हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम को कैसे कम करें
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पिछले कुछ सालों में भारतीयों को बढ़ते मेडिकल ख़र्चों के कारण काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों के लिए स्वास्थ्य इलाज के बढ़ते ख़र्च वहन कर पाना मुश्किल होता जा रहा है।
ऐसे में हमें क्या करना चहिए?
एक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ज़रूर लेनी चाहिए!
भारत में, हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा देने वाली करीब 34 कंपनियां हैं। इंश्योरेंस प्लान बीमारी या दुर्घटना में इलाज के ख़र्च को वहन करने में मदद करते हैं। लेकिन कई बार, यह कवर किफ़ायती नहीं होते हैं। इनको ख़रीदना ही काफ़ी महंगा पड़ जाता है।
तो ऐसी स्थिति में आपको क्या करना चाहिए? जानने के लिए आगे पढ़िए!
कम उम्र में हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेना प्रीमियम को कम करने वाले बेस्ट तरीकों में से है।
ज़्यादातर इंश्योरेंस कंपनियां कवर देने से पहले संबंधित व्यक्ति की उम्र और मेडिकल हिस्ट्री की जांच करती हैं। इसलिए जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपके लिए कवर लेना मुश्किल होता जाता है ।
उम्र से जुड़ी कुछ बेहद आम सी बीमारियां जैसे डायबिटीज, हार्ट और ब्लड प्रेशर से जुड़ी दिक्कतें होने पर इंश्योरेंस कंपनी आपकी इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम बढ़ा देती हैं।
इसलिए, कम प्रीमियम वाली पॉलिसी लेने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस तब ख़रीदना चाहिए जब आपकी हेल्थ से जुड़ी दिक्कतें कम से कम हों। इस तरह से आपका प्रीमियम ज़्यादा उम्र में दिए जाने वाले प्रीमियम से काफ़ी कम होगा।
इसके बारे में और ज़्यादा जानें
आप अपनी पॉलिसी में कम सम इंश्योर्ड वाले प्लान का चुनाव करके कम प्रीमियम पेमेंट का फ़ायदा उठा सकते हैं।
पॉलिसी की शुरुआत में आप कम सम इंश्योर्ड वाले प्लान का चुनाव कर सकते हैं और फिर समय के साथ अमाउंट बढ़ाते जाएं। इस तरह से आपकी पॉलिसी ज़्यादा किफ़ायती हो सकती है।
ऐसी कई इंश्योरेंस पॉलिसी हैं जिनमें आप ऑप्ट फ़ॉर डिडक्टिबल और को-पे क्लॉज़ चुन सकते हैं।
लेकिन इनको चुनने से पहले आपको इनका मतलब जानना चाहिए:
को-पेमेंट |
डिडक्टिबल |
को-इंश्योरेंस |
को-पेमेंट का मतलब उस अमाउंट से है जो इलाज के दौरान आप ख़र्च करते हैं, जबकि बाक़ी अमाउंट क्लेम सैटलमेंट में कवर हो जाती है। |
डिडक्टिबल वह फ़िक्स अमाउंट होती है जिसे इंश्योरेंस पॉलिसी द्वारा इलाज ख़र्च के पेमेंट किए जाने से पहले आपको पे करनी होती है। |
इंश्योरेंस कंपनी की ओर से को-पेमेंट के विकल्प के तौर पर को-इंश्योरेंस का इस्तेमाल किया जाता है। |
को-पेमेंट की अमाउंट फ़िक्स होती है लेकिन यह अमाउंट अलग-अलग सर्विस के लिए अलग-अलग रहती है। |
इंश्स्योरेंस पॉलिसी बिल का बड़ा हिस्सा कवर करती है। |
को-इंश्योरेंस के साथ आपको इलाज के ख़र्च का निर्धारित प्रतिशत खुद वहन करना होता है। जबकि बाकी का ख़र्च इंश्योरेंस कंपनी वहन करती है। को-इंश्योरेंस की अमाउंट फ़िक्स नहीं होती है। |
