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वाहन का रजिस्ट्रेशन एक राज्य से दूसरे राज्य में ट्रांसफ़र करने का तरीका

वाहन रजिस्ट्रेशन ट्रांसफ़र के बारे में यहां सब कुछ विस्तार से जानिये

आपने दिल्ली में एक साल तक अपनी नौकरी करने के बाद, अपने सपनों की कार खरीदी। बॉस आपके काम से बहुत ज़्यादा खुश था। अब वो चाहता है कि आप जयपुर में मौजूद कंपनी के नए दफ्तर में जाकर जिम्मेदारी लें।

यह एक बहुत बड़ा मौका है जिसे आप खोना नहीं चाहते। आपको जयपुर स्थानीय रूप से ट्रांसफ़र होना है। सुनने में सब कुछ बहुत अच्छा लगता है। है न? लेकिन यह तस्वीर का सिर्फ़ एक पहलु था। एक राज्य से दूसरे राज्य में ट्रांसफ़र के शुरुआती खर्चों के साथ-साथ आपकी कार के रजिस्ट्रेशन ट्रांसफ़र के खर्चों ने आपको परेशान कर दिया है।

आपके अपने शहर में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया इतनी बोझिल थी और अब दूसरे राज्य में वही प्रक्रिया डरावने सपने की तरह होगी। इससे पहले कि आप अपनी कार के साथ शिफ्ट होने की योजना बनाएं, आपको आरटीओ के नियमों और कानूनों को जानना होगा। वाहन रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होती है जबः

  • ट्रांसफ़र एक राज्य से दूसरे राज्य में हो।

  • अगर आपका ट्रांसफ़र स्थायी हो।

  • अगर आप एक साल से ज़्यादा के लिए जा रहे हों।

 

अगर आप अस्थायी तौर पर जा रहे हैं, तो आपको वाहन के री-रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं होगी। आइये देखें कि भारत में वाहनों (कार/बाइक) के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया क्या है। और इससे पहले रजिस्ट्रेशन की एक छोटी सी जानकारी दी गई है।

वाहन रजिस्ट्रेशन क्या हैः मतलब और प्रासंगिकता

वाहन (कार/बाइक) के रजिस्ट्रेशन का मतलब है कि आप राज्य प्राधिकरण को यह बताना चाहते हैं कि आप एक वाहन के मालिक हैं और इसे कानूनी रूप से सड़क पर चलाना चाहते हैं।

बदले में आपके राज्य की सरकार यह वेरिफ़ाय करती है कि वाहन का उपयोग किया जा सकता है या नहीं। और अगर यह सही होता है, तो सरकार आपसे सार्वजनिक सड़कों पर वाहन चलाने के लिए रोड़ टैक्स चुकाने के लिए कह सकती है।

यह सभी की सुरक्षा के लिए होता है और इसलिए, हर वाहन को खरीदने के बाद उसे रजिस्टर करना चाहिए। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया जरूरी है क्योंकि यह आपके वाहन को एक पहचान संख्या देती है।

इससे तय होता है कि एक विशेष नंबर वाला वाहन निश्चित रूप से आपका है। जिस तरह एक मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी जरूरी है, वाहन का रजिस्ट्रेशन भी उतना ही जरूरी और अनिवार्य है।

आपको यह पता होना चाहिए कि हर राज्य में रोड़ टैक्स और नियम अलग-अलग होते हैं। यही कारण है कि जब आप स्थायी रूप से किसी दूसरे राज्य में जाते हैं, तो आपको अपने वाहन का री-रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। और जाहिर है कि वाहन को री-रजिस्टर करने की आवश्यकता से पहले रजिस्टर होना जरूरी है।

एक राज्य से दूसरे राज्य में वाहन रजिस्ट्रेशन ट्रांसफ़र करने की प्रक्रिया

स्थायी रूप से दूसरे राज्य में ट्रांसफ़र होने के बाद, वाहन के री-रजिस्ट्रेशन के लिए किसी भी विवाद से बचने के लिए, आपको यह सब करना चाहिए।

  • अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करें: सबसे पहले आपको उस आरटीओ से एनओसी प्राप्त करनी होगी जहां वाहन मूल रूप से रजिस्टर था। सुनिश्चित करें कि एनओसी पर चेसिस नंबर स्पष्ट रूप से छपा हो।

  • वाहन को दूसरे राज्य में ले जाएं: अपने स्थानीय आरटीओ से एनओसी प्राप्त करने के बाद, आप वाहन को उस राज्य में ले जा सकते हैं जहां आप रहेंगे।

  • राज्य के आरटीओ जाएं: आप जिस राज्य में स्थायी रूप से रह रहे हैं उस राज्य के आरटीओ दफ़्तर में जाएं। सभी जरूरी दस्तावेज़ साथ लेना न भूलें।

