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हेल्थ इंश्योरेंस क्या है- जानिए सबकुछ

हेल्थ इंश्योरेंस की परिभाषा क्या है?

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी दुर्घटना, बीमारी या चोट लगने पर होने वाले मेडिकल ख़र्चों के लिए कवरेज देती है। कोई भी व्यक्ति तय समयावधि यानि हर महीने या हर साल प्रीमियम पेमेंट कर ऐसी पॉलिसी का बेनिफ़िट उठा सकता है।

इस पीरियड के दौरान, अगर इंश्योरेंस किया गया व्यक्ति दुर्घटना का शिकार हो जाता है या उसे कोई गंभीर बीमारी हो जाती है, तो इलाज पर किए गए ख़र्च को इंश्योरेंस प्रोवाइड करने वाली कंपनी द्वारा उठाया जाता है।

आप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का कवरेज बढ़ाने के लिए कई ऐड-ऑन बेनिफ़िट भी ले सकते हैं, जिनके बारे में नीचे दिए गए सेक्शन में डिटेल से चर्चा की गई है।

लेकिन, सबसे पहले यह देखते हैं,

आपको हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की ज़रूरत क्यों है?

1

2016 तक, जन्म के समय लाइफ़ एक्सपेक्टेंसी पुरुषों में 68.7 साल और महिलाओं में 70.2 साल थी। दुनिया में यह औसत 70 और 75 साल है। (1)

2

2017 में भारत में हुई कुल मौतों में से लगभग 61 फीसदी नॉन -कम्युनिकेबल बीमारियों के कारण हुईं।(2)

3

2017 के आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 224 मिलियन लोग हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से पीड़ित हैं। (3)

4

लगभग 73 मिलियन भारतीय, टाइप 2 डायबिटीज़ से पीड़ित हैं, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। यह संख्या 2025 तक बढ़कर 134 मिलियन होने की उम्मीद है। (4)

यह आंकड़े क्या इशारा करते हैं? संभावित स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं व्यक्ति के जीवन में कभी भी पैदा हो सकती हैं और इसके साथ इनके इलाज से जुड़े ख़र्च भी सामने आ सकते हैं।

भारत में स्वास्थ्य देखभाल मार्केट 2022 तक 372 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है, जो इशारा करता है कि देश में मेडिकल ख़र्च यानि स्वास्थ्य संबंधी ख़र्च बढ़ेंगे।

यह चौंका देने वाले आंकड़े, बढ़ते मेडिकल ख़र्च के साथ, भारत में हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के महत्व को बताते हैं। ये पॉलिसी, पॉलिसी होल्डर द्वारा किए गए पीरियडिक प्रीमियम पेमेंट के बदले स्वास्थ्य देखभाल के ख़र्च पर कॉम्प्रिहेंसिव कवरेज देती हैं।

महत्वपूर्ण: भारत में कोरोनावायरस इंश्योरेंस के बेनिफ़िट और नुकसान के बारे में जानकारी पाएं

हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के क्या बेनिफ़िट हैं?

1. अस्पताल में भर्ती होने पर ख़र्च

तुरंत अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत पड़ने वाली किसी भी मेडिकल कंडीशन को स्टेंडर्ड हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के तहत कवर किया जाता है। हालांकि, क्लेम पर सिर्फ़ तभी विचार किया जाता है, जब इंश्योरेंस प्लान लेने से पहले बीमारी को डायग्नोज़ नहीं किया गया हो।

नीचे दी गई कंडीशन में अस्पताल में भर्ती होने पर होने वाले ख़र्च को भी इंश्योरेंस प्रोवाइड करने वाली मुख्य कंपनियों द्वारा एक्सटेंड किया जाता है:

