डिजिट इंश्योरेंस करें

बाइक इंश्योरेंस ट्रांसफर

एक से दूसरे व्यक्ति को बाइक इंश्योरेंस पॉलिसी कैसे ट्रांसफर करें?

क्या आप बेहतर मॉडल की बाइक खरीदने के लिए अपनी पुरानी बाइक बेचना चाहते हैं?  बाइक के नए मॉडल बाजार में हर साल आते हैं, जिनमें बेहद आकर्षक फ़ीचर और खूबियां होती हैं। अगर आप अपनी राइड को बेहतर बनाना चाहते हैं तो नई बाइक पर निवेश करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

हालांकि, अपने मौजूदा वाहन को हटाकर बाजार में अच्छा दो पहिया वाहन ढूंढने जाने से पहले, आपको यह समझना चाहिए कि क्या आप अपने पुराने वाहन को बेचना चाहते हैं या नहीं। बाइक बेचना हमेशा फायदेमंद होता है, क्योंकि इससे आप अपनी नई बाइक के लिए अच्छा पैसा इकट्ठा कर सकते हैं।  इसके अलावा, आपको ऐसे ग्राहक आसानी से मिल जाते हैं जो कम कीमत पर पुरानी बाइक खरीदने के लिए तैयार रहते हैं।

अपने पुराने दोपहिया वाहन को बेचते समय, बाइक के अगले मालिक को अपनी बाइक की इंश्योरेंस पॉलिसी ट्रांसफर करना न भूलें। ज्यादातर लोग अपने वाहन का रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर करना याद रखते हैं, साथ ही उन्हें बाइक इंश्योरेंस ट्रांसफर का महत्व भी पता होना चाहिए।

अगर संबंधित वाहन भविष्य में किसी भी प्रकार की दुर्घटना का हिस्सा बनता है तो इंश्योरेंस ट्रांसफर न करने पर आप और बाइक के नए मालिक दोनों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

बाइक इंश्योरेंस ट्रांसफर क्या होता है?

बाइक इंश्योरेंस ट्रांसफर का मतलब है अपनी पुरानी बाइक की इंश्योरेंस पॉलिसी को उसके नए मालिक के नाम ट्रांसफर करना। आम तौर पर ऐसे ट्रांसफर तब जरूरी होते हैं जब आप पुराने वाहन खरीद या बेच रहे हों।

आपको अपनी इंश्योरेंस कंपनी को मालिकाना हक के ट्रांसफर के बारे में सूचित कर देना चाहिए। ऐसा करने से इंश्योरेंस कंपनी अपनी कागजी कार्यवाही को अपडेट कर देती हैं जिसमें यह दर्ज कर दिया जाता है कि वह बाइक अब किसी और के नाम हो चुकी है।

आपको अपनी बाइक इंश्योरेंस पॉलिसी क्यों ट्रांसफर करनी चाहिए?

बाइक इंश्योरेंस पॉलिसी का ट्रांसफर  बेहद जरूरी होता है क्योंकि इसके बिना नए मालिक पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। साथ ही, अगर भविष्य में कभी वाहन किसी सड़क दुर्घटना का हिस्सा बनता है और अगर कागजों में नए मालिक का नाम नहीं दर्ज है तो उसके द्वारा क्लेम मांगे जाने पर इंश्योरेंस कंपनी उसे अस्वीकार कर देती है।

अगर आप सेकेंड हैंड बाइक खरीद रहे हैं, तो ध्यान रखें कि उस बाइक का पुराना मालिक इंश्योरेंस पॉलिसी ट्रांसफर से संबंधित सभी प्रकार की औपचारिकताओं को पूरा करे।

इंश्योरेंस पेआउट के बिना, इस प्रकार की दुर्घटना होने पर बाइक के नए मालिक को सभी प्रकार के खर्चों का वहन खुद करना पड़ता है।

इंश्योरेंस पॉलिसी ट्रांसफर करने से पहले, आपको वाहन का मालिकाना हक आधिकारिक रूप से नए मालिक को ट्रांसफर करना होता है।

