इस्तेमाल की हुई बाइक के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी

डिजिट इन्श्योरेंस पर स्विच करें। 3 करोड़ से ज्यादा ग्राहकों का भरोसा

Third-party premium has changed from 1st June. Renew now

इस्तेमाल की हुई बाइक ख़रीदने से पहले ये बातें जान लें

अगर आप ख़ुद के लिए बाइक खरीदना चाहते हैं और बहुत ज़्यादा खर्च नहीं करना चाहते, तो इस्तेमाल की हुई बाइक खरीदना एक अच्छा विकल्प है। जानिए कि आप जिस बाइक को खरीदना चाहते हैं उसमें आपको क्या बातें देखनी चाहिए। अपने लिए ऐसी बाइक लें जो आपकी मंज़िल कितनी ही दूर हो आपको ले जा सके और आपका सफर सुहाना हो।

क्या आपको नहीं समझ आ रहा कि क्या देखें, कहां से शुरू करें? चिंता न करें, हम आपका मार्गदर्शन करेंगे।

इस्तेमाल की हुई बाइक खरीदने से पहले ये चेकलिस्ट बनाएं:

अपनी पसंद की राइड के अनुसार बाइक देखें- आपको खुद से पूछना चाहिए कि आप किस मकसद से बाइक खरीद रहे हैं और फ़िर उसके अनुसार अपनी खोज को आगे बढ़ाएं।

रिसर्च ज़रूरी है- ऑनलाइन जाएं, विशेषज्ञों से जानें कि आपको बाइक के बारे में क्या जानकारी होनी चाहिए, खास तौर पर आपकी पसंद की बाइक के लिए।

बाइक जांच लें- पेंट, खरोंच के निशान देख लें, देखें कि किसी तरह का फ़्ल्यूड लीक न कर रहा हो, उसके टायर की हालत देखें। सामान्य बाहरी बॉडी को अच्छे से जांच लें। किसी भी तरह के डेंट को अच्छी तरह से देखें। खरोचें स्वीकार की जा सकती हैं लकिन वह ज़्यादा गहरी नहीं होनी चाहिए।

ब्रेक- ज़्यादातर इस्तेमाल की हुई बाइक में ड्रम ब्रेक होते हैं। इसलिए, ब्रेक जांचकर निर्णय लें कि आप उन्हें रखना चाहते हैं या बदलना चाहते हैं। हो सकता है बाइक को सर्विस की ज़रूरत हो।

सर्विसिंग रिकॉर्ड- बाइक के मालिक से जान लें कि बाइक कितनी बार किन किन कारणों से सर्विसिंग के लिए जा चुकी है।

किसी भी त्रुटि से बचने के लिए बाइक का वीआईएन (VIN) नंबर स्कैन करें- व्हीकल आईडेंटिफ़िकेशन नंबर एक अनोखा सीरियल नंबर होता है जिससे बाइक को क़ानूनी तौर पर पहचाना जा सकता है। ज़्यादातर बाइक में, बाइक के फ्रेम के स्टीरिंग नेक सेक्शन में हेडलाइट के ठीक पीछे वीआईएन नंबर स्टैंप किया हुआ मिल जाएगा। ऑफ़ीशियल टाइटल पर मौजूद नंबर से इस नंबर को मिलाएं, दोनों समान होने चाहिए।

लाइट- हेडलाइट बल्ब, इंडिकेटर, और टेल लाइट चालू स्थिति में तेज़ रौशनी देने वाली होनी। अगर ऐसा नहीं है तो आप बल्ब बदलवा सकते हैं।

पेपर जांच लें- आरसी बुक, बाइक इंश्योरेंस, बाइक इंश्योरेंस की वैधता, प्रदूषण प्रमाणपत्र, असली इनवॉइस, एक्सटेंडेड वारंटी (अगर हो)