  • गंभीर बीमारी का इलाज - इंश्योरेंस प्रोवाइड करने वाली कुछ कंपनियां गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सभी इंटरनल ख़र्चों को कवर करने के लिए सम इंश्योर्ड के बराबर या उससे ज़्यादा अमाउंट देती हैं। ज़्यादातर कंपनियों द्वारा अस्पताल में भर्ती होने, डायग्नोसिस और मेडिसिन वगैरह के सभी मेडिकल ख़र्चो को कवर किया जाता है।

  • दुर्घटना और बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती होने पर कवरेज - बीमारियों या अचानक लगने वाली चोटों के कारण अस्पताल में भर्ती होने पर होने वाले मेडिकल ख़र्च को भी इन ख़र्चों में ही शामिल किया जाता है। इंश्योरेंस प्रोवाइड करने वाली मुख्य कंपनियां सम इंश्योर्ड तक या उससे ज़्यादा के कॉम्प्रिहेंसिव इलाज के ख़र्च भी ऑफ़र करती हैं। इस तरह का कॉम्प्रिहेंसिव कवरेज आपको किसी भी इमरजेंसी कंडीशन में फ़ाइनेंशियल तौर पर सुरक्षित रहने में मदद करता है।

2. अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद के ख़र्च

अस्पताल में भर्ती होने से पहले के ख़र्च जैसे कि डायग्नोसिस ख़र्च, और डॉक्टर की फ़ीस वगैरह को हेल्थ इंश्योरेंस प्लान द्वारा कवर किया जा सकता है।

डिस्चार्ज होने के बाद के ख़र्च जैसे कि मेडिसिन, रूटीन चेकअप, इंजेक्शन वगैरह का भी ज़्यादातर इंश्योरेंस कंपनियां रिइंबर्समेंट प्रदान करती हैं। इसका कंपनसेशन अमाउंट, एकमुश्त अमाउंट के रूप में, या इसके बिल दिखा कर लिया जा सकता है। 

3. आईसीयू रूम चार्ज पर कोई कैप नहीं

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में आईसीयू बेड चार्ज भी शामिल होते हैं। इंश्योरेंस किया गया कोई भी व्यक्ति प्राइवेट रूम में रहने का विकल्प भी चुन सकता है, जिसका पूरा ख़र्च इंश्योरेंस कंपनी के ज़रिए इंश्योरेंस की कुल रकम तक उठाया जा सकता है।

4. मानसिक बीमारी के इलाज का कवर

मनोरोग के इलाज के लिए उचित समय पर अस्पताल में भर्ती होना भी ऐसी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के अंतर्गत कवर किया जाता है। भारत और दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती समस्याओं के साथ, यह कवर ऐसे हर व्यक्ति को अच्छे जीवन के लिए प्रोफ़ेशनल तरीके से मदद करता है।

5. बेरिएट्रिक सर्जरी का ख़र्च

इंश्योरेंस प्रोवाइड करने वाली कुछ चुनिंदा कंपनियां ही इस सर्जरी में किए गए सभी ख़र्चों को कवर करती हैं, जिसका उद्देश्य लोगों की मोटापे की समस्याओं को दूर करने में मदद करना है। मोटापा अक्सर लोगों को इससे जुड़ी दूसरी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे दिल की बीमारियां, डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर वगैरह का शिकार बना देता है। इसे इंश्योरेंस में शामिल करना लंबे समय तक अच्छी हेल्थ को प्रमोट करता है।

कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की ये विशेषताएं सभी मुख्य मेडिकल ख़र्चों को पूरा कर सकती हैं जिनका सामना किसी भी व्यक्ति को करना पड़ सकता है। मुख्य कंपनियों द्वारा कुछ ज़्यादा प्रीमियम चार्ज पर, बड़ी कवरेज फ़ैसिलिटी के रूप में एडिशनल बेनिफ़िट भी दिए जाते हैं।

6.कमरे के किराये पर कोई कैप नहीं

अस्पताल के कमरों का किराया भी इन हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत कवर किया जाता है, जिससे इंश्योरेंस किए गए व्यक्ति आराम से ठीक हो सकें। ऐसे मामलों में ख़र्च किया जाने वाला कुल अमाउंट इंश्योरेंस कंपनी द्वारा पहले से बता दिया जाता है।

