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क्रेडिट रिपोर्ट क्या होती है?

सोर्स: debt

एक क्रेडिट रिपोर्ट (क्रेडिट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट, क्रेडिट फाइल या क्रेडिट हिस्ट्री के नाम से भी जानी जाती है) व्यक्ति के क्रेडिट कार्ड और क़र्ज़ सहित क्रेडिट अकाउंट का विस्तृत रिकॉर्ड होती है। ये संभावित उधार देने वालों को आपकी पेमेंट हिस्ट्री, वर्तमान और पुराने क्रेडिट मिक्स से जुड़ी जानकारी देने के साथ ये भी बताती है कि आप अपने क्रेडिट का प्रबंधन कैसे कर रहे थे।

ये रिपोर्ट इसके बाद व्यक्ति के क्रेडिट स्कोर की गणना भी करती है। क़र्ज़दाता क्रेडिट रिपोर्ट और क्रेडिट स्कोर दोनों का इस्तेमाल करके ये निर्णय लेते हैं कि वह क़र्ज़ और क्रेडिट के लिए आपके अनुरोध को मंजूरी देंगे या नहीं।

भारत में चार क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो हैं जो निम्न क्रेडिट रिपोर्ट तैयार करते हैं– ट्रांस्युनियन सिबिल, सिबिल हाइमार्क और इक्वीफैक्स। ये ब्यूरो आपके बैंक, उधार देने वालों और अन्य लेनदारों से आपकी फाइनेंशियल हिस्ट्री के बारे में जानकारी लेते हैं।

क्रेडिट रिपोर्ट अहम क्यों होती है?

क्योंकि क्रेडिट रिपोर्ट इस बात का सारांश है कि व्यक्ति अपने क्रेडिट अकाउंट को कैसे हैंडल करता है, इसलिए ये एक अहम दस्तावेज है। संभावित क़र्ज़दाता और लेनदार क्रेडिट रिपोर्ट का इस्तेमाल ये निर्णय लेते हैं कि वह क्रेडिट के लिए आपके आवेदन को मंजूरी देंगे या नहीं—वह यह भी निर्धारित कर सकते हैं कि आपको अपने मुताबिक शर्तें मिलती हैं या नहीं।

आपकी क्रेडिट रिपोर्ट अन्य लोग भी देख सकते हैं जैसे इंश्योरेंस से जुड़े उद्देश्यों के लिए। इसलिए, जरूरी है कि अपनी क्रेडिट रिपोर्ट नियम से जांची जाए। इस तरह से आप ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि वहां मौजूद जानकारी सही और पूरी है।

अपनी क्रेडिट रिपोर्ट कैसे पाएं?

आप अपना क्रेडिट स्कोर कभी भी जांच सकते हैं लेकिन फिर भी रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने यह अनिवार्य कर दिया है कि सभी चार क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियां हर 12 महीने में एक फ्री क्रेडिट रिपोर्ट आपको दें। अगर आप अक्सर अपनी क्रेडिट रिपोर्ट जांचना चाहते हैं, तो आप अतिरिक्त भुगतान रिपोर्ट चुन सकते हैं।

आप अपनी क्रेडिट रिपोर्ट कैसे जांच सकते हैं, यहां बताया गया है:

  • चरण 1: चार क्रेडिट ब्यूरो में से एक की वेबसाइट पर जाएं जैसे सिबिल, एक्सपीरियन, सीआरआईएफ हाइमार्क या एक्वीफैक्स

  • चरण 2: “फ्री क्रेडिट रिपोर्ट” के विकल्प पर क्लिक करें।

  • चरण 3: लॉग इन करने के लिए अपनी जानकारी दर्ज करें जैसे आपका नाम, मोबाइल नंबर और ईमेल एड्रेस।

  • चरण 4: आपसे जन्म की तारीख, निवास का पता और सरकार की ओर से मंजूर पहचान पत्र (पैन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र वगैरह) का इस्तेमाल करके अपनी पहचान वरिफ़ाई करने को कहा जाएगा।

  • चरण 5: एक बार जब ये जानकारी वेरिफ़ाई हो जाती है तो आपसे आपकी क्रेडिट हिस्ट्री के बारे में कुछ और सवाल पूछे जा सकते हैं।

  • चरण 6: अगर आपको भुगतान करने के बाद क्रेडिट रिपोर्ट मिली है तो आप एनईएफटी या संलग्न डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से फीस की राशि का भुगतान कीजिए।

  • चरण 7: वेबसाइट, कुरियर, डाक या ईमेल के माध्यम से फॉर्म भरें।

  • चरण 8: प्रमाणित होने के बाद आपकी पूरी क्रेडिट रिपोर्ट रजिस्टर्ड ईमेल एड्रेस या निवास के पते पर डिलीवर कर दी जाएगी।

क्रेडिट रिपोर्ट में कौन सी जानकारी शामिल होती है?

