ड्राइविंग लाइसेंस के नए नियम ड्राइविंग की ट्रेनिंग को बेहतर बनाने और ड्राइविंग ट्रेनिंग के टेस्ट को सटीक बनाने पर ध्यान देते हैं। इस ट्रेनिंग की बारीकियों की मदद से लोगों को इंडस्ट्री लेवल ट्रेनिंग मिलेगी। इससे उन्हें सड़क के नियमों का पालन करते हुए विनम्रता के साथ अच्छी तरह वाहन चलाने में मदद मिलेगी।
अब लाइसेंस लेने की प्रक्रिया आरटीओ में टेस्ट पास करने पर नहीं, बल्कि पूरी तरह से और व्यवस्थित ट्रेनिंग के बाद संस्थान में ड्राइविंग टेस्ट पास करने पर निर्भर करेगी।
हर पांच साल के बाद, संस्थान को अपनी मान्यता रिन्यू करानी होती है। ट्रेनिंग की प्रक्रिया को मज़बूत करने के लिए ड्राइविंग संस्थान को सरकारी परिवहन प्राधिकरण द्वारा नीचे दिए गए बिंदुओं की जांच के बाद संबद्धता या मान्यता प्राप्त होगी -
- टू-व्हीलर और और थ्री-व्हीलर वाहनों के ट्रेनिंग सेंटर के लिए कम से कम एक एकड़ जमीन होनी चाहिए। भारी वाहनों की ट्रेनिंग के लिए दो एकड़ जमीन होनी चाहिए।
- एक स्टिम्यूलेटर और टेस्टिंग ट्रैक होना चाहिए।
- ट्रेनर का कम से कम 12वीं पास होना और उसके पास 5 साल का ड्राइविंग अनुभव होना ज़रूरी है।
- यह केंद्र, आईटी और बायोमेट्रिक सिस्टम से लैस होना चाहिए।
- ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी द्वारा तय पाठ्यक्रम के अनुसार, उच्च गुणवत्ता वाले ड्राइविंग ट्रैक टेस्ट कराना ज़रूरी है।
- हल्के वाहनों के लिए ट्रेनिंग 29 घंटे की होगी और इसे शुरू होने के चार सप्ताह के भीतर पूरा करना होगा। इसे थ्योरी और प्रैक्टिकल पाठ्यक्रम में बांटा जाएगा। थ्योरी के लिए 8 घंटे और प्रैक्टिकल ड्राइविंग लर्निंग के लिए 21 घंटे।
- मध्यम और भारी मोटर वाहनों के लिए ट्रेनिंग की अवधि 38 घंटे होगी और इसे शुरू होने के 6 सप्ताह के भीतर पूरा किया जाना चाहिए। थ्योरी के लिए 8 घंटे और प्रैक्टिकल के लिए 31 घंटे।