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कार में एबीएस क्या होता है: विशेषताएं, फ़ायदे और यह कैसे काम करता है

क्या आपने कभी सोचा है कि ब्रेक लगाते समय आपका वाहन स्टीयरिंग कंट्रोल कैसे बनाए रखता है? इस तंत्र के पीछे की वजह एबीएस या एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम है।

अचानक ब्रेक लगाने से क्योंकि पहिए नहीं घूम सकते हैं, जिससे पहिए आगे बढ़ने से रुक जाते हैं, यह आगे चलकर कार को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है और दुर्घटनाओं की वजह बन सकता है।

इसीलिए, निर्माताओं ने पहियों को लॉक होने से रोकने और स्टीयरिंग और ट्रैक्शन कंट्रोल को बेहतर बनाने के लिए कार में एबीएस शामिल किया है।

एबीएस और इसके प्रकारों व कामों के बारे में अधिक जानने के लिए आगे पढ़ें

कार में एबीएस क्या होता है?

एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम पहली बार 1920 के दशक के दौरान आया था। हालांकि, 1970 तक कारों में एबीएस का इस्तेमाल लोकप्रिय नहीं हुआ था, और यह सिस्टम कमर्शियल वाहनों में शामिल हो गया। आजकल, अचानक ब्रेक और टायर फिसलने से बचाने के लिए लगभग हर वाहन एबीएस से लैस हो गया है।

एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम में नीचे दिए गए ये पार्ट होते हैं:

  • स्पीड सेंसर: इन स्पीड सेंसर का काम यह देखना है कि पहिए कितनी तेजी से घूमते हैं।

  • पंप: इन पंपों में हाइड्रोलिक फ्लूएड मौजूद होता है जो ब्रेक कैलीपर्स पर दबाव डालने में मदद करता है।

  • वॉल्व: ये ब्रेक पर दबाव डालने, ब्लॉक करने या रिलीज करने का काम करते हैं।

  • कंट्रोलर: ईसीयू या इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट, एबीएस का दिमाग होता है। ब्रेक लगाना है या नहीं यह समझने के लिए यह अपने सेंसर से डेटा का इस्तेमाल करता है।

ड्राइवरों ने बताया है कि इस सिस्टम की प्रभावशीलता बहुत फ़ायदेमंद है। जैसा कि शोध से पता चलता है कि कारों में एबीएस को शामिल करने के बाद गैर-घातक कार दुर्घटनाएं 6% तक कम हो गई हैं।

कारों में अलग-अलग तरह के एबीएस के कौन से हैं?

कार में तीन तरह के एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम होते हैं। चार चैनल, तीन चैनल और एक चैनल। इन चैनलों को सेंसर भी कहा जाता है। इनके और इनके कामों के बारे यहां संक्षिप्त विवरण दिया गया है।

1. चार चैनल/चार सेंसर

इस सिस्टम का काम हर पहिए के लिए अलग-अलग वाल्वों को नियुक्त करना है। इसके अलावा, यह चारों पहियों के लिए स्पीड सेंसर को भी अलग करता है। यह एबीएस का सबसे पसंदीदा प्रकार है क्योंकि यह हर पहिए की निगरानी करता है ताकि यह जांचा जा सके कि ब्रेकिंग बल सही से लगा है या नहीं।

2. तीन चैनल/तीन सेंसर

इस तरह का एबीएस मुख्य तौर पर आगे के पहियों पर एक वाल्व और स्पीड सेंसर देकर उन्हीं पर काम करता है। एक अन्य सेंसर पिछले एक्सल पर लगा होता है जो पिछले दोनों ब्रेक को प्रभावित करता है। फिर भी, क्योंकि एक सेंसर ही और वाल्व पीछे के पहियों के बीच साझा किए जाते हैं, इसलिए उनकी निगरानी हमेशा एक साथ होती है। इसलिए, अगर एक पहिया लॉक हो जाता है, तो ये ब्रेक उतने प्रभावी नहीं होंगे।

3. एक चैनल/एक सेंसर

इसमें चार पहियों पर नजर रखने के लिए सिर्फ एक वॉल्व और स्पीड सेंसर लगा होता है। यह भी रियर एक्सल पर लगा होता है। हालांकि, इसमें तीन-चैनल एबीएस की तरह ही पिछले एक पहिए को लॉक करने का जोखिम है।

एबीएस कैसे काम करता है?