एक व्यक्ति की क्रेडिट रिपोर्ट उस डाटा से बनती है जिसे क्रेडिट ब्यूरो के साथ विभिन्न बैंक और वित्तीय संस्थान साझा करते हैं। ये डाटा उनकी क्रेडिट से जुड़ी गतिविधि जैसे चुकौती का रिकॉर्ड, क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल, क्रेडिट कार्ड या क़र्ज़ के लिए पहले किए गए आवेदन वगैरह के बारे में होता है। इसको बाद में एक विस्तृत दस्तावेज में बदल दिया जाता ।  

आमतौर पर, क्रेडिट रिपोर्ट में निम्न जानकारी शामिल होती है।

पहचान और संपर्क से जुड़ी जानकारी

इस सेक्शन में होगा:

  • व्यक्तिगत जानकारी: आपका नाम, जन्म की तारीख, लिंग और केवाईसी।

  • संपर्क की जानकरी: आपका पता (और पुराना पता) और कांटेक्ट नंबर।

  • रोजगार की जानकारी: बैंक और वित्तीय संस्थानों की ओर से बताई गई आपकी मासिक या वार्षिक आय।

क्रेडिट स्कोर

ये 300-900 के बीच 3-संख्या का नंबर होता है जिसकी गणना आपकी क्रेडिट हिस्ट्री के आधार पर की जाती है।

क्रेडिट समरी

इसमें आपकी क्रेडिट जानकारी शामिल होगी जैसे ली गई राशि (उदाहरण के लिए क्रेडिट कार्ड की संख्या, राशि और लिया गया क़र्ज़), क्रेडिट का प्रकार और क्रेडिट को कैसे व्यवस्थित किया गया है।

हाल की गतिविधि

इसमें जानकारियां शामिल हैं जैसे अपने नए खाते के लिए आवेदन किया या नया क्रेडिट सुरक्षित किया है। इसके आतिरिक्त, इसमें वो खाता भी होगा जिसे बंद कर दिया गया है।

खाते का विवरण

आपके अकाउंट नंबर और प्रकार एक साथ वर्तमान बैलेंस और आपके खाते के मुताबिक भुगतान के मासिक रिकॉर्ड का विवरण। इसमें ये भी बताया जाएगा कि भुगतान, समय पर, देर से या फिर नहीं किया गया है।

पूछताछ

इस सेक्शन में की गईं क्रेडिट इंकवायरी की संख्या का विवरण होता है। हर बार जब आप क्रेडिट के लिए आवेदन करते हैं जैसे क़र्ज़ या क्रेडिट कार्ड तो “हार्ड इंकवायरी” आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में दर्ज हो जाती है। पूछताछ की ज्यादा संख्या दिखाती हैं कि आप अपने क्रेडिट को अच्छे से व्यवस्थित नहीं कर पा रहे हैं।

क़र्ज़दाता आपके क्रेडिट रिपोर्ट में क्या देखते हैं?

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि क़र्ज़दाता संभावित लोग आपके क्रेडिट कार्ड को ये निर्णय लेने के लिए देखते हैं कि वह आपके क़र्ज़ या क्रेडिट के अनुरोध को मंजूर करेंगे या नहीं। यहां पर कोई ऐसा बड़ा नियम नहीं है जिसके साथ क़र्ज़दाता संभावित उधारकर्ता  को लेकर निर्णय लेते हों, लेकिन फिर भी यहां पर कुछ तथ्यों के बारे में बताया गया है, जिन पर वह विचार करेंगे:

  • क्रेडिट स्कोर: संभावित क़र्ज़दाता पर पहला असर आपके क्रेडिट स्कोर का ही पड़ता है क्योंकि इसके साथ उनको ये संभावना दिख जाती है कि आप क़र्ज़ बकाया रख सकते हैं।  इसलिए जरूरी है कि आपके पास अच्छा क्रेडिट स्कोर हो (उदाहरण के लिए 700 से ज्यादा)।