3 आसान चरणों में बाइक के मालिकाना हक का ट्रांसफर

बाइक बेचने का मतलब नए मालिक को बाइक की चाभी सौपने से कहीं ज्यादा होता है। नए मालिक को बाइक ट्रांसफर करने में नीचे दिए चरण शामिल हैं:

●   चरण 1: अपने दोपहिया वाहन का आधिकारिक मालिकाना हक नए मालिक को ट्रांसफर होने के बाद 14 दिनों के भीतर आपको उसके इंश्योरेंस के ट्रांसफर का आवेदन इंश्योरेंस कंपनी की वेबसाइट पर कर देना चाहिए। सबसे अच्छा तो यह होता है कि मालिकाना हक के ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू करते ही आपको इंश्योरेंस ट्रांसफर की औपचारिकताएं भी शुरू कर देनी चाहिए।

●   चरण 2: परिवहन निदेशालय कार्यालय में फ़ॉर्म 29 और फ़ॉर्म 30, रजिस्ट्रेशन सर्टिफ़िकेट, एमिशन टेस्ट पेपर, इंश्योरेंस के दस्तावेज और अन्य कागज जमा करें। आपको पासपोर्ट साइज़ फ़ोटो भी जमा करनी होती है।

●   चरण 3: सभी दस्तावेज जमा करने के बाद, रजिस्टर करने वाले अधिकारी उनकी पुष्टि करते हैं, और अगर सब सही होता है तो बाइक का मालिकाना हक ट्रांसफर कर दिया जाता है।

परिस्थिति आपको क्या करना चाहिए
अगर खरीदार और विक्रेता दोनों एक ही राज्य में रहते हैं। खरीद के दो सप्ताह के भीतर ही अपने मालिकाना हक के ट्रांसफर की सूचना नियामक संस्था को दें।
अगर खरीदार और विक्रेताअलग राज्यों में रहते हैं। खरीद के 45 दिनों के भीतर ही अपने मालिकाना हक के ट्रांसफर की सूचना नियामक संस्था को दें।
अगर बाइक के मालिकाना हक को आधिकारिक रूप से ट्रांसफर करने से पहले बाइक के मालिक की मृत्यु हो जाती है। खरीदार को घटना की जानकारी नियामक इकाई को 30 दिनों के भीतर देनी होती है।

मालिकाना हक ट्रांसफर होने के बाद, आप बाइक इंश्योरेंस के ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।

बाइक इंश्योरेंस ट्रांसफर की प्रक्रिया

क्या आपको इंश्योरेंस ट्रांसफर की प्रक्रिया के बारे में कुछ भी नहीं पता है? चिंता न करें, आगे पढ़ते रहें।

अगर आपको कुछ जानकारी चरण पता हैं तो इंश्योरेंस ट्रांसफर की प्रक्रिया आपके लिए बेहद आसान होगी। इस काम में नीचे दिए गए तरीके आपकी मदद करेंगे।

  • चरण 1: अपने दो पहिया वाहन के मालिकाना हक के ट्रांसफर के 15 दिनों के भीतर इंश्योरेंस ट्रांसफर के लिए आवेदन कर दें। सबसे अच्छा तो यह होता है कि मालिकाना हक के ट्रांसफर के समय ही आप बाइक के इंश्योरेंस के ट्रांसफर की प्रक्रिया भी शुरू कर दें।
  • चरण 2: बाइक इंश्योरेंस पॉलिसी के ट्रांसफर के लिए कुछ दस्तावेज बेहद जरूरी होते हैं। आप अपने साथ आरसी, मालिकाना हक ट्रांसफर की तारीख दिखाने वाले कागज, इंश्योरेंस पॉलिसी के असली कागज, आपके डीलर का नाम और पॉलिसी प्रीमियम के पिछले भुगतान की कॉपी जैसे दस्तावेज जरूर लाएं।
  • चरण 3: विक्रेता और खरीदार दोनों के केवाईसी कागज अनिवार्य होते हैं। ट्रांसफर का रिकॉर्ड बनाने के लिए पैन कार्ड, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस आदि दस्तावेज भी अपने साथ रखें।
  • चरण 4: विक्रेता के तौर पर, आप अपनी नई बाइक या दो पहिया वाहन के कवरेज को बढ़ाने के लिए अपनी मौजूदा पॉलिसी में किसी अन्य वाहन का नाम जोड़ सकते हैं। ध्यान रखें कि ऐसा करने से प्रीमियम बदल जाता है।
  • चरण 5: विक्रेता को ट्रांसफर के समय अपना थर्ड पार्टी इंश्योरेंस जमा कर देना चाहिए। इससे पॉलिसी आगे बढ़ने पर उसके प्रमियम का पता लगाने में मदद मिलती है।