टेस्ट ड्राइव- बाइक को चलाकर देखें जिससे आपको उसकी स्पीड और माइलेज पता चल सके साथ ही आप यह भी जान पाएं कि आप बाइक के साथ सहज हैं या नहीं।

बाइक का अच्छे से निरीक्षण कराने के लिए क्षेत्रीय मैकेनिक से बात करें- भले ही आपने किसी प्राइवेट पार्टी से सेकेंड हैंड बाइक लेने का निर्णय लिया है, फ़िर भी किसी भी तरह के कॉन्ट्रैक्ट से पहले तीसरे व्यक्ति से उसका पूरा निरीक्षण करवा लेना बेहतर रहता है।

एक बार आप इस्तेमाल की गई बाइक से संतुष्ट हो जाते हैं, तो आप उसे बाइक की कोई भी क्षेत्रीय दुकान में ले जाकर उसकी जांच करवा सकते हैं। इसके बाद, कागज़ी कार्यवाही करने का समय आता है जिसमें मुख्य तौर पर बाइक की ओनरशिप और इंश्योरेंस ट्रांसफर किए जाते हैं।

बाइक का मालिकाना हक़ ट्रांसफर कैसे करें?

बाइक का मालिकाना हक़ ट्रांसफर करना ज़रूरी होता है। यहां आपको बताया गया है कि इसे कैसें करें :

चरण 1- आपको बाइक का मालिकाना हक़ ट्रांसफर का आवेदन उसी आरटीओ (RTO) में करना होगा जहां से बाइक के मालिक ने उसे पहले रजिस्टर कराया था।

चरण 2- डायरेक्टरेट ऑफ़ ट्रांस्पोर्ट ऑफ़िस में असल दस्तावेज़ जैसे आरसी, इंश्योरेंस, एमिशन टेस्ट, टैक्स अदा करने की रसीद, तीन पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो और विक्रेता का पता प्रमाण वगैरह, के साथ फ़ॉर्म 29 और फ़ॉम 30 जमा करें।

चरण 3- रजिस्टर करने वाले अधिकारियों के द्वारा सभी तरह की पुष्टि कर लेने के बाद, बाइक की ओनरशिप और इंश्योरेंस 14 दिनों में आपके नाम ट्रांसफर हो जाएंगे।

है न आसान? और आपको नीचे दिए गए दस्तावेज़ चाहिए होंगे :

  • विक्रेता के हस्ताक्षर के साथ फ़ॉर्म 29 भरा होना चाहिए: 2 कॉपी
  • चेसिस प्रिंट के साथ दोनों पार्टी को फ़ॉर्म 30 पर हस्ताक्षर करना होता है : 1 कॉपी
  • अगर बाइक किसी और क्षेत्र या आरटीओ से लाई गई है, तो उसके लिए एनओसी (NOC) दिखाना ज़रूरी है।
  • अगर विक्रेता ने बाइक लोन लेकर खरीदी है, तो बैंकर से एनओसी दिखाना ज़रूरी है।
  • असली आरसी
  • इंश्योरेंस की कॉपी
  • एमिशन टेस्ट
  • टैक्स अदा करने की रसीद
  • विक्रेता का पता प्रमाण
  • तीन पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो

सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल, 1989, के रूल 81 के अनुसार, यह सभी दस्तावेज़  रजिस्ट्रेशन शुल्क के साथ रजिस्ट्रेशन अधिकारी को जमा करने होते हैं।

बाइक इंश्योरेंस कैसे ट्रांसफर करें?