  • चुकौती का इतिहास: क़र्ज़दाता जिस एक तथ्य पर सबसे ज्यादा ध्यान देते हैं वह है आपकी ओर से अवधि बीतने के बाद भी चुकाया न गया भुगतान (पहले और वर्तमान दोनों का) और इसके साथ क़र्ज़ के लिए किया गया कोई भी एकमुश्त भुगतान भी।  

  • आप पर कितना बकाया है: आपके पास मौजूद क़र्ज़ और क्रेडिट कार्ड के प्रकार के साथ उनकी संख्या भी इसमें शामिल हैं। आमतौर पर, बहुत ज्यादा क़र्ज़ होने से नए क़र्ज़ के चुकौती की क्षमता कम हो जाती है।

  • क्रेडिट पर निर्भरता: क़र्ज़दाता “क्रेडिट-हंग्री बिहेवियर” या फिर क्रेडिट पर ज्यादा निर्भरता पर भी ध्यान देते हैं। इसमें कम समयावधि में कई क़र्ज़ या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन और क्रेडिट का ज्यादा इस्तेमाल शामिल है।

  • व्यक्तिगत जानकारी: हो सकता है कि क़र्ज़दाता आपके रोजगार और निवास से जुड़े इतिहास और स्थायित्व को भी देखें।

आमतौर पर, अगर आप क्रेडिट के जिम्मेदारी भरे इस्तेमाल का लंबा रिकॉर्ड दिखाते हैं तो आपको क़र्ज़दाता के लिए कम जोखिम का माना जाएगा। इसके चलते आपके क्रेडिट के मंजूर होने और बेहतर डील मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

एक व्यक्ति की क्रेडिट रिपोर्ट उनकी क्रेडिट गतिविधि का संक्षेप रूप होता है। उन्होंने कितना बकाया किया हुआ है, कितनी बार वो अपने बिल का भुगतान समय पर करते हैं और कितने लंबे समय तक उन्होंने जिम्मेदारी के साथ अपने क्रेडिट अकाउंट को प्रबंधित किया है, जैसी बातें इसमें शामिल होती हैं।

इस रिपोर्ट का इस्तेमाल व्यक्ति के क्रेडिट स्कोर की गणना करने में किया जाता है और एक साथ इनका इस्तेमाल उधार देने वालों की ओर से उधारकर्ता की कर्ज, क्रेडिट कार्ड, या क़र्ज़ वापस करने की योग्यता उदाहरण के लिए “क्रेडिट जोखिम” का आंकलन करने में किया जाता है। इसलिए ये जरूरी है कि अच्छी क्रेडिट हिस्ट्री बनाकर रखी जाए ताकि किसी को भी क्रेडिट की जरूरत पड़ने पर इसके मौके आसानी से मिल सकें।

अक्सर पूछे जाने वले सवाल

क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट रिपोर्ट के बीच क्या अंतर होता है?

क्रेडिट स्कोर 300-900 के बीच तीन-संख्या का नंबर होता है जो किसी व्यक्ति की क्रेडिट साख को दर्शाता है। हालांकि, क्रेडिट रिपोर्ट (ये क्रेडिट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट या सीआईआर के नाम से भी जानी जाती है) क्रेडिट हिस्ट्री का ज्यादा व्याख्यात्मक रूप होती है।

आपकी क्रेडिट रिपोर्ट कितनी बार अपडेट की जाती है?

आमतौर पर, क़र्ज़दाता, बैंक और अन्य लेनदार आपकी जानकारी क्रेडिट ब्यूरो को मासिक आधार पर देते रहते हैं (हालांकि, महीने के जिस दिन वो ये जानकारी भेजते हैं, वो अलग हो सकती है)। इसलिए, आपके लेनदार कब आपकी पेमेंट हिस्ट्री भेजते हैं, इसके मुताबिक क्रेडिट रिपोर्ट मासिक आधार पर अपडेट हो जाती है।

आप अपनी क्रेडिट रिपोर्ट कितनी बार देख सकते हैं?