7. डेकेयर प्रोसीज़र

अस्पताल में डायलिसिस, कैटरेक्ट, टांसिल्लेक्टोमी, वगैरह जैसे डेकेयर इलाज में किए गए ख़र्च को ज़्यादातर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के तहत कवर किया जाता है।

8. रोड एम्बुलेंस चार्ज

स्टेंडर्ड हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी मेडिकल इमरजेंसी कंडीशन के दौरान किए गए हर एम्बुलेंस ख़र्च को कवर करती है। यह महत्वपूर्ण बेनिफ़िट है क्योंकि प्रीमियम अस्पताल अक्सर ट्रांसपोर्टेशन के लिए काफ़ी ज़्यादा चार्ज लेते हैं।

9. रिफ़िल सम इंश्योर्ड

ऐसी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत, आप साल में दो बार सम इंश्योर्ड तक के क्लेम कर सकते हैं, बशर्ते कि हर बार मेडिकल कंडीशन अलग हो।

10. नो क्लेम बोनस

कोई क्लेम नहीं किए गए हर साल के लिए, इंश्योरेंस किए गए व्यक्तियों को बाद के सालों में, एक्सटेंड किया गया डिस्काउंट या हाई सम इंश्योर्ड (बिना किसी अतिरिक्त ख़र्च के) दिया जाता है, जिससे सालाना दिए जाने वाले प्रीमियम चार्ज को कम करने या उनके सम इंश्योर्ड को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

11. डेली हॉस्पिटल कैश कवर

डेली कैश अलाउंस चुने हुए संस्थानों द्वारा प्रदान किया जाता है, जिससे लोगों को अस्पताल में भर्ती होने के दौरान तनख़्वाह के नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलती है।

12. 0% को-पेमेंट

मुख्य इंश्योरेंस कंपनियां, इंश्योरेंस किए गए व्यक्ति के इलाज में होने वाले पूरे ख़र्च के सभी मेडिकल बिल को सम इंश्योर्ड अमाउंट तक कवर करती हैं। जीरो को-पेमेंट, मरीज की फ़ाइनेंशियल लायबिलिटी को कम करता है, जिससे वह पूरी तरह अपनी हेल्थ पर फ़ोकस कर सकता है। 

इसके बारे में और ज़्यादा जानें

13. ज़ोन अपग्रेड फ़ैसिलिटी

भारत में इलाज का खर्च हर शहर में अलग-अलग है। दिल्ली और मुंबई जैसे मेट्रोपॉलिटन शहरों में तो यह खास तौर पर महंगा है।

ज़ोन अपग्रेड की सुविधा लेकर, इलाज के लिए आप अलग-अलग शहरों के ज़ोन में ज़्यादा मंहगा कवरेज ले सकते हैं। शहरों के मेडिकल खर्च के आधार पर ज़ोन को बांटा गया है। जिस इलाके का मेडिकल खर्च जितना ज़्यादा होगा, वह शहर इस वर्गीकरण में उतना ही ऊपर होगा।

इस ऐड-ऑन के ज़रिए थोड़ा ज़्यादा प्रीमियम का भुगतान करके आप, अलग-अलग इलाकों या ज़ोन में इलाज के खर्च में आने वाले अंतर से निजात पा सकते हैं, लेकिन इससे आपको कुल प्रीमियम पर 10%-20% तक की बचत हो सकती है।

*इस समय डिजिट में ज़ोन अपग्रेड ऐड-ऑन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। हालांकि, अगर आप ज़ोन बी में रहते हैं, तो आपको प्रीमियम पर अतिरिक्त छूट मिल सकती है। सिर्फ़ इतना ही नहीं, हमारे पास ज़ोन-आधारित कोई को-पेमेंट नहीं होता।

