1. स्त्री रोग संबंधी समस्याएं
महिलाओं के लिए तैयार किया गया हेल्थ इंश्योरेंस, महिलाओं की प्रजनन प्रणाली से जुड़ी हर तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को कवर करता है। इसमें पुरानी स्थितियां और गर्भाशय फाइब्रॉएड, पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस), एंडोमेट्रियोसिस या पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज जैसी बीमारियां शामिल हैं।
2. क्रिटिकल इलनेस कवरेज
दुर्भाग्य से, पुरुषों की तुलना में महिलाएं कई गंभीर बीमारियों के प्रति ज़्यादा संवेदनशील होती हैं, जैसे कि हृदय रोग, स्तन कैंसर, ऑस्टियोपोरोसिस, हृदय रोग, एनीमिया और गठिया। इसके कई कारण हैं, जैसे कि जेनेटिक और धीमी जीवन शैली।
हालांकि, इससे मेडिकल खर्च ज़्यादा हो सकता है। इसलिए, यह ज़रूरी है कि महिलाओं के पास गंभीर बीमारियों के लिए कवरेज हो, जो उन्हें ऐसे समय में मदद कर सके।
3. कैंसर का इलाज
महिलाओं में सबसे आम कैंसर स्तन का कैंसर है, इसके बाद सर्विक्स, ओवेरियन, फेफड़े और पेट के कैंसर होते हैं। वास्तव में, भारत में 28 में से एक महिला को अपने जीवनकाल में स्तन कैंसर होने की संभावना होती है।
इस तथ्य को देखते हुए कि अगर इसका पता चला और जल्दी इलाज किया गया, तो महिलाओं के ज़िंदा रहने का प्रतिशत अधिक होने की संभावना है, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आपकी स्वास्थ्य बीमा योजना बीमारी और उसके उपचार को कवर करती है।
4. डायबिटीज के लिए कवरेज
महिलाओं में डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं। एक सामान्य कारण गर्भावस्था के दौरान होने वाला डायबिटीज है। यह एक प्रकार का डायबिटीज है जो गर्भावस्था के दौरान उन महिलाओं में भी विकसित हो सकता है जिन्हें पहले से यह बीमारी नहीं थी। बच्चे के जन्म के बाद वैसे तो ब्लड शुगर सामान्य हो जाता है, लेकिन इसकी वजह महिलाओं को जीवन में आगे टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने का अधिक खतरा होता है।
गर्भावस्था के डायबिटीज से कम से कम 2% से 10% प्रेगनेंसी प्रभावित होती हैं और यह संख्या बढ़ेगी ही क्योंकि महिलाएं देरी से बच्चे पैदा करने का विकल्प चुनती हैं। इसलिए, यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि आपका हेल्थ इंश्योरेंस प्लान डायबिटीज को कवर करता हो।
5. हृदय संबंधी रोगों का बढ़ना
महिलाएं भी आजकल तनावपूर्ण जीवन जी रही हैं, जिसका अर्थ है कि पुरुषों की तुलना में उन्हें हृदय रोग होने का खतरा अधिक है। वास्तव में, 35 वर्ष से ज़्यादा उम्र की पांच में से तीन महिलाओं (लगभग 69% गृहिणियों और 67% कामकाजी महिलाओं) को हृदय रोगों का खतरा है।
इस प्रकार, जब आप अभी भी युवा और स्वस्थ हैं, एक हेल्थ इंश्योरेंस प्लान लेना बहुत महत्वपूर्ण है जो इन समस्याओं को कवर करता है ताकि आपका प्रीमियम कम हो।
6. हाइपरटेंशन
हाइपरटेंशन एक और गंभीर समस्या है जिसे अक्सर महिलाओं में अनदेखा कर दिया जाता है। हाइपरटेंशन और हाई ब्लड प्रेशर, दक्षिण एशिया में हर साल लगभग 15 लाख लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार होते है।
यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में शहरी क्षेत्रों में 20-40% लोग हाइपरटेंश से पीड़ित हैं और उन्हें अन्य कई परेशानियां हो सकती हैं, खासकर गर्भावस्था के दौरान।
7. मेंटल हेल्थ कवरेज
जीवन में तनाव और चिंता के बढ़ने के कारण महिलाएं अवसाद जैसे कई मानसिक बीमारियों की चपेट में आ जाती हैं।
जबकि आईआरडीएआई ने यह अनिवार्य किया है कि सभी मेडिकल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान मानसिक बीमारियों के उपचार को कवर करते हैं, ऐसे इंश्योरेंस की तलाश करना महत्वपूर्ण है जो इसके लिए पर्याप्त कवरेज प्रदान करता हो। जब आपको अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत होती है, तो अधिकांश मेंटल हेल्थ कवर आपके खर्चों को मैनेज करते हैं। केवल कुछ इंश्योरेंस कंपनियां, कंसल्टेशन जैसे बाह्य रोगी देखभाल के खर्चों को कवर करती हैं।
8. मैटरनिटी कवरेज
सेहत की देखभाल के बढ़ते खर्चों के साथ, गर्भावस्था और मदरहुड के खर्च भी बहुत बढ़ गए हैं। आमतौर पर, मदरहुड के फायदे किसी व्यक्तिगत या फै़मिली के हेल्थ इंश्योरेंस में ऐड-ऑन कवर के रूप में दिए जाते हैं। इसमें प्रसव के खर्च से लेकर गर्भावस्था से संबंधित जटिलताओं के साथ-साथ अस्पताल के खर्च तक सब कुछ शामिल है।
इसलिए, भविष्य में दो बच्चों की चाह रखने वाली हर महिला को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके पास यह कवर हो और यह आपके सभी आवश्यक खर्चों को कवर करेगा। एक ऐसी पॉलिसी चुनने की कोशिश करें, जिसमें इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट, या चिकित्सकीय रूप से आवश्यक टर्मिनेशन जैसी एक्स्ट्रा चीज़ें भी शामिल हों।
9. नवजात शिशु का खर्च
एक अन्य महत्वपूर्ण कारक ध्यान में रखना है कि हेल्थ इंश्योरेंस एक महिला के नवजात शिशु (आमतौर पर पहले 90 दिनों तक) की हेल्थकेयर को कवर कर सकता हो, जो मेडिकल जटिलताओं, या जन्मजात अक्षमताओं के मामलों में एक बड़ा वरदान हो सकता है।
अक्सर इसे मेटरनिटी कवर के हिस्से के रूप में शामिल किया जाता है, इसलिए सुनिश्चित करें कि आपने ऐसी पॉलिसी चुनी हो जिसमें यह भी शामिल हो।
10. सालाना हेल्थ चेक-अप
कई महिलाएं दर्द या बेचैनी जैसे छोटे संकेतों और लक्षणों को अनदेखा करते हुए यह सोचकर कि यह इतनी बड़ी बात नहीं है, डॉक्टर के पास तब ही जाती हैं जब पहले से ही कोई परेशानी होती है।
हालांकि, नियमित सालाना चेक-अप कराने से आपकी पूरी सेहत की देखबाल करने और किसी भी ऐसी बीमारी का जल्द पता लगाने में मदद मिल सकती है जो अंदर बढ़ रही हो। डायबिटीज़ को रोकने के लिए ब्लड शुगर के स्तर, स्तन कैंसर की जांच के लिए मैमोग्राम, या सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए पैप स्मीयर के मामले में यह बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है।
रोगों की इन शुरुआती पहचानों के साथ, आप कई बीमारियों को रोकने, उनका इलाज करने और उन्हें ठीक कर पाएंगी, जो भविष्य में सेहत की देखभाल में होने वाले खर्च में बड़ी बचत कर सकता है।