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माता-पिता बनना दुनिया का सबसे सुंदर अहसास है। लेकिन ऐसा कई बार होता है, जब गर्भ धारण करना कठिन हो जाता है, बांझपन इसकी वजह होता है।
शुरू में बांझपन को दो प्रकारों में बांटा जा सकता है:
वैरकोसील, या उन नसों में सूजन जो अंडकोष को खाली करती हैं।
संक्रमण: कुछ संक्रमण शुक्राणु बनने की प्रक्रिया को रोकने के साथ शुक्राणु के स्वास्थ्य पर असर डाल सकते हैं या शुक्राणु के मार्ग को रोक सकते हैं।
ईजैक्यूलैशन की दिक्कत: रेट्रोग्रेड ईजैक्यूलैशन तब होता है जब संभोग के दौरान लिंग के सिरे से बाहर निकलने के बजाय वीर्य मूत्राशय में जाता है। डायबिटीज, रीढ़ की हड्डी में लगी चोट, दवाएं और ब्लैडर, प्रोस्टेट या मूत्रमार्ग की सर्जरी सहित स्वास्थ्य से जुड़ी कई दिक्कतें रेट्रोग्रेड ईजैक्यूलैशन की वजह बन सकती हैं।
शुक्राणुओं को नुकसान पहुंचाने वाले एंटीबॉडी, गलती से शुक्राणुओं को हानिकारक मानकर उन्हें खत्म करने का प्रयास करते हैं।
ट्यूमर: कैंसर और नुकसान न पहुंचाने वाले ट्यूमर प्रजनन से संबंधित हार्मोन जारी करने वाली ग्रंथियों के माध्यम से पुरुष प्रजनन अंगों पर सीधे असर डालते हैं।
अंडकोष के विकार या हाइपोथैलेमस, पिट्यूटरी, थायरॉयड और अधिवृक्क ग्रंथियों सहित अन्य हार्मोनल सिस्टम पर असर डालने वाली दिक्कतों की वजह से हारमोन में असंतुलन ।
सर्जरी की वजह से लगी चोट, पहले के संक्रमण, ट्रामा या असामान्य विकास जैसे सिस्टिक फाइब्रोसिस या ऐसी ही कोई अनुवांशिक स्थिति की वजह से शुक्राणुओं को ले जाने वाली नलिकाओं में दिक्कत।
सीलिएक रोग या ग्लूटन की संवेदनशीलता की वजह से होने वाली कब्ज से जुड़ी दिक्कतें,सीलिएक रोग की वजह से पुरुषों में बांझपन हो सकता है।
कुछ खास दवाएं: टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, लंबे समय तक अनाबोलिक स्टेरॉयड का उपयोग, कैंसर दवाएं (कीमोथेरेपी), एंटीफंगल दवाएं, अल्सर की दवाएं और अन्य दवाएं, शुक्राणु उत्पादन में बाधा बनकर पुरुष प्रजनन क्षमता को कम कर सकती हैं।
पहले हुईं सर्जरी
ओव्यूलेशन डिसऑर्डर या अक्सर ओव्यूलेशन, इसकी वजह से
पॉली सिस्टिक सिंड्रोम (पीसीओएस), पीसीओएस से हार्मोनल असंतुलन होता है जो ओव्यूलेशन पर असर डालता है।
हाइपोथैलेमिक डिसफंक्शन।
समय से पहले ओवेरियन का विफल होना। इसको प्राइमरी ओवेरियन इंसफ़िशिएंसी भी कहते हैं, ये डिसऑर्डर एक ऑटोइम्यून रिस्पोंस या आपके अंडाशय से अंडों के समय से पहले नष्ट होने (संभवतः आनुवंशिकी या कीमोथेरेपी से) की वजह से होता है।
बहुत ज्यादा प्रोलैक्टिन।पिट्यूटरी ग्रंथि प्रोलैक्टिन (हाइपरप्रोलैक्टिनीमिया) के ज्यादा उत्पादन की वजह बन सकती है, जिसके चलते एस्ट्रोजन का उत्पादन कम होता और बांझपन हो सकता है।
फैलोपियन ट्यूब को नुकसान (ट्यूबल इंफर्टिलिटी), जिसकी वजह से
पेल्विक इंफ्लेमेट्री रोग, गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब का संक्रमण
पेट या पेल्विस में पहले हुई सर्जरी
पेल्विक ट्यूबरक्लोसिस
एंडोमीट्रीओसिस - एंडोमीट्रीओसिस तब होता हैं जब वो टिशू जो आमतौर पर गर्भाशय में बढ़ता है, वो दूसरी जगह पर प्रत्यारोपित होता और बढ़ता है। टिशू की यह अतिरिक्त बढ़त- और सर्जरी से इसको निकालना-निशान छोड़ सकता है, जो फैलोपियन ट्यूब के लिए बाधा बनता है और अंडे से शुक्राणु को मिलने से रोकता है।
गर्भाशय या गर्भाशय ग्रीवा के कारण - शुक्र है, मेडिकल साइंस में उन्नति के चलते बांझपन का इलाज है और दुनिया भर में लोग ऐसे इलाज को अपना रहे हैं।
इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट से जुड़े इंश्योरेंस में कवर होने वाले पॉपुलर इलाज से जुड़ी कुछ बातें यहां बता गई हैं (इनमें से कुछ ऐड-ऑन में शामिल हैं)। बाकियों में ये सुनिश्चित किया जाता है कि अगर बांझपन / सबफर्टिलिटी के इलाज के लिए आप डॉक्टर के परामर्श पर अस्पताल में भर्ती हुई हैं तो इंश्योरेंस कंपनियां मेडिकल के खर्चों का भुगतान करेंगी। बताई गई प्रक्रिया सहायक गर्भधारण के लिए है, एक बार परेशानी पहचान कर ऐसी सहायक प्रक्रियाओं को चुना जा सकता है।