14. घर पर स्वास्थ्य देखभाल

कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत होम हॉस्पिटलाइज़ेशन पर किए गए सभी ख़र्चों के लिए कवरेज मिलता है। इसमें मरीज के कॉम्प्रिहेंसिव इलाज के लिए मेडिसिन, नर्स की फ़ीस, इंजेक्शन वगैरह के पेमेंट शामिल हैं।

15. ऑर्गन डोनेशन चार्ज

ऑर्गन डोनेशन में ख़र्च के सभी मेडिकल बिल के लिए क्लेम किया जा सकता है।

सभी मुख्य इंश्योरेंस कंपनियां अपने इंश्योरेंस प्रॉडक्ट पर ऊपर बताए गए सभी प्रोविज़न बनाए रखती हैं। फिर भी, स्पेसिफ़िक बीमारियों, या अलग अलग ऐज ग्रुप के लिए अलग अलग इंश्योरेंस पॉलिसी ऑफ़र की जाती है।

भारत में हेल्थ इंश्योरेंस के प्रकार

1. इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस

इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी, जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, व्यक्ति के इलाज के ख़र्च को कवर करती है। यह कवर आपके लिए, आपके माता-पिता सहित आपके जीवनसाथी और बच्चों के लिए लिया जा सकता है।

इस प्लान के तहत, परिवार के हर एक सदस्य को एक इंडिविजुअल सम इंश्योर्ड मिलता है। उदाहरण के लिए; अगर आपका सम इंश्योर्ड ₹10 लाख है, तो परिवार का हर एक सदस्य उस पॉलिसी पीरियड में ₹10 लाख तक सम इंश्योर्ड इस्तेमाल कर सकता है, मतलब अगर आप तीन सदस्यों के लिए इंडिविजुअल प्लान खरीद रहे हैं, तो तीनों के लिए सामूहिक सम इंश्योर्ड ₹30 लाख होगा।

इसका मतलब यह है कि अगर आपके परिवार के सभी/एक से ज़्यादा सदस्यों को एक ही समय में कुछ हो जाता है, तो हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में दी गई रकम अलग-अलग सम इंश्योर्ड होने के कारण उन सभी को एकसाथ कवर करने के लिए काफ़ी होगी।

2. फ़ैमिली फ़्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस

ऐसे प्लान के तहत, एक ही पॉलिसी में सभी व्यक्तियों के लिए सम इंश्योर्ड अमाउंट मौजूद रहती है। यह पूरा अमाउंट एक व्यक्ति के इलाज पर भी ख़र्च किया जा सकता है, जिसके बाद इस मामले में किसी अन्य मेडिकल इमरजेंसी कंडीशन में किसी भी क्लेम को कवर नहीं किया जाता है।

सीनियर सिटीज़न फ़ैमिली फ़्लोटर प्लान के दायरे में नहीं आते हैं, क्योंकि उनकी मेडिकल संबंधी ज़रूरतें ज़्यादा जटिल होती हैं।

फ़ैमिली फ़्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस के बारे में और ज़्यादा जानें।

3. सीनियर सिटीज़न हेल्थ इंश्योरेंस

सीनियर सिटीज़न के सभी मेडिकल ख़र्चों के हिसाब से, ऐसे प्लान को सिर्फ़ 60 साल से ज़्यादा उम्र के लोग ही ले सकते हैं। ज़्यादा उम्र के कारण होने वाली कई प्रकार की बीमारियों के लिए कॉम्प्रिहेंसिव कवरेज प्रदान किया जाता है।

4. ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस

ऐसे प्लान कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए लेती हैं। इसके प्रीमियम का पेमेंट एम्प्लॉयर ही करता है और इसमें ऐसे प्रोविज़न होते हैं जो सम इंश्योर्ड को फिर से रिफ़िल कर देते हैं। ऐसी ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी कॉस्ट इफ़ेक्टिव होती हैं और एम्प्लॉई रिटेंशन टेक्टिक के रूप में इस्तेमाल की जाती हैं।