आरबीआई ने व्यक्तियों के लिए हर क्रेडिट ब्यूरो से एक फ्री क्रेडिट रिपोर्ट लेना अनिवार्य बना दिया है।

साल में कम से कम एक बार क्रेडिट रिपोर्ट जांचने की सलाह दी जाती है, फिर भी हर तिमाही ये जांच करना बेहतर होता है। हालांकि, अगर आप अक्सर ही क्रेडिट एक्टिविटी करते हैं तो आप इसे और ज्यादा बार भी जांच सकते हैं।

ध्यान रखिए कि अपनी क्रेडिट रिपोर्ट की खुद जांच करने को “सॉफ्ट इंक्वायरी” कहा जाता है और ये आपकी क्रेडिट रिपोर्ट या स्कोर पर असर नहीं डालता है।

नियमित क्रेडिट स्कोर जांचना कितना जरूरी होता है?

अगर आप नियमित तौर पर अपने क्रेडिट अकाउंट (जैसे क्रेडिट कार्ड या क़र्ज़) का इस्तेमाल करते हैं तो ये जरूरी है कि आप अपनी क्रेडिट रिपोर्ट और क्रेडिट स्कोर की नियमित तौर पर जांच करें। अपना क्रेडिट स्कोर जांचकर आप खरीदारी से जुड़े बड़े निर्णय ले पाएंगे और आपको ये सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी कि आपका क्रेडिट स्कोर बेहतर रहे। 

इसके अरितिक्त, अगर कोई भी गलतियां या जानकारियां हैं जिसको आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में सुधारा जाना है तो आप उन्हें पहचानकर सही करा सकते हैं।

आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में किसी तरह की गलतियां हो सकती हैं?

कुछ सामान्य गलतियां जो आपके क्रेडिट रिपोर्ट हो सकती हैं, वो हैं:

  • पुरानी जानकारी: पुरानी हो चुकी व्यक्तिगत जानकारी जैसे पता, कॉन्टेक्ट नंबर वगैरह।
  • खाते की गलत जानकारी: खाते का गलत नंबर, गलत पेमेंट हिस्ट्री या अन्य जानकारी।    
  • खाते में गलतियां: आपके नाम से जुड़े खाते छूट गए हैं, या किसी और का गलत खाता जोड़ दिया गया है। इसमें गलत रिपोर्ट और गलत पहचान शामिल हो सकते हैं।
  • लिपिकीय गलतियां: आपके जन्म की तारीख, कांटेक्ट नंबर में हुई गलतियों की वजह से भी पहचान से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं।

ये बहुत जरूरी है कि इन गलतियों को डिस्प्यूट रिजोल्यूशन फॉर्म का इस्तेमाल करके जल्दी से जल्दी सुधार लिया जाए। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसका आपके क्रेडिट स्कोर पर गहरा असर हो सकता है। और भी खराब स्थिति की बात करें तो इसकी वजह से पहचान की गलती या पहचान को चुराया भी जा सकता है। अगर सुलझाया ना जाए तो यह गंभीर समस्या हो सकती है।

क्रेडिट रिपोर्ट में गलती कैसे सुधारें?

अगर आपको क्रेडिट रिपोर्ट में कोई परेशानी या गलती मिलती है तो समस्या हल करने के लिए निम्न चरणों का पालन करें:

चरण 1: नियमित तौर पर अपनी क्रेडिट रिपोर्ट देखें और गलतियों की पहचान करें।

चरण 2: पहचान हो जाने के बाद, गलती के लिए संबंधित अथॉरिटी को रिपोर्ट कर दें। उदाहरण के लिए, वित्तीय संस्थान पर अगर गलती है तो क्रेडिट ब्यूरो की ओर से बदलाव किए जाने से पहले आपको इसे सुधारना होगा।

चरण 3: अगर संबंधित व्यक्ति ने रिपोर्ट किए जाने के 30 दिनों के अंदर सुधार नहीं किए हैं, तो गलती सुधारने के लिए आप लोकपाल (या सरकारी अधिकारी) से संपर्क कर सकते हैं।

चरण 4: एक बार जब सुधार कर दिए जाएंगे (या फिर गलतियां सुधारना संभव न हो) तो क्रेडिट ब्यूरो इसके बारे में सूचना दे देगा। 

गलतियों की सूचना देने के लिए आप डिस्प्यूट फॉर्म यहां से ले सकते हैं: सिबिल, एक्पीरियन, सीआरआईएफ हाइमार्क या इक्वीफेक्स