1) आईयूआई (IUI): एक ऐसा इलाज है, जिसमें शुक्राणुओं को आपके ओव्यूलेट करने के दौरान सीधे गर्भाशय में डाला जाता है।
2) आईवीएफ (IVF): आपके अंडाशय से अंडों को लिया जाता है और आपके जीवनसाथी के शुक्राणुओं के साथ लेबोरेट्री डिश में मिलाया जाता है। परिणामस्वरूप मिले भ्रूण को गर्भाशय में प्रत्योपित कर दिया जाता है।
3) जीआईएफटी (GIFT): आपके अंडे हटा लिए जाते हैं फिर इन्हें आपके जीवनसाथी के शुक्राणुओं के साथ लेबोरेट्री डिश में मिलाया जाता है और इसके बाद इसे आपकी फैलोपियन ट्यूब में रखा जाता है।
4) आईसीएसआई (ICSI): लेबोरेट्री में एक अकेले शुक्राणु को एक एग में डाला जाता है और परिणामस्वरुप मिले भ्रूण को गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।
1) योग्यता - आपकी उम्र, मेडिकल हिस्ट्री और स्वास्थ्य से जुड़ी दूसरी परेशानियों पर निर्भर।
2) वेटिंग पीरियड - पॉलिसी लेने के लिए वेटिंग पीरियड 2 से 4 साल तक हो सकता है।
3) वैधता - इंश्योरेंस पॉलिसी सिर्फ 'एक बार ही' ली जा सकती है।
4) ऐड ऑन - पॉलिसी के साथ ऐड ऑन प्रीमियम पर मिलते हैं।
जरूरी: कोरोना हेल्थ इंश्योरेंस के फायदे समझें।
संक्षेप में समझें तो इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट से जुड़ा इंश्योरेंस लेने से पहले आपके मन में जो सवाल आ सकते हैं, उनके जवाब यहां बताए गए हैं:
इसका जवाब बिल्कुल 'हां' ही है।
इसका जवाब बिल्कुल 'हां' ही है।
हां,प्राइमरी और सेकेंड्री दोनों बांझपन के लिए।
हां,प्राइमरी और सेकेंड्री दोनों बांझपन के लिए।
नहीं, लेकिन वो व्यक्ति अगर पॉलिसी का हिस्सा है तो ये संभव है। लंबा वोटिंग पीरियड ही बड़ी दिक्क्त्त है।
नहीं, लेकिन वो व्यक्ति अगर पॉलिसी का हिस्सा है तो ये संभव है। लंबा वोटिंग पीरियड ही बड़ी दिक्क्त्त है।
नहीं। लेकिन आमतौर पर ये इंश्योरेंस आपकी 40 साल की उम्र के बाद प्रतिबंधित होता है।
नहीं। लेकिन आमतौर पर ये इंश्योरेंस आपकी 40 साल की उम्र के बाद प्रतिबंधित होता है।
नहीं, ये पॉलिसी सिर्फ भारत में ही मान्य है।
नहीं, ये पॉलिसी सिर्फ भारत में ही मान्य है।
इंश्योर्ड पॉलिसी अवधि के दौरान इस इंश्योरेंस को सिर्फ एक बार ही ले सकता है, जिसके बाद यह शून्य हो जाती है।
इंश्योर्ड पॉलिसी अवधि के दौरान इस इंश्योरेंस को सिर्फ एक बार ही ले सकता है, जिसके बाद यह शून्य हो जाती है।
वेटिंग पीरियड में कराए गए सभी इलाज इस पॉलिसी में मान्य नहीं हैं।
वेटिंग पीरियड में कराए गए सभी इलाज इस पॉलिसी में मान्य नहीं हैं।
इसकी लागत 1.5 से 2 लाख रुपए तक हो सकती है।
इसकी लागत 1.5 से 2 लाख रुपए तक हो सकती है।
इंश्योरेंस करने वाली कंपनी मेडिकल बिलों को कवर करेगी। हालांकि, हेल्थ इंश्योरेंस करने वाली कुछ कंपनी कुल खर्चों की सीमा तय कर देती हैं। तो, अन्य अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद के खर्चों की सीमा तय करती हैं ।
इंश्योरेंस करने वाली कंपनी मेडिकल बिलों को कवर करेगी। हालांकि, हेल्थ इंश्योरेंस करने वाली कुछ कंपनी कुल खर्चों की सीमा तय कर देती हैं। तो, अन्य अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद के खर्चों की सीमा तय करती हैं ।
हां, बिल्कुल!
हां, बिल्कुल!
Please try one more time!
अस्वीकरण #1: *ग्राहक बीमा लेते समय विकल्प चुन सकता है। प्रीमियम राशि तदनुसार भिन्न हो सकती है। बीमाधारक को प्रस्ताव फॉर्म में पॉलिसी जारी करने से पहले किसी भी पूर्व-मौजूदा स्थिति या चल रहे उपचार का खुलासा करना आवश्यक है।
अस्वीकरण #2: यह जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए जोड़ी गई है और इंटरनेट पर विभिन्न स्रोतों से एकत्र की गई है। डिजिट इंश्योरेंस यहां किसी भी चीज का प्रचार या सिफारिश नहीं कर रहा है। कृपया कोई भी निर्णय लेने से पहले जानकारी की पुष्टि करें।
Last updated: 2024-03-24
CIN: U66010PN2016PLC167410, IRDAI Reg. No. 158.
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