साथ ही, आप यह भी याद रखें कि यह इंश्योरेंस कवर सिर्फ़ तब तक उठाया जा सकता है जब तक आप कंपनी में काम करते हैं। अगर आपको नौकरी से निकाल दिया जाता है या आप कंपनी छोड़ देते है तो इस कवर का बेनिफ़िट नहीं उठाया जा सकता है।

5. मेटरनिटी कवर के साथ हेल्थ इंश्योरेंस

प्रेग्नेंसी के दौरान किए गए सभी प्री और पोस्टनेटल ख़र्च मेटरनिटी इंश्योरेंस कवर के तहत आते हैं। नवजात शिशु के पहले तीन महीनों के मेडिकल बिल भी इसमें शामिल होते हैं। हालांकि, ऐसी पॉलिसी दो साल के वेटिंग पीरियड के साथ मिलती हैं। 

मेटरनिटी इंश्योरेंस के बारे में और ज़्यादा जानें।

6. टॉप-अप हेल्थ इंश्योरेंस

कई बार, हेल्थ इंश्योरेंस कवर लेते समय आपके इलाज का अनुमानित ख़र्च समय के साथ बढ़ सकता है, और आपकी सम इंश्योर्ड नहीं बदलती है।

ऐसी कंडीशन में, आप अलग पॉलिसी खरीदने के बजाय, अपने मौजूदा कवर को टॉप-अप करवा सकते हैं। यह टॉप-अप पॉलिसी पूरे सम इंश्योर्ड को बढ़ाने में मदद करती हैं जिसका इस्तेमाल आप किसी भी इमरजेंसी में कर सकते हैं।

लेकिन टॉप-अप का बेनिफ़िट उठाने के लिए, आपको सबसे पहले डिडक्टिबल अमाउंट को चुनना होता है। उदाहरण के लिए, अगर आप ₹3 लाख का टॉप-अप प्लान लेते हैं तो ₹50,000 का डिडक्टिबल अमाउंट चुनना होगा।

फिर, क्लेम के समय, आपको पहले ₹50,000 का डिडक्टिबल अमाउंट अपनी जेब से देना होगा । एक बार ₹50,000 का डिडक्टिबल अमाउंट ख़त्म होने के बाद, इंश्योरेंस प्रोवाइड करने वाली कंपनी बाकी के ₹3 लाख तक का ख़र्च उठाएगी।

ये हेल्थ इंश्योरेंस प्लान उन सभी स्वास्थ्य देखभाल ख़र्चों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं जिसकी ज़रूरत व्यक्ति को अपने जीवन में पड़ सकती है। यह लाइफ़ इंश्योरेंस प्लान से काफ़ी अलग है, क्योंकि लाइफ़ इंश्योरेंस प्लान इंश्योरेंस किए गए व्यक्ति के जीवन या मौत के आधार पर फ़ाइनेंशियल कवरेज देता है।

 भारत में हेल्थ इंश्योरेंस के प्रकारों के बारे में विस्तार से जानें

हेल्थ इंश्योरेंस और लाइफ इंश्योरेंस के बीच अंतर

लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी का उद्देश्य इंश्योरेंस किए गए व्यक्ति की असमय मौत होने की कंडीशन

में डिपेंडेंट परिवार के सदस्यों की फ़ाइनेंशियल ज़रूरतों को सुरक्षित करना है,

हेल्थ इंश्योरेंस प्लान का उद्देश्य व्यक्ति को क्वालिटी युक्त स्वास्थ्य देखभाल और इलाज की सुविधा प्रदान करना है।