बाइक इंश्योरेंस को ट्रांसफर करना भी उतना ही ज़रूरी है। बाइक ओनरशिप ट्रांसफर करते समय सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि आपने सारी प्रक्रिया पूरी की हो। इससे बाइक इंश्योरेंस ट्रांसफर करना आसान हो जाता है।

  • यहां जानें कि बाइक इंश्योरेंस कैसे ट्रांसफर करना है :
  • बाइक  ओनरशिप ट्रांसफर होने के 15 दिनों के अंदर बाइक के मालिक को इंश्योरेंस ट्रांसफर के लिए इंश्योरेंस कंपनी में आवेदन कर देना चाहिए।
  • ज़रूरी दस्तावेज़ साथ लेकर जाएं, जैसे रजिस्ट्रेशन सर्टिफ़िकेट, ओनरशिप ट्रांस्फ़र होने की तारीख, असली इंश्योरेंस पॉलिसी की जानकारी, वाहन की जानकारी, डीलर का नाम और भुगतान किए जा चुके प्रीमियम।
  • मालिक की निजी जानकारी के साथ, खरीदार को उसकी निजी आईडी जैसे पैन (PAN) कार्ड या आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस वगैरह इंश्योरेंस ट्रांसफर के रिकॉर्ड के लिए जमा करना चाहिए। एक बार जब इंश्योरर सभी दस्तावेज़ों की पुष्टि कर लेता है, तब पॉलिसी नए मालिक के नाम कर दी जाती है।
  • बाइक के मालिक को ट्रांस्फ़र के समय थर्ड पार्टी इंश्योरेंस भी जमा करना होता है क्योंकि यह बाइक इंश्योरेंस प्रीमियम कैलकुलेट करने के लिए ज़रूरी होता है।
  • जब बाइक का मालिक अपने नए वाहन के लिए इंश्योरेंस खरीदता है तब वह मौजूद बाइक का एनसीबी (NCB) सर्टिफ़िकेट जमा करके प्रीमियम पर छूट के रूप में नो क्लेम बोनस प्राप्त कर सकता है।

इस्तेमाल की हुई बाइक के लिए नई इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदें

अगर आपकी सेकेंड हैंड बाइक पर बाइक इंश्योरेंस नहीं है तो आपको खुद से इंश्योरेंस कराना चाहिए, यह क़ानूनी तौर पर अनिवार्य होता है। सेकेंड हैंड बाइक के लिए कॉम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस पॉलिसी सबसे ज़्यादा पसंद की जाती है क्योंकि इसमें कस्टमाइज्ड एड ऑन के साथ सबसे ज़्यादा कवरेज मिलता है। आप अपनी बाइक का इंश्योरेंस ऑनलाइन करवा सकते हैं या फ़िर संबंधित दस्तावेज़ों के साथ इंश्योरेंस कंपनी जाकर, तमाम तरह की पॉलिसी में से अपनी बाइक के लिए सबसे उपयुक्त पॉलिसी चुन सकते हैं।

इस्तेमाल की हुई बाइक के लिए पॉलिसी के प्रकार

थर्ड पार्टी - जैसा कि नाम से पता चलता है, थर्ड पार्टी पॉलिसी थर्ड पार्टी और बाइक मालिक के निजी नुक़सान को कवर करती है।

क्या कवर होता है?

  • थर्ड पार्टी की चोट या मृत्यु
  • किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति और वाहन का नुक़सान 
  • मालिक-ड्राइवर के अनगिनत निजी नुक़सान का कवर, अगर आपके पास नहीं है

क्या कवर नहीं किया जाता?

  • पार्टी डेप्रिसिएशन, ब्रेकडाउन असिसटेंस वगैरह जैसे एड ऑन्स।
  • दुर्घटना, चोरी, आगजनी वगैरह के कारण खुद के वाहन को नुक़सान।

हम ज़्यादातर ग्राहकों को कॉम्प्रिहेंसिव या स्टैंडर्ड पैकेज पॉलिसी लेने की सलाह देते हैं। लेकिन अगर आप बाइक कम चलाते हैं, तो थर्ड पार्टी लायबिलिटी लेना बुरा नहीं है।

कॉम्प्रिहेंसिव पॉलिसी- यह पॉलिसी थर्ड पार्टी के नुक़सान, दुर्घटना के कारण आपकी बाइक को हुए नुक़सान, और मालिक के नुक़सान को कवर करती है। यह कॉम्प्रिहेंसिव या स्टैंडर्ड टू व्हीलर पॉलिसी है जो आपकी बाइक और आपकी जेब को सर्वाधिक सुरक्षा प्रदान कर सकती है।

क्या कवर होता है?

  • थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के सभी बेनिफ़िट जैसे थर्ड पार्टी की संपत्ति या वाहन के नुक़सान के साथ थर्ड पार्टी के निजी नुक़सान जैसे अस्पताल में भर्ती, मृत्यु, या अपंगता।
  • इसके साथ, चोरी, दुर्घटना या आगजनी के कारण खुद के वाहन के नुक़सान।
  • मालिक-ड्राइवर के लिए एडऑन्स के अनगिनत विकल्प, अगर आपके पास पहले से नहीं है।

इस्तेमाल की हुई बाइक के इंश्योरेंस के साथ उपलब्ध ऐड-ऑन कवर

आपकी सेकेंड हैंड बाइक की संपूर्ण सुरक्षा के लिए हम आपको उचित एडऑन्स देते हैं। सर्वाधिक लाभ पाने के लिए अपनी पॉलिसी में सबसे अच्छा बाइक इंश्योरेंस एडऑन चुनें।

  • पार्ट्स डेप्रिसिएशन कवर (ज़ीरो डेप्रिसिएशन/बंपर टू बंपर)- समय के साथ, बाइक का मूल्य घटता जाता है, जिसके कारण क्लेम के समय डेप्रिसिएश को भी गिना जाता है। हालांकि, ज़ीरो डेप्रिसिएशन कवर डेप्रिसिएशन को खत्म कर देता है और आपको डिजिट की अधिकृत वर्कशॉप पर बाइक ठीक कराने या पार्ट बदलवाने की पूरी क़ीमत क्लेम के समय मिलती है।

  • कंज़्यूमेबल कवर- इस एडऑन में, स्क्रू, इंजन ऑयल, नट बोल्ट, ग्रीस वगैरह जैसे पार्ट को बदलने पर कवर प्राप्त होता है।

  • इंजन और गियर बॉक्स प्रोटेक्शन कवर- अगर किसी दुर्घटना से इंजन को नुक़सान होता है, तो उसे स्टैंडर्ड पैकेज पॉलिसी में कवर किया जाएगा। लेकिन अगर किसी अन्य कारण से नुक़सान हुआ है तो उसे कवर नहीं मिलता। यह एड ऑन आपको यह सुविधा देता है, इसमें दुर्घटना न होने पर भी इंजन ठीक कराने पर कवर मिलता है।

  • रिटर्न टू इनवॉएस कवर- अगर आपकी बाइक चोरी हो जाती है या इस तरह खराब होती है कि उसे ठीक नहीं कराया जा सकता, या उसको ठीक कराने का खर्च उसकी आईडीवी (IDV) से 75% ज़्यादा हो जाता है, तो हम ऐसी ही नई बाइक खरीदने की क़ीमत को कवर करते हैं। यानी आईडीवी घटाकर आपकी एक्स शोरूम की क़ीमत या पिछला इनवॉइस से प्राप्त होने वाला मूल्य। वैसे, इस मामले में हम नए वाहन का रजिस्ट्रेशन शुल्क और रोड टैक्स भी कवर करते हैं।

  • ब्रेक डाउन असिस्टेंस (आरएसए) (RSA) - सड़क पर गाड़ी खराब होने पर 24*7 सहयोग प्राप्त करें, और सिटी सेंटर से 500 किलोमीटर दूरी तक में कहीं भी मदद प्राप्त करें।

अगर आप और सवाल पूछना चाहते हैं, तो हमसे संपर्क करें। आपकी मदद करने में हमें खुशी मिलेगी।