क्योंकि क्लेम करना आपकी पॉलिसी और इसके प्रीमियम को प्रभावित कर सकता है इसलिए यह समझना भी जरूरी है कि कुछ मामलों में क्लेम न करना ही अच्छा होता है :
1.जब नुकसान बहुत छोटा सा ही हो
आगर आपकी कार में कुछ छोटे नुकसान ही हुए हैं जैसे छोटे निशान, खरोंच या शीशे का टूटना तो मरम्मत की लागत बहुत ज्यादा नहीं होगी। इसलिए, यह समझते हुए कि क्लेम आपके प्रीमियम को बढ़ा सकता है या आपके नो क्लेम बोनस को खर्च कर सकता है, मरम्मत का खर्चा खुद ही करना ज्यादा किफायती हो सकता है।
2. जब आपके पास सिर्फ थर्ड पार्टी कार इंश्योरेंस हो
उस मामले में, जब आपके पास सिर्फ थर्ड पार्टी कार इंश्योरेंस हो और कॉम्प्रेहेंसिव पॉलिसी , या ओन डैमेज पॉलिसी ना हो तब आपको बहुत ज्यादा चोट लगने या थर्ड पार्टी की संपत्ति को नुकसान होने पर ही कवरेज मिलेगी।
इसका मतलब है कि आपको अपनी कार में हुए किसी भी नुकसान के लिए कवरेज नहीं मिलेगी, फिर यह नुकसान चाहे दुर्घटना या प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप या बाढ़ से ही क्यों न हुआ हो। तो अगर आपकी कार को नुकसान हुआ है तो आप क्लेम फाइल नहीं कर पाएंगे क्योंकि यह अस्वीकार कर दिया जाएगा। पूरी कवरेज के लिए यह अच्छा रहेगा कि कॉम्प्रेहेन्सिव कार इंश्योरेंस पॉलिसी ही चुनी जाए।
3.जब डिडक्टबल घाटों से ज्यादा हों
डिडक्टबल वो राशि है जो क्लेम के समय आपकी इंश्योरेंस कंपनी की ओर से बाकी की राशि का भुगतान करने से पहले आपको अपनी जेब से देनी होती है। तो अगर मरम्मत की लागत इस डिडक्टबल से थोड़ी ज्यादा या थोड़ी कम है तो क्लेम करने का कोई फायदा नही होगा।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए आपकी दुर्घटना हो गई है और आपकी कार में ₹1,000 के नुकसान हुए हैं। लेकिन आपकी इंश्योरेंस पॉलिसी ले अनिवार्य डिडक्टबल ₹1,500 के हैं। तो क्योंकि क्लेम की राशि डिडक्टबल से कम है तो यह स्वीकार्य नहीं होगा।
दूसरे उदारहण में, अगर आपके क्लेम की राशि ₹2,000 है, इस मामले में इंश्योरेंस कंपनी की ओर से शेष ₹500 देने से पहले आपको ₹1,500 के डिडक्टबल की सीमा से बाहर आना होगा। लेकिन क्लेम फाइल करने के लिए आपका एनसीबी खर्च हो जाएगा और यह बड़ी राशि नहीं है तो क्लेम करने का कोई फायदा नहीं होगा।
4. जब आप अपना नो क्लेम बोनस बचाना चाहें
जब आप बिना क्लेम किए पॉलिसी का साल पूरा कर लेते हैं तो आपकी इंश्योरेंस कंपनी आपको नो क्लेम बोनस (याएनसीबी) देगी, जो कि रिन्यूअल पर आपके ओन डैमेज प्रीमियम* पर छूट होगी। यह हर साल पहले साल के लिए 20% के साथ और 5 क्लेम-फ्री सालों के लिए 50% तक के लिए जमा होता है।
इसलिए अगर मरम्मत की लागत छूट की तुलना में कम है तो क्लेम करके एनसीबी खत्म हो सकता है और आपको इसे शुरू से फिर जमा करना होगा। दूसरी तरफ, अगर इस छोटी राशि का भुगतान आप अपनी जेब से करते हैं तो आपकी एनसीबी बच जाएगी और आगे चलकर प्रीमियम के लिए आपको कम भुगतान करना होगा।
उदाहरण के लिए, अगर आपका ओन डैमेज प्रीमियम ₹3,000 के करीब है और आपके पास 3 क्लेम-फ्री साल रहे हैं। तब एनसीबी 35% या ₹1,050 होगा। इसलिए मरम्मत की कुल लागत इस राशि से कम होगी, तब आपके लिए क्लेम करके अगले साल के लिए एनसीबी के फायदों को खोना सही नहीं होगा।
*नोट: कॉम्प्रेहेंसिव कार इंश्योरेंस प्रीमियम दो कंपोनेंट से मिलकर बना है, एक ओन डैमेज के लिए और एक थर्ड पार्टी को हुए नुक्स्सान के लिए। अगर आपके पास अकेली ओन डैमेज पॉलिसी है तो इसके लिए एनसीबी की गणना अलग से होगी।
5.जब नुकसान थर्ड पार्टी की गलती की वजह से हुआ हो
अगर दुर्घटना में आपकी कार को किसी और की गलती की वजह से नुकसान हो गया है तो आप उनके लिए थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस का क्लेम कर सकते हैं। एक बार जब आप एफआईआर दर्ज कर देते हैं तो आप व्यक्ति के थर्ड-पार्टी कार इंश्योरेंस की जानकारी का इस्तेमाल करके इंश्योरेंस पॉलिसी के अंतर्गत क्लेम कर सकते हैं।
इस मामले में, मुआवजा उनकी इंश्योरेंस कंपनी देगी तो आपको अपने नुकसान के लिए अपनी ओन डैमेज पॉलिसी के अंतर्गत क्लेम फाइल करने की जरूरत नहीं होगी।