बाइक इंश्योरेंस ट्रांसफर से विक्रेता को क्या फ़ायदा होता है?

ऐसे ट्रांसफर से बाइक के नए मालिक को कई फ़ायदे होते हैं, लेकिन विक्रेता को लगता है कि इससे उनका कोई फ़ायदा नहीं होने वाला।  यह बिल्कुल भी सच नहीं है।

  • भविष्य में किसी भी कानूनी कार्यवाही से बचाता है: अगर आपके पुराने वाहन से नया मालिक दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है, तब इंश्योरेंस पॉलिसी तभी काम करेगी जब पॉलिसी के कागजों पर नए मालिक का नाम होगा। ऐसा न होने पर, आपको दुर्घटना की जिम्मेदारी उठानी होगी। बात चाहें वित्तीय पहलू की हो या कानूनी पहलू की, इंश्योरेंस पॉलिसी के ट्रांसफर से ऐसे किसी भी संकट से बचा जा सकता है।
  • नई पॉलिसी के लिए नो क्लेम बोनस: मालिकाना हक ट्रांसफर से पहले अगर आप वाहन के इंश्योरेंस पर क्लेम नहीं लेते हैं, तो आप एनसीबी या नो क्लेम बोनस प्राप्त कर सकते हैं।  पॉलिसी ट्रांसफर के समय, आप अपनी एनसीबी दर्शाने वाला सर्टिफ़िकेट ले सकते हैं जो अपके द्वारा नई बाइक के लिए खरीदी जाने वाली अगली इंश्योरेंस पॉलिसी में काम आता है। आधिकारिक रूप से ट्रांसफर कराने से चूक जाने पर, आप अपनी पिछली पॉलिसी पर मिलने वाले एनसीबी से भी हाथ धो बैठते हैं।

तो बात समझ आ गई आपको!

इन सभी बातों को ध्यान में रखें और बाइक बेचने के दौरान उसकी पॉलिसी को ट्रांसफर करना न भूलें। ऐसा करने से दोनों पक्षों को फ़ायदा होता है।

बाइक इंश्योरेंस ट्रांसफर से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या मैं ऐसी बाइक खरीद सकता हूं जिसकी वैध इंश्योरेंस पॉलिसी न हो?

वैसे तो आप ऐसी बाइक खरीद सकते हैं, लेकिन आपको ऐसा न करने की सलाह दी जाती है। आपको हमेशा ऐसा दो पहिया वाहन लेने चाहिए जिसे थर्ड पार्टी इंश्योरेंस से सही तरह से कवर प्राप्त हो।

क्या असली मालिक की एनसीबी से नए मालिक के लिए प्लान का प्रीमियम घट जाता है?

नहीं पुराने मालिक के पास एनसीबी हो या नहीं, पॉलिसी प्रीमियम की कीमत आपके लिए वही रहती है। आप ऐसा बोनस तभी प्राप्त कर सकते हैं जब आप कम से कम एक साल तक उस पॉलिसी पर क्लेम नहीं लेते हैं।

बाइक के नए मालिक को इंश्योरेंस ट्रांसफर के लिए कब आवेदन करना चाहिए?

बाइक के नए मालिक को बाइक के रजिस्ट्रेशन के ट्रांसफर से 14 दिनों के भीतर इंश्योरेंस कंपनी को इंश्योरेंस पॉलिसी ट्रांसफर करने का आवेदन कर देना चाहिए।