आप कॉस्ट शेयरिंग प्लान के बारे में मिली यह जानकारी हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के प्रीमियम को कम करने में इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसका ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा लेने के लिए उन हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की तुलना करनी होगी जो कॉस्ट शेयरिंग का विकल्प ऑफ़र करती हैं।
इसका कारण यह है कि अगर आप को-पेमेंट और डिडक्टिबल वगैरह की सही अमाउंट नहीं चुनते हैं तो हो सकता है आपने प्रीमियम पेमेंट में जितनी बचत की है उससे कहीं ज़्यादा इलाज का ख़र्च देना पड़ जाए।
को-पेमेंट, को-इंश्योरेंस और डिडक्टिबल में अंतर के बारे में और ज़्यादा जानें
कई बार एंप्लोयर आपको ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी देता है। ऐसे में आपको अतिरिक्त आर्थिक सुरक्षा के लिए अलग से इंडिविजुअल इंश्योरेंस लेना पड़ता है।
इसके साथ पॉलिसी होल्डर, फ़ैमिली फ़्लोटर प्लान भी लेते हैं जिसके साथ उनके परिवार का भी इंश्योरेंस हो जाता है।
कई सारी इंश्योरेंस पॉलिसी होने पर आपके लिए प्रीमियम का पेमेंट करना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में बेहतर होगा कि आप इंडिविजुअल इंश्योरंस ही लें। इस दौरान दूसरे इंश्योरेंस कवर से मिलने वाले फ़ायदों को भी ज़रूर ध्यान में रखें।
आप इस तरीके से इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम को ज़्यादा आसानी से मैनेज कर सकते हैं।
बड़ा प्रीमियम दिए बिना ज़्यादा कवरेज पाने में टॉप-अप प्लान काफ़ी मददग़ार हैं।
टॉप-अप प्लान आमतौर पर कवर को दो हिस्सों में बांटने मदद करते हैं। इस तरह से आप क्लेम की अमाउंट को बढ़ा सकते हैं जो पहले से निर्धारित लिमिट से ज़्यादा भी हो सकती है।
आसानी से समझने के लिए इस उदाहरण को देखिए।
मान लीजिए ₹5 लाख के बेंचमार्क के साथ आपके पास ₹10 लाख का प्लान है। आप इस प्लान में ₹7 लाख का क्लेम करते हैं। तब इंश्योरेंस कंपनी आपके इलाज के लिए ₹2 लाख का अतिरिक्त पेमेंट करती है।
इस तरीके से आप अपने हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के लिए कम प्रीमियम का पेमेंट करते हैं। अगर इलाज का ख़र्च ज़्यादा हो तो टॉप-अप प्लान भी लिए जा सकते हैं।
भारत में मेडिकल ख़र्चों के आधार पर शहरों को अलग-अलग ज़ोन में बांटा गया है। मेडिकल ख़र्च जितने ज़्यादा होते हैं ज़ोन भी उतना ही ऊपर का होगा और उसके अनुसार प्रीमियम भी ज़्यादा होगा। इसको टेबल में नीचे दिए गए अनुसार समझाया गया है:
ज़ोन ए |
ज़ोन बी |
ज़ोन सी |
दिल्ली/एनसीआर, नवी मुंबई, थाणे और कल्याण के साथ मुंबई |
हैदराबाद, सिकंदराबाद, बैंगलुरु, कोलकाता, अहमदाबाद, बड़ौदा, चेन्नई, पुणे और सूरत |
ज़ोन ए, बी और सी समेत सभी शहर |
लगभग ₹6,448 का प्रीमियम |
लगभग ₹5,882 का प्रीमियम |
लगभग ₹5,315 का प्रीमियम |
सालाना टर्म वाले ट्रेडिशनल प्लान की तुलना में लांग-टर्म हेल्थकेयर इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम आमतौर पर कम होते हैं। इसलिए 2-3 साल की अवधि के लिए लांग-टर्म हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेने से प्रीमियम को कम करने में मदद मिल सकती है।
पिछले कुछ सालों में, कुछ इंश्योरेंस कंपनियों ने लांग-टर्म हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के काफ़ी ऑफ़र दिए हैं। इन प्लान का ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा लेने के लिए कई इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा ऑफ़र की जाने वाली पॉलिसी की तुलना करके अपने लिए बेस्ट पॉलिसी का चुनाव किया जा सकता है।