अंतर के बिंदु हेल्थ इंश्योरेंस लाइफ इंश्योरेंस
लक्ष्य कुछ बीमारियों के डायग्नोस होने की कंडीशन में इलाज और ठीक होने तक के सभी मेडिकल ख़र्चों को कवर करता है। असमय मौत होने पर परिवार को तत्काल आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।
पे की जाने वाली अमाउंट सम इंश्योर्ड तक। डेथ बेनिफ़िट (इंश्योरेंसहोल्डर की असमय मौत पर)
टैक्स बेनिफ़िट ₹1 लाख तक के हेल्थ इंश्योरेंस टैक्स बेनिफ़िट। (इनकम टैक्स के सेक्शन 80डी) हर साल 1.5 लाख तक के टैक्स बेनिफ़िट (इनकम टैक्स एक्ट सेक्शन 80सी के तहत)

हेल्थ इंश्योरेंस टैक्स बेनिफ़िट

अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का बेनिफ़िट उठाते हैं, तो आप इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80डी के तहत टैक्स बेनिफ़िट भी उठा सकते हैं। नीचे दी गई टेबल में आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर टैक्स छूट की जानकारी दी गई है:

पात्रता छूट की लिमिट
खुद के लिए और परिवार के लिए (पति/पत्नी, डिपेंडेंट बच्चे) ₹25,000 तक
खुद के लिए, परिवार + माता-पिता के लिए (60 साल से कम उम्र के) (₹25,000 + ₹25,000) = ₹50,000 तक
खुद के लिए और परिवार के लिए (जहां सबसे बड़ा सदस्य 60 साल से कम उम्र का है) + माता-पिता (60 साल से ज़्यादा उम्र के) (₹25,000 + ₹50,000) = ₹75,000 तक
खुद के लिए और परिवार के लिए (सबसे बड़ा सदस्य 60 साल से ज़्यादा उम्र का है) + माता-पिता (60 साल से ज़्यादा उम्र के) (₹50,000 + ₹50,000) = ₹1,00,000 तक

और ज़्यादा जानें:

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय आपको क्या देखना चाहिए?

लोगों को प्लान चुनने से पहले नीचे दिए गए पैरामीटर पर गौर करनी चाहिए:

1. बेनिफ़िट और सम इंश्योर्ड

व्यक्ति की उम्र और मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर इंश्योरेंस प्लान को चुना जाना चाहिए। साथ ही, इंश्योरेंस प्रोवाइड करने वाली कंपनी द्वारा दिए गए कवरेज बेनिफ़िट के साथ-साथ क्लेम करने के लिए वेटिंग पीरियड भी देखें।

2. इंश्योरेंस कंपनी की बाजार में ख्याति

यह महत्वपूर्ण फ़ैक्टर है जिसपर ध्यान दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह क्लेम अमाउंट के डिस्बर्समेंट के तरीके और समय को दिखाता है।

परेशानी मुक्त डिस्ट्रीब्यूशन के लिए, सुनिश्चित करें कि क्या इंश्योरेंस प्रोवाइड करने वाली आपकी कंपनी नीचे दी गई शर्तों को पूरा करती है -

  • हाई क्लेम सेटलमेंट रेशियो - यह इंश्योरेंस किए गए उन व्यक्तियों का प्रतिशत बताता है, जिन्होंने क्लेम के लिए अप्लाई किया था और उन्हें लगाए गए सभी मेडिकल बिल का पूरा रिक्वेस्टेड अमाउंट मिला था।

  • एसेट अंडर मैनेजमेंट - यह स्पेसिफ़ाइड कंपनी से, मौजूद कुल फ़ंड के ज़रिए इंश्योरेंस पॉलिसी लेने वाले लोगों की कुल संख्या को दिखाता है। सभी पॉलिसीहोल्डर से एकत्रित क्युमूलेटिव प्रीमियम अमाउंट को एसेट अंडर मैनेजमेंट के रूप में दिखाया जाता है। हाई एयूएम वैल्यू का मतलब है कि बहुत सारे लोग इस नियत कंपनी के प्लान को ले रहे हैं, जो बाजार में इसकी ख्याति को दिखाता है।