  • सारे दस्तावेज़ जमा करें: दस्तावेज़ जमा करने से पहले उन्हें वेरिफ़ाय कर लें।

  • रोड़ टैक्स चालान भरें: नए राज्य का आरटीओ आपको रोड़ टैक्स के लिए चालान जारी करेगा। शुल्क के लिए ज़रूरी रकम चुकाएं।

  • वाहन का वेरिफ़िकेशन: आरटीओ अफसर की मौजूदगी में वाहन की जांच करवाएं। अधिकारी या उनका प्रतिनिधि, चेसिस नंबर का प्रिंट लेगा।

  • रजिस्ट्रेशन सर्टिफ़िकेट प्राप्त करें: वेरिफ़िकेशन पूरा होने के बाद, आप उस तारीख की पुष्टि कर सकते हैं जब आपको नए राज्य के लिए आरसी मिल जाएगी।

एनओसी के लिए प्रोटिप

  • एनओसी की समाप्ति तिथि होती है, इसलिए एनओसी के अमान्य होने से पहले आपको इसकी री-रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

  • अगर आपकी कार/बाइक किसी बैंक या एजेंसी से कर्ज़ लेकर खरीदी गई है, तो आपको उस बैंक या एजेंसी से भी एनओसी लेनी होगी।

वाहन के री-रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज़

  • पिछला मूल रजिस्ट्रेशन सर्टिफ़िकेट।

  • फॉर्म 28 या राज्य के पिछले आरटीओ द्वारा जारी एनओसी।

  • फॉर्म 20 जो मोटर वाहन के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन है।

  • फॉर्म 27 जो मोटर वाहन के लिए एक नए रजिस्ट्रेशन मार्क के असाइनमेंट के लिए आवेदन है।

  • आरटीओ दस्तावेज़ के रूप में फॉर्म 29 और 30। 

  • फॉर्म 35 और बिक्री का हलफनामा।

  • पते के सबूत की प्रमाणित प्रति।

  • वैध इंश्योरेंस की प्रमाणित प्रति।

  • प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र की प्रमाणित प्रति।

  • पैन कार्ड और फॉर्म 60 और 61 की प्रति।

क्या होगा अगर आप आरसी ट्रांसफ़र के बिना वाहन चलाएं?

जिस तरह, मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी के बिना आपको वाहन चलाने की अनुमति नहीं होती है उसी तरह से आपको आरसी ट्रांसफ़र भी करना चाहिए। यह बात तब लागू होती है जब आप किसी नए शहर में स्थायी रूप से रहने के लिए जाते हैं। अगर किसी नए शहर में जाने के एक साल बाद तक आप अपना आरसी ट्रांसफ़र नहीं करवाते हैं, तो ट्रैफ़िक पुलिस वालेः

  • आपका वाहन जब्त कर सकते हैं।

  • पहल से तय शुल्क का जुर्माना लगा सकते हैं।

 

इसलिए, आरसी ट्रांसफर करवाना बहुत जरूरी है। क्या आप जानते हैं कि आप रोड टैक्स रिफंड भी मांग सकते हैं? अगर नहीं, तो रिफंड के लिए दावा करने के लिए सब बातें नोट कर लें।

आरटीओ रोड टैक्स रिफंड के लिए आवेदन कैसे करें?

अगर किसी भी मामले में, ट्रांसफ़र के बाद, आपको पता चलता है कि आप जिस राज्य में पहले रह रहे थे वहां भुगतान किया गया रोड टैक्स, मौजूदा टैक्स से ज़्यादा था, तो आप रिफंड के लिए दावा कर सकते हैं। लेकिन इससे पहले कि आप रिफंड के लिए दावा करें, नए राज्य में वाहन के री-रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करना आवश्यक है। रिफंड का आवेदन करने के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ों की जानकारी यहां दी गई है।

  • वाहन के चेसिस नंबर का इंप्रेशन।

  • एक राज्य से दूसरे राज्य में वाहन ट्रांसफ़र के लिए एनओसी।

  • वाहन इंश्योरेंस की प्रति।

  • नए राज्य में आपके द्वारा दिए गए रोड़ टैक्स की रसीद की प्रति।

  • पिछले राज्य में आपके द्वारा दिए गए रोड़ टैक्स की रसीद की प्रति।

  • नए राज्य में आपके पते का प्रमाण।

  • बैंक खाते की जानकारी जिसमें चेक भेजा जाएगा।

 

आप रिफंड के लिए फाइल तभी कर पाएंगे जब आप वाहन के मालिक होंगे। अपना काम शुरू करने के लिए जितनी जल्दी हो सके इन औपचारिकताओं से छुटकारा पाएं।