आयुष को हेल्थ केयर सिस्टम के तहत आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी के तौर भी जाना जाता है।
आयुष का ट्रीटमेंट पूरी तरह से प्राकृतिक तत्वों पर आधारित है। हालांकि, किसी ख़ास बीमारी का इलाज करने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए, इसमें दवाइयों का भी इस्तेमाल किया जाता है।
हालांकि ये दवाइयां आमतौर पर प्राकृतिक इंग्रीडिएंट से ही बनी होती हैं, जिसकी वजह से इनका शरीर पर बेहतर असर होता है और साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होते।
आईआरडीएआई (IRDAI) के नियमों में बदलाव होने के बाद, हमारी जैसी बहुत सी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां अब आयुष ट्रीटमेंट को भी कवर कर रही हैं। खास तौर पर परिवार के वे इंश्योर्ड व्यक्ति इसमें कवर होते हैं, जिनकी उम्र 60 या इससे ऊपर है।
अस्वीकरण: इस समय, डिजिट में हम हेल्थ प्लान में आयुष बेनिफ़िट नहीं दे रहे हैं.
आयुष ट्रीटमेंट की अहमियत
हाल के सालों में लोगों की रूचि पारंपरिक दवाओं से हटकर दूसरे वैकल्पिक इलाजों की ओर भी बढ़ी है। जैसे, होम्योपैथी, आयुर्वेद, नैचुरोपैथी और योग। इस ट्रेंड को ध्यान में रखते हुए हमारी जैसी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने आयुर्वेद ट्रीटमेंट कवर को हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का हिस्सा बनाया है।
इसलिए, अगर आप वैकल्पिक इलाज पर विश्वास करते हैं, तो हम यहां हेल्थ इंश्योरेंस में आयुष जैसे वैकल्पिक इलाज के बारे में आपको सबकुछ बताएंगे।
आज की हेल्थ केयर सेवा में आयुष
आयुष से जुड़े इलाज के बारे में ज्यादा से ज्यादा बताने और फायदे देने के मकसद से भारत सरकार ने 2014 में आयुष मंत्रालय का गठन किया था। इसके बाद, आयुष ट्रीटमेंट की सुविधा देने वाले अस्पतालों में और ज़्यादा गुणवत्ता बहाल करने के लिए, नेशनल बोर्ड फ़ॉर हॉस्पिटल (एनएबीएच) की शुरुआत की गई।
आज पूरे भारत में 50 से ज्यादा मान्यता प्राप्त अस्पताल आयुष पद्धति से इलाज की बेहतरीन सुविधा दे रहे हैं।
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