  • सॉल्वेंसी रेशियो - यह एक साथ कई क्लेम की कंडीशन में कंपनी की शॉर्ट टर्म और लांग टर्म लायबिलिटी को पूरा करने की क्षमता को दिखाता है। हाई सॉल्वेंसी रेशियो, कंपनी के बढ़िया मैनेजमेंट की और इशारा करता है और बताता है कि मैनेज किए गए एसेट कुल क्लेम की तुलना में काफ़ी ज़्यादा हैं।

  • बिज़नेस सालों की संख्या - इंश्योरेंस कंपनी का अनुभव, सभी क्लेम के सेटलमेंट के तरीकों के साथ-साथ फ़ंड डिस्बर्सल के तरीकों के बारे में बहुत कुछ बताता है।

3. नेटवर्क अस्पताल

ज़्यादा संख्या में मौजूद नेटवर्क अस्पताल, इलाज के लिए ज़रूरी कैशलेस क्लेम ट्रांसफ़र सुनिश्चित करते हैं। इलाज की प्रोसेस को सुविधाजनक बनाने से थर्ड पार्टी के शामिल होने की दिक्कतें कम हो जाती हैं।

4. रूटीन मेडिकल चेकअप

मुख्य इंश्योरेंस कंपनियां पॉलिसीहोल्डर के लिए सालाना फ़्री चेकअप के प्रोविज़न ऑफ़र करती हैं, जिससे उनके पॉलिसीहोल्डर अपनी हेल्थ कंडीशन पर नज़र रख सकते हैं।

5. रिन्यूएबिलिटी

इंश्योरेंस प्रोवाइड करने वाली ऐसी कंपनी चुनें जिनकी पॉलिसी में लाइफ़टाइम रिन्यूएबिलिटी क्लॉज़ हो। इस तरह की सुविधा पॉलिसीहोल्डर को अचानक आने वाली संकट की घड़ी में फ़ाइनेंशियल तौर पर सुरक्षित रखती है, और प्रीमियम को निरंतर कम करती रहती है।

अपनी सभी मेडिकल ज़रूरतों को पूरा करने के लिए आप दिए गए पॉइंट को ध्यान में रखते हुए कोई भी आइडियल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी चुन सकते हैं। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के नॉमिनल प्रीमियम चार्ज आपके जीवन के फ़ाइनेंशियल बर्डन को काफ़ी हद तक कम करने में मदद कर सकते है।

चूंकि ज़्यादातर लोग अपने जीवन में एक ही बार हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं, और इसे समय-समय पर रिन्यू करते हैं, इसलिए सही इंश्योरेंस चुनना बहुत महत्वपूर्ण है।

भारत में हेल्थ इंश्योरेंस के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

क्या मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को इंश्योरेंस प्रोवाइड करने वाली एक कंपनी से दूसरी में पोर्ट किया जा सकता है?

हां, पॉलिसी को एक इंश्योरेंस कंपनी से दूसरी इंश्योरेंस कंपनी में पोर्ट किया जा सकता है बशर्ते कि पॉलिसी होल्डर ने अपने मौजूदा पॉलिसी पीरियड को पूरा कर लिया हो और उसका रिन्यूअल होना हो।

हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेबिलिटी के बारे में और ज़्यादा जानें।

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए क्लेम की प्रोसेस क्या है?

आप या तो अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत रिइंबर्समेंट या कैशलेस क्लेम का विकल्प चुन सकते हैं। कैशलेस क्लेम के लिए, इंश्योरेंस प्रोवाइड करने वाली कंपनी आपके क्लेम का सेटलमेंट सीधे उस अस्पताल के साथ करती है जहां आप या आपके परिवार के सदस्य इलाज की मांग करते हैं।

रिइंबर्समेंट क्लेम के मामले में, इंश्योरेंस प्रोवाइड करने वाली कंपनी आपको फ़िक्स टाइम में किए गए इलाज का ख़र्च वापिस देती है।

डिजिट के हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम की प्रोसेस के बारे में और ज़्यादा जानें।