी लहरों के कारण समुद्री जल का स्तर बढ़ जाता है जिस कारन कोस्टल क्षेत्र फ्लड की चपेट में आ जाते हैं। 

  • समुद्री जल के स्तर में वृद्धि होने के कारण समुद्री तटों और तटबंधों का भी नुकसान होता है। 

  • गंभीर साइक्लोनिक तूफान के कारण जो फ्लड आती है, उसके वजह से वनस्पति और पशुधन को भी काफि नुकसान पहुंचता है। 

  • तेज हवाओं और परिस्थितियों के कारण मिट्टी उपजाऊ नहीं रहती जिसकी वजह से उस ज़मीन में खेती नहीं हो सकती। 

इसके अलावा, साइक्लोनिक तूफानों के परिणामस्वरूप मानव, पौधे और पशु के जीवन का भी भारी नुकसान होता है और देश की अर्थव्यवस्था को भी बहुत बुरी तरह से प्रभावित करता है।

चलिए अब हम भारत के साइक्लोन- प्रोन जोन्स के बारे में समझने की कोशिश करते हैं। 

भारत में साइक्लोन के जोखिम वाले जोन्स

इंडियन मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट के अनुसार, भारत के 13 कोस्टल स्टेट्स और यूनियन टेरिटरीज साइक्लोन से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में शामिल हैं। भारत का ईस्टर्न कोस्ट हमेशा ही साइक्लोन जैसी हालातों से काफी अधिक प्रभावित होता है, जबकि इसकी तुलना में वेस्टर्न कोस्ट साइक्लोन से कम प्रभावित होता है। हालांकि, भारत के 7516.6 किमी के लंबी समुद्री कॉस्टलाइन के कारण, भारत के दोनों कोस्ट को साइक्लोनिक तुफानो का सामना करना पड़ता है।

दोनों कोस्ट मे से, कुछ राज्य दूसरों की तुलना में साइक्लोन से अधिक प्रभावित होते हैं। नीचे दिए गए राज्य के नाम भारत में साइक्लोन से प्रभावित होने वाले प्रमुख राज्यों में से सबसे प्रमुख राज्य हैं -

  • वेस्ट बंगाल

  • आंध्र प्रदेश

  • तमिल नाडु

  • ओडिशा

  • पुडुचेरी (UT)

  • गुजरात

जो लोग ऊपर दिए गए क्षेत्रों मे से किसी एक में रहते हैं या उसके आसपास रहते है, तो आपको साइक्लोन की स्थिति में खुद को सुरक्षित रखने के लिए कुछ प्रिवेंटिव मेज़र्स को फॉलो करने की आवश्यकता पड़ेगी। तो चलिए अब हम उन्हें समझने की कोशिश करते हैं। 

भारत में साइक्लोन से निपटने के लिए कुछ प्रिवेंटिव मेज़र्स

नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) लोगों को साइक्लोन के दौरान सुरक्षित रहने के लिए निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करने की सलाह देती है -

  • साइक्लोनिक तूफान के दौरान आपको अपने घर के अंदर रहना चाहिए और बिजली के स्रोत से दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए। 

  • आपको हमेशा ही एक इमरजेंसी किट को तैयार रखना चाहिए जो की ख़राब स्थिति में खुद को जीवित रखने के लिए आवश्यक हो। 

  • आपको हमेशा ही वेदर फोरकास्ट अपडेट पर अच्छी तरह से नजर रखनी चाहिए और ऑफिसियल वॉर्निंग्स पर ध्यान देकर उनपर भरोसा करने की कोशिश करनी चाहिए। 

  • अगर आपका घर सुरक्षित नहीं है, तो साइक्लोन की सुचना मिलते ही आपको किसी दूसरी जगह में शिफ्ट हो जाना चाहिए ताकि आप खुद को सुरक्षित रख सकें। 

इसके अलावा, NDMA के सहयोग से, सरकार साइक्लोन के आने से पहले ही मछुआरों और कोस्टल निवासियों के लिए उचित से उचित उपाय कर उन्हें सुरक्षित रखने की यथासंभव कोशिश करती है।

साइक्लोन कैसे बनते हैं और उनके कारण क्या हैं, इसकी विस्तृत जानकारी के साथ पर्याप्त सावधानी बरती जा सकती है जिससे आप साइक्लोन के गंभीर परिणामों से खुद को बचा सकते हैं। 

साइक्लोन के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

ट्रॉपिकल साइक्लोन की भविष्यवाणी कैसे की जाती है?

एक ट्रॉपिकल साइक्लोन के शुरुआत की भविष्यवाणी करना वास्तव में थोड़ा कठिन है लेकिन जैसे ही वे विकसित होते हैं, उनकी भविष्यवाणी की जा सकती है। वैज्ञानिक ऐसे कामों को कंप्यूटर, सैटेलाइट और मौसम रडार की मदद से करते हैं। इसके अलावा, वैज्ञानिक आधुनिक तकनीकों का भी विकास कर रहे हैं जो यह तक अनुमान लगा सकते है कि यह साइक्लोन किस स्थान को नुकसान पहुंचाएगा।

साइक्लोन आम तौर पर कितने समय तक रह सकता है?

एक साइक्लोन आम तौर पर चार से सात दिनों तक रह सकता है, जबकि गंभीर साइक्लोन (कैटेगरी 3 और ज्यादा) हफ्तों तक भी रह सकता है।

ट्रॉपिकल साइक्लोन लगभग किस समय आते हैं?

वेस्टर्न - नॉर्थ पेसिफिक रीजन मे, ट्रॉपिकल साइक्लोन का समय मई महीने से नवंबर महीने के बीच होता है। अरेबियन सी और बेय ऑफ बंगाल में, यह अक्सर अप्रैल-जून के महीने मे और सितंबर-नवंबर के महीने के दौरान देखने को मिलता है।