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इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपके फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन को कैसे ट्रैक करता है?

टैक्स चोरी पर नजर रखने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट नए तरीके लेकर आया है, जिससे लोगों की अघोषित इनकम पर नजर रखने में मदद मिलेगी। जो लोग बार-बार हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन करते हैं उन्हें इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को सूचित करना होगा।

वरना, संबंधित डिपार्टमेंट इन ट्रांजेक्शन को ट्रैक करेगा और संबंधित व्यक्ति या टैक्सपेयर को नोटिस भेजेगा।

क्या आप सोच रहे हैं कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपके फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन को कैसे ट्रैक करता है?

आइए जानते हैं!

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन का पता कैसे लगाता है?

वर्तमान में, व्यक्तियों को प्रत्येक हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन के मामले में पैन का उल्लेख करना पड़ता है। दिए गए डाटा के आधार पर, आईटी डिपार्टमेंट फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन को ट्रैक कर सकता है। वैकल्पिक रूप से, आईटी डिपार्टमेंट अन्य प्रमुख स्रोतों से जानकारी ले सकता है, जिसमें फाइनेंशियल इंस्टिट्यूट या संपत्ति रजिस्ट्रार भी शामिल हैं।

जब लोग किसी बैंक, इंश्योरर, क्रेडिट कार्ड कंपनी या म्यूचुअल फंड कंपनी के माध्यम से हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन करते हैं, तो ये इंस्टिट्यूट इनकम डिपार्टमेंट को इसके बारे में जानकारी देते हैं।

इसके बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट दी गई जानकारी का मिलान व्यक्ति की ओर से फाइल किए गए रिटर्न से करता है। आईटी डिपार्टमेंट व्यक्ति की ओर से घोषित की गई कुल इनकम और निवेश के साथ उनकी पूरी इनकम की तुलना और टैक्स लायबिलिटी की गणना करता है। इस गणना के माध्यम से, आईटी डिपार्टमेंट आसानी से चोरी (यदि कोई हो) का पता लगा सकता है।

अब जब आपको यह बुनियादी जानकारी मिल गई है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपके फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन का पता कैसे लगाता है, तो आइए कुछ ऐसे ट्रांजेक्शन के बारे में जानें जिन्हें आईटी डिपार्टमेंट ट्रैक करता है।

[स्रोत]

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से कौन से फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन को ट्रैक किया जाता है?

काले धन के मामलों की जांच करने और हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन पर नजर रखने के लिए, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने नए दिशानिर्देश लागू किए हैं, जो नवंबर 2016, मार्च 2017 और अगस्त 2020 से लागू हुए थे। इन दिशानिर्देशों के अनुसार, सभी सामान और सेवा प्रदाताओं को हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन की सूचना इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देनी होगी।

इसके अलावा नए दिशानिर्देशों के मुताबिक टैक्स अथॉरिटी को फॉर्म 61A के माध्यम से म्युचुअल फंड, अचल संपत्ति, नगद प्राप्तियों के संबंध में टर्म डिपॉजिट, शेयरों की खरीद, विदेशी मुद्रा की बिक्री की जानकारी देनी होगी।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से ट्रैक किए गए ट्रांजेक्शन के बारे में जानने के लिए आगे पढ़ें।

1. अचल संपत्ति की खरीद/बिक्री

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट 30 लाख रुपए या उससे अधिक की अचल संपत्ति की खरीद या बिक्री पर नजर रख सकता है। यहां प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार को ऐसे मूल्य के ट्रांजेक्शन के संबंध में रिपोर्ट देनी होती है। दूसरी ओर, संपत्ति खरीदने या बेचने वाले व्यक्तियों को फॉर्म 26एएस पर इसकी घोषणा करनी होगी।आईटी डिपार्टमेंट जांच करेगा कि लोगों(खरीदार/विक्रेता) ने इस ट्रांजेक्शन की सूचना दी है या नहीं।

2. नकद में वस्तुओं और सेवाओं की खरीद/बिक्री

2 लाख रुपए से अधिक की वस्तुओं और सेवाओं की नकद बिक्री पर प्रोफेशनल को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को सूचित करना होगा। 2 लाख रुपए या उससे अधिक मूल्य की किसी भी वस्तु और सेवा को नकद में खरीदने या बेचने पर टीसीएस (स्रोत पर इकट्ठा किया टैक्स) लगाया जाएगा।

3. बैंक में टर्म डिपॉजिट

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट बैंक ट्रांजेक्शन, विशेष रूप से एक फाइनेंशियल इयर में ₹ 10 लाख या उससे अधिक की जमा का पता लगाता है। बैंक ट्रांजेक्शन से जुड़ी यह जानकारी इनकम टैक्स अधिकारियों को देते हैं, जिसके जरिए डिपार्टमेंट रिटर्न फाइल रिपोर्ट का मिलान करता है। डाकघर खातों में जमा और विड्रॉल पर भी नए दिशानिर्देश लागू होते हैं।

