यहां कुछ ठोस कारण बताए गए हैं कि क्यों सरकारी कर्मचारियों को पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस के साथ अपने मौजूदा कवरेज को सप्लीमेंट करने के बारे में सोचना चाहिए।
1. नेटवर्क अस्पतालों की सीमित उपलब्धता
सरकारी कर्मचारियों के लिए प्राथमिक चिंताओं में से एक सरकार के इंश्योरेंस प्लान के तहत नेटवर्क अस्पतालों की सीमित उपलब्धता है।
अधिकांश समय, सरकारी कर्मचारिओं की पोस्टिंग पूरे देश में कहीं भी और कुछ मामलों में, यहां तक कि विदेश में भी होती है। हालांकि, सरकारी हेल्थ प्लान के नेटवर्क अस्पताल हर जगह मौजूद नहीं हो सकते हैं।
इससे काफी समस्या हो सकती है, और कर्मचारियों को अपने घर से उचित दूरी के भीतर अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं पाने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
2. माता-पिता के लिए अतिरिक्त कवर
कई सरकारी कर्मचारी अपने माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज बढ़ाना चाहते हैं। हालांकि, मौजूदा सरकारी इंश्योरेंस प्लान अक्सर माता-पिता के लिए सीमित कवरेज देती हैं, जिससे कर्मचारी चिकित्सा आपात स्थिति के मामले में आर्थिक रूप से कमजोर हो जाते हैं। पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने से सरकारी कर्मचारियों को खास रूप से उनके माता-पिता की हेल्थ केयर जरूरतों के हिसाब से अतिरिक्त कवर मिल जाता है।
3. गंभीर बीमारियों के लिए विशेष उपचार
कुछ गंभीर बीमारियों के लिए विशेष उपचार की जरुरत होती है, जो सूचीबद्ध अस्पतालों में उपलब्ध नहीं हो सकता है। कई बार ऐसी गंभीर बीमारियों के लिए देश या विदेश में भी कुछ विशिष्ट उपचार केंद्र होते हैं।
अगर सरकारी कर्मचारियों को या उनके परिवार के सदस्यों को ऐसे महत्वपूर्ण उपचार की जरुरत होती है और वे नेटवर्क सुविधाओं तक ही सीमित हैं तो सरकारी इंश्योरेंस कवरेज में सीमाओं के कारण, सरकारी कर्मचारी खुद को एक कठिन स्थिति में पा सकते हैं ।
प्राइवेट हेल्थ इंश्योरेंस चुन कर, लोगों को अस्पतालों और विशेषज्ञों के बड़े नेटवर्क तक पहुंच प्राप्त होती है, जिससे गंभीर बीमारियों के लिए मौजूद सबसे अच्छे उपचार मिलने में मदद मिलती है।
4. सूचीबद्ध अस्पतालों से असंतोष
सरकारी इंश्योरेंस प्लान में अक्सर विशिष्ट अस्पतालों के साथ टाई-अप होता है, जिससे कर्मचारियों की पसंद सीमित हो जाती है। कुछ मामलों में, इन सूचीबद्ध अस्पतालों मिलने वाली सुविधाओं की गुणवत्ता सरकारी कर्मचारियों की अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं हो सकती है। प्राइवेट हेल्थ इंश्योरेंस में निवेश करके, व्यक्ति अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर अस्पतालों और हेल्थ केयर प्रोवाइडर को चुन सकते हैं, जिससे ज्यादा संतुष्टि और बेहतर हेल्थ केयर परिणाम सुनिश्चित हो सकते हैं।
5. जटिल प्रक्रियाएं
सरकारी इंश्योरेंस प्लान में अक्सर जटिल प्रशासनिक प्रक्रियाएं शामिल हो सकती हैं, जिसके कारण देरी और रुकावटें होती हैं। प्राइवेट हेल्थ इंश्योरेंस प्लान आम तौर पर सुव्यवस्थित और कुशल क्लेम निपटान प्रक्रियाओं की पेशकश करते हैं, ज्यादातर समय, डिजिटल और परेशानी मुक्त प्रक्रियाएं, लोगों पर बोझ को कम करती हैं और उन्हें अपने स्वास्थ्य और कल्याण पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देती हैं।
यह उन रिटायर कर्मचारियों के लिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जो अब सीनियर सिटीजन के स्तर पर पहुंच गए हैं और उनके लिए लंबी और बोझिल प्रक्रियाओं से गुजरना और भी कठिन हो जाता है।
6. आपात्कालीन स्थिति के लिए अतिरिक्त कवर की उपलब्धता
चिकित्सा आपात्कालीन स्थितियां फाइनेंशियल तौर पर थका देने वाली हो सकती हैं, खासकर अगर मौजूदा सरकारी इंश्योरेंस कवरेज अपर्याप्त है। अतिरिक्त प्राइवेट हेल्थ इंश्योरेंस लेकर, सरकारी कर्मचारी अप्रत्याशित चिकित्सा आपात स्थिति के मामले में अपनी फाइनेंशियल सुरक्षा बढ़ा सकते हैं।
ये अतिरिक्त कवर एक सुरक्षा जाल बनाते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि लोगों को बहुत ज्यादा जेब खर्च के बोझ के बिना बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। इसके अलावा, ऐसे मामलों में जब आपात स्थिति को कम अवधि के भीतर पूरा करने की जरुरत होती है और नजदीक में सूचीबद्ध सुविधा की अनुपस्थिति में, यह अतिरिक्त कवर बचाव में आ सकता है।
भारत में सरकारी कर्मचारी हेल्थ इंश्योरेंस बेनिफिट का आनंद लेते हैं, फिर भी ऐसे कई ठोस कारणहैं जो सरकारी इंश्योरेंस प्लान के सप्लीमेंट के महत्व को बढ़ाते हैं।
प्राइवेट हेल्थ इंश्योरेंस में निवेश करके, सरकारी कर्मचारी ऊपर बताई गई सीमाओं को पार कर सकते हैं और अपने हेल्थ केयर विकल्पों पर ज्यादा नियंत्रण प्राप्त कर सकते हैं, न केवल अपनी नौकरी के दौरान बल्कि रिटायर होने के बाद भी जब उन्हें जरुरत हो, अपने और अपने परिवार के लिए कॉम्प्रिहेंसिव कवरेज और मन की शांति सुनिश्चित कर सकते हैं।