कारों में एबीएस के काम को समझने के लिए ये कुछ चरण हैं:

  • कार में लगे हुए व्हील सेंसर का इस्तेमाल अलग-अलग पहियों की गति पर नजर रखने के लिए होता है। ईसीयू, या इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट इसकी रीडिंग करता है। अगर किसी भी पहिए में गति का काफी कम होना जैसी कोई असामान्यता देखी जाती है, तो ईसीयू वाल्व को संकेत देता है। फिर ये वॉल्व ब्रेक प्रेशर को कम कर देते हैं और बंद हो जाते हैं।

  • जब पहिए फिर से चलना शुरू करते हैं, तो ईसीयू उन वाल्व को खोलने और उनके दबाव को बढ़ाने का संकेत देता है। इस तरह ब्रेक लगता है।

  • यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है जब तक यह ब्रेक लगाना आसान नहीं हो जाता।

कारों में एबीएस के फ़ायदे और नुकसान क्या हैं?

नीचे दी गई टेबल में एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम के कुछ मुख्य फ़ायदों और कमियों के बारे में बताया गया है।

कारों में एबीएस के फ़ायदे कारों में एबीएस के नुकसान
गीली और फिसलन भरी परिस्थितियों में भी कार को फिसलने से रोकता है। कुछ लोगों ने बताया है कि एबीएस की किसी तकनीकी खराबी की वजह से वजह से खास दूरी पर रुकने में लगने वाला समय लंबा हो जाता है।
कार में एबीएस उसकी रीसेल वैल्यू बढ़ाता है। एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम का रखरखाव महंगा होता है।
एबीएस एक अच्छी तरह से परीक्षण किया गया सुरक्षा उपकरण है। इसलिए एबीएस वाली कार खरीदने वालों को इंश्योरेंस पर बेहतर छूट मिल सकती है। यह एक नाजुक सिस्टम है। अगर इसका इस्तेमाल सावधानी से नहीं किया जाता है, तो यह इधर-उधर जाना, वाहन का हिलना या ब्रेक खराब होने जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है।
एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम में ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम के साथ एक आपस में जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर होता है। यह सुनिश्चित करता है कि सड़क पर हर पहिए में गति का खिंचाव हो। क्षरण ब्रेक ऑयल को दूषित कर सकता है और हाइड्रोलिक नियंत्रण इकाई को प्रभावित कर सकता है।

एबीएस लगाने से वाहन कम दूरी पर रुक सकता है, जिससे खतरनाक स्थितियों में चालकों को बेहतर नियंत्रण मिलता है। कार में एबीएस के अन्य फ़ायदों में टायर के असमान घिसाव को रोकना शामिल है क्योंकि एबीएस पहियों के लॉक होने की स्थिति को कम करता है।

हालांकि कार में एबीएस की प्रक्रिया को समझना एक जटिल चीज लगती है, लेकिन ऐसा नहीं है। पहले यह एंटी-स्किड या एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम केवल कारों और ट्रकों में ही इस्तेमाल किया जाता था। उस समय, एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम गैर-विद्युत मॉडल थे, जो ब्रेक लगने को नियमित करने के लिए मैकेनिकल तौर पर नियंत्रित होते थे। आजकल, ये सिस्टम कम्प्यूटरीकृत इलेक्ट्रो-हाइड्रोमैकेनिकल ब्रेक हाइड्रोलिक सिस्टम होते हैं।

एक्सपर्ट के मुताबिक एंटी-लॉक ब्रेक का इस्तेमाल करने का सही तरीका अचानक रुकने के दौरान पैडल को कभी भी पंप नहीं करना है। बल्कि, वे एक स्थिर पैडल लगाने और इस सिस्टम को उसी मुताबिक काम करने देने का सुझाव देते हैं। अगर इस प्रक्रिया का पालन किया जाता है, तो एबीएस को कम नुकसान होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

अगर एबीएस लाइट चालू है, तो क्या करना चाहिए?

जब एबीएस लाइट आपके डैशबोर्ड पर चमकती है, तो यह इसके सिस्टम में कोई दिक्कत होने का संकेत देती है। इसलिए, वाहन एबीएस से सपोर्ट खो देता है और हार्ड ब्रेक के दौरान उसे मदद नहीं मिलती। ऐसा होने पर आपको ब्रेक ऑइल की जांच करनी चाहिए या मदद के लिए किसी नजदीकी गैरेज में जाना चाहिए।

क्या एबीएस सिस्टम की मरम्मत की जा सकती है?

एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम की मरम्मत करना पूरे सिस्टम को बदलने की तुलना में ज्यादा किफायती होता है। फिर भी, अगर कोई चाहे तो वह पूरे सिस्टम को बदल सकता है और किसी पेशेवर की मदद से एक नया सिस्टम लगवा सकता है।