फ़ैमिली फ़्लोटर इंश्योरेंस प्लान प्रीमियम पेमेंट कम करने में आपकी कैसे मदद करता है यह जानने से पहले आपको इंडिविजुअल और फ़ैमिली फ़्लोटर प्लान में अंतर जान लेना चाहिए।
इस अंतर को नीचे दी गई टेबल से समझा जा सकता है:
मापदंड |
इंडिविजुअल प्लान |
फ़ैमिली फ़्लोटर प्लान |
इस्तेमाल |
इन प्लान में सिर्फ़ एक इंश्योरेंस प्लान के अंतर्गत परिवार के हर सदस्य के लिए सम इंश्योर्ड फ़िक्स होती है। |
इस प्लान में सम इंश्योर्ड की पूरी अमाउंट सिर्फ़ एक व्यक्ति के इलाज में ख़र्च की जा सकती है। |
प्रीमियम पेमेंट |
इस तरह की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में प्रीमियम का निर्धारण कवर होने वाले व्यक्ति की उम्र और सम इंश्योर्ड के आधार पर होता है। |
इसमें ज़्यादातर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान का प्रीमियम, कवर किए गए परिवार के सबसे बड़े सदस्य की उम्र पर आधारित होता है। |
क़ीमतों में अंतर |
हर पॉलिसी के लिए प्रीमियम पेमेंट आमतौर पर ज़्यादा होता है। |
फ़ैमिली फ़्लोटर प्लान के साथ पॉलिसी की क़ीमत इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान की तुलना में 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है। |
ऊपर दी गई टेबल से आप देख सकते हैं कि इंडिविजुअल प्लान की तुलना में फ़ैमिली फ़्लोटर इंश्योरेंस काफ़ी किफ़ायती होते हैं।
इसलिए अगर आप पूरे परिवार के लिए इंश्योरेंस प्लान लेना चाहते हैं तो फ़ैमिली फ़्लोटर इंश्योरेंस पॉलिसी लेकर प्रीमियम की अमाउंट को कम कर सकते हैं।
जब आप तुलना करते हैं और ऑनलाइन पॉलिसी ख़रीदते हैं तो आपको अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी पर कई प्रकार के ऑफ़र और छूटें मिलती हैं। इन ऑफ़र के साथ आप अपनी इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए पेमेंट किए गए प्रीमियम को काफ़ी हद तक कम कर सकते हैं।
हर इंश्योरेंस पॉलिसी में मिलने वाले फ़ायदों की ऑनलाइन तुलना करके आप कम प्रीमियम के साथ ज़्यादा फ़ायदों वाले प्लान चुन सकते हैं।
हेल्थ इंश्योरेंस की तुलना के बारे में और ज़्यादा जानें।
ज़्यादातर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में इंश्योरेंस किए गए व्यक्ति की उम्र 60 साल से ज़्यादा होने पर प्रीमियम पेमेंट बढ़ता जाता है।
इसलिए अगर आप अपने माता-पिता के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेने के बारे में सोच रहे हैं तो बेहतर होगा कि आप उनके 60 साल की उम्र होने से पहले ही इंश्योरेंस ख़रीद लें। इस प्रकार से आप इनके लिए कम प्रीमियम पेमेंट में ही इंश्योरेंस कवर ख़रीद सकते हैं।
इन 10 सुझावों के साथ आप अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए प्रीमियम पेमेंट को काफ़ी हद तक कम कर सकते हैं।
फ़िर भी ध्यान रखें….
अगर आप प्रीमियम पेमेंट में बचत करना चाहते हैं तो ज़रूरी है कि प्लान से मिलने वाले कवरेज से कोई समझौता न किया जाए।
इसलिए प्रीमियम मेडिकल सुविधा लेने के लिए आपको बड़ी अमाउंट ख़र्च करनी पड़ सकती है, जिसका पेमेंट आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है। यही वजह है कि कम फ़ायदों वाला सस्ता हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेना अच्छा आइडिया नहीं माना जाता है।