अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस ले रहे हैं, तो आपको एक टर्म प्लान के बारे में भी सोचना चाहिए। टर्म प्लान एक लंबी अवधि का इंश्योरेंस प्लान होता है, जिसमें पॉलिसीधारक की मौत होने पर इंश्योरेंस पॉलिसीधारक के नॉमिनी को इंश्योरेंस राशि मिलती है।
लेकिन पॉलिसीधारक को खरीदी गई इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रकार के आधार पर प्रीमियम का या एकमुश्त भुगतान करना होगा। कुछ टर्म पॉलिसी में, पॉलिसीधारकों को गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, दिल का दौरा, ऑर्गैन फ़ेल हो जाने, वगैरह के इलाज के लिए नकद भुगतान भी दिया जाता है।
ये पॉलिसी बीमारी के प्रकार जैसे क्रिटिकल इलनेस और टर्मिनल इलनेस के साथ-साथ पॉलिसी के नियमों और शर्तों के आधार पर इंश्योरेंस राशि का भुगतान करती हैं। अपनी पॉलिसी चुनने से पहले क्रिटिकल इलनेस और टर्मिनल इलनेस के बीच के अंतर को समझना बहुत जरूरी है। इन दो तरह की बीमारियों के बीच साफ-साफ अंतर जानने के बाद अपने लिए उपयुक्त प्रकार की इंश्योरेंस पॉलिसी चुनना आसान हो जाता है।
टर्मिनल इलनेस क्या होती है?
सरल शब्दों में, लाईलाज बीमारियों को टर्मिनल इलनेस कहते हैं। दुर्भाग्य से, ऐसी बीमारियां खासकर शहरों में बहुत तेज गति से बढ़ रही हैं, जिनकी वजह से इनसे पीड़ित मरीजों में जीवन प्रत्याशा कम हो रही है।
ऐसी स्थितियों में टर्मिनल इंश्योरेंस पॉलिसी बहुत फ़ायदेमंद हो जाती है, जिसमें पॉलिसीधारक की मौत के बाद नॉमिनी को इंश्योरेंस राशि के साथ ही अतिरिक्त बोनस भी मिलता है। कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि अगर पॉलिसीधारकों की जीवन प्रत्याशा केवल 12 महीने से कम मानी जा रही है, तो इंश्योरेंस देने वाली कंपनी उनको कुल इंश्योरेंस राशि का 25% तक भुगतान करती हैं।
हालांकि, ऐसे मामलों में पॉलिसीधारक को इलाज के लिए पहले भुगतान कर दी गई राशि को घटा कर मृत्यु लाभ की राशि दी जाती है।
क्रिटिकल इलनेस क्या होती है?
क्रिटिकल इलनेस वो बीमारियां होती हैं, जो गंभीर होती हैं लेकिन वो गहन मेडिकल इलाज से ठीक हो सकती हैं। कुछ सामान्य क्रिटिकल इलनेस हैं; दिल का दौरा, कैंसर, स्ट्रोक, विकलांगता, लकवा, अंधापन, ऑर्गैन ट्रांसप्लांट, वगैरह। आम तौर पर लाइफ़ इंश्योरेंस में, पॉलिसीधारक अगर किसी भी बीमारी से पीड़ित होते हैं, चाहे किसी भी तरह की बीमारी हो, उनको कुछ निश्चित सीमा तक फ़ायदा मिलता है।
लेकिन हेल्थ इंश्योरेंस के मामले में, पॉलिसीधारक को वित्तीय फ़ायदा तभी मिलता है जब वह अस्पताल में भर्ती होता है, बशर्ते क्लेम वैध हो और इंश्योर किए गए व्यक्ति का खर्च सम इंश्योर्ड की सीमा से ज्यादा न हो। लेकिन क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी के साथ ऐसा नहीं होता।
क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में, इंश्योर किए गए व्यक्ति को एक निश्चित और एकमुश्त फ़ायदा मिलता है, और यह मुख्य तौर पर तब मिलता है जब क्रिटिकल इलनेस का इलाज बहुत महंगा होता है। लेकिन आपके एक मुश्त फ़ायदा लेने के बाद आपको इंश्योरेंस कंपनी की तरफ से, पॉलिसी को रिन्यू कराने तक कोई और फ़ायदा नहीं मिलेगा।