4. करंट अकाउंट डिपॉजिट

एक अन्य प्रकार का हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन जो व्यक्तियों को इनकम टैक्स रडार में ला सकता है, उनमें करंट अकाउंट डिपॉजिट या एक फाइनेंशियल ईयर में ₹ 50 लाख या उससे अधिक का विड्रॉल शामिल है। यहां, फाइनेंशियल इंस्टिट्यूट को ऐसे हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन की सूचना आईटी डिपार्टमेंट को देनी होगी।

5. म्यूचुअल फंड, स्टॉक, बॉन्ड या डिबेंचर में निवेश करें

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट एक फाइनेंशियल इयर में ₹ 10 लाख से ज्यादा के म्यूचुअल फंड, स्टॉक, बॉन्ड या डिबेंचर में निवेश से संबंधित ट्रांजेक्शन पर नजर रखता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने एक वार्षिक सूचना (एआईआर) विवरण तैयार किया है जो हाई वैल्यू वाले ट्रांजेक्शन पर नजर रखने में मदद करता है। यहां, संबंधित अधिकारी एआईआर के आधार पर एक फाइनेंशियल ईयर में हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन की जानकारी इकट्ठा करते हैं। यदि व्यक्तियों ने इतनी राशि का ट्रांजेक्शन किया है, तो वे फॉर्म 26एएस के एआईआर अनुभाग में इसकी जांच कर सकते हैं। इस फॉर्म के भाग ई में हाई-वैल्यू ट्रांजेक्शन से संबंधित जानकारी शामिल है।

6. बैंक में कैश डिपॉजिट

यदि कोई व्यक्ति एक फाइनेंशियल ईयर में 10 लाख रुपए या उससे अधिक जमा करता है तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट बैंक ट्रांजेक्शन पर नजर रखता है। लोगों की ऐसी हाई-वैल्यू राशि का चालू खाते के अलावा एक या एक से ज्यादा अकाउंट में जमा और जमा की अवधि पर अथॉरिटी का ध्यान जरूर जाता है ।

7. क्रेडिट कार्ड बिल भुगतान

सीबीडीटी (सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टेक्स) हर साल क्रेडिट कार्ड के लिए ₹1 लाख या उससे अधिक के नकद भुगतान की सूचना देना अनिवार्य बनाता है। संबंधित इंस्टिट्यूट क्रेडिट कार्ड बिलों के भुगतान के संबंध में एक फाइनेंशियल ईयर में 10 लाख रुपए या उससे अधिक के भुगतान की रिपोर्ट भी डिपार्टमेंट को देता है। यहां, लोगों को क्रेडिट कार्ड की खर्च सीमा को ध्यान रखना चाहिए क्योंकि आईटी डिपार्टमेंट क्रेडिट कार्ड विवरण के ट्रांजेक्शन का पता लगा सकता है।

8. विदेशी मुद्रा की बिक्री

यदि लोगों को विदेशी मुद्रा बेचने या उस मुद्रा में किसी क्रेडिट के लिए ₹ 10 लाख या उससे अधिक की राशि (एक फाइनेंशियल ईयर में) मिलती है, तो यह आईटी डिपार्टमेंट का ध्यान आकर्षित कर सकता है। यहां ट्रैवेलर्स चेक, ड्राफ्ट, क्रेडिट या डेबिट कार्ड या किसी अन्य साधन के इंश्योरेंस के माध्यम से किए गए ट्रांजेक्शन के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को सूचना की आवश्यकता होती है।

सलाना सूचना रिटर्न (वर्तमान में फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन के विवरण के रूप में जाना जाता है) में ट्रांजेक्शन करने वाले व्यक्ति का पैन शामिल होता है। परिणामस्वरूप, व्यक्तियों के सभी ट्रांजेक्शन का विवरण इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास उपलब्ध है। इसीलिए व्यक्तियों को एक निश्चित राशि (जैसे ₹10 लाख, ₹50 लाख या अधिक) के ट्रांजेक्शन की रिपोर्ट करनी चाहिए।

यह घोषणा आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से पूछताछ या नोटिस मिलने की संभावना को खत्म करने में पूरी मदद करेगी। इसलिए यदि आप यह जानना चाहते हैं कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपके फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन को कैसे ट्रैक करता है तो इतनी विस्तृत चर्चा के बाद आपको जवाब मिल गया होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

किसी खास फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन से जुड़ी जानकारी किस रिपोर्ट में मिलती है?

फॉर्म 61ए में किसी खास फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन जैसे बेचे या खरीदे गए स्टॉक, क्रेडिट कार्ड बिल भुगतान, रियल एस्टेट ट्रांजेक्शन से संबंधित जानकारी शामिल होती है।

[स्रोत]

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट गैर-पैन ट्रांजेक्शन से संबंधित नोटिस कब जारी कर सकता है?

यदि वास्तविक हाई-वैल्यू वाले ट्रांजेक्शन और रिटर्न भरते समय दिए गए डाटा में मेल नहीं होता है या संबंधित जगह पर पैन विवरण नहीं मिलता है तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट गैर-पैन ट्रांजेक्शन से संबंधित नोटिस जारी कर सकता है ।