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मानसिक बीमारी एक ऐसा मुद्दा है जिसे बंद दरवाजों के पीछे ढकेल दिया गया है। मेन्टल हेल्थ और इसकी बेहतरी के लिए अक्सर लोग गलत ही सोचते हैं। ऊपर वाले का शुक्रिया कि समय बदल रहा है और लोग इस पर खुलकर बात भी कर रहे हैं। ये बदलाव इंश्योरेंस की दुनिया में भी आया है।
16 अगस्त को, इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलेपमेंट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (आईआरडीएआई) ने इंश्योरेंस कंपनियों से मेन्टल हेल्थ को कवर करने से जुड़ा प्रावधान बनाने के लिए कहा था। ये एक स्वागत योग्य कदम था क्योंकि मेन्टल हेल्थ का दायरा खासतौर पर भारत में बहुत बड़ा हो चुका है। इसलिए मेन्टल हेल्थ से जुड़ा इंश्योरेंस वास्तविक है और आपके हेल्थ इंश्योरेंस से हटाया नहीं जाएगा।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज की ओर से वित्तीय वर्ष 2016 के लिए कराए गए नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे ऑफ़ इंडिया के मुताबिक करीब 15% भारतीय व्यस्कों को मेन्टल हेल्थ से जुड़े एक या इससे ज्यादा मामलों के लिए इलाज की जरूरत है।
मेन्टल हेल्थ से जुड़े इंश्योरेंस में वो सभी खर्चे कवर होते हैं, जो की मानसिक बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराने पर होते हैं। इसमें उपचार, दवाएं, कमरे का किराया और एंबुलेंस का खर्चा वगैरह शामिल है।
मेन्टल हेल्थ से जुड़े इंश्योरेंस की कवरेज उस व्यक्ति के लिए है जिसके परिवार में ऐसा पहले भी हुआ हो, उसे कोई दर्दनाक अनुभव हुए हों, जिसके चलते उस व्यक्ति को ये बीमारी होने की संभावना हो। ये उन लोगों को भी हो सकता है जिन्हें दुर्घटना के बाद की दिक्कतें हों या उन्हें अपने किसी करीबी को खोने का डर हो। अब के तनावपूर्ण रहन-सहन वाली परिस्थितियों के साथ असल में सभी लोग मानसिक बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।
मानसिक बीमारी के रोगी को हेल्थ इंश्योरेंस में खर्चों का क्लेम करने के लिए कम से कम 24 घंटों में अस्पताल में भर्ती हो जाना चाहिए।
इंश्योरेंस करने वाली कुछ ही कंपनियां ओपीडी बेनिफिट के तहत मानसिक बीमारी से जुड़े परामर्श और काउंसलिंग को कवर करती हैं। लेकिन ध्यान से ये जांचने की जरूरत होती है कि आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्लान में ओपीडी और मेन्टल हेल्थ से जुड़े फायदे शामिल हैं या नहीं।
पहले से मौजूद कई दूसरी परिस्थितियों की तरह, मानसिक बीमारी से जुड़े फायदों में भी वेटिंग पीरियड होता है, जिसे इंश्योरेंस करने वाली कंपनी को वहन किया जाना चाहिए। ज्यादातर इंश्योरेंस कंपनियों की ओर से मानसिक बीमारी से जुड़े फायदों के लिए वेटिंग पीरियड 2 साल का दिया जता है। इसलिए अगर आपने आज हेल्थ इंश्योरेंस खरीदा है तो मानसिक बीमारी के चलते हुए खर्चों का क्लेम करने के लिए आपको 2 साल इंतजार करना होगा। इसलिए, सुझाव यही दिया जाता है कि जल्दी शुरू करें और अपनी पहली पॉलिसी से इन फायदों को लें । तो आपका वेटिंग पीरियड तब पूरा होगा, जब आपको इसकी सख्त जरूरत होगी।
कुछ ऐसी जानी मानी बीमारियां हैं जो मानसिक बीमारियों वाली सूची में शामिल हैं
गहरा अवसाद
बाईपोलर डिसऑर्डर
स्किजोफ्रीनिया
एंक्जाइटी डिसऑर्डर
ऑबसेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर
अटेंशन-डेफिसिट/हाइपरएक्टिव डिसऑर्डर
पोस्ट-ट्रोमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर
मूड डिसऑर्डर
साइकॉटिक डिसऑर्डर
मानसिक बीमारी से जुड़े इंश्योरेंस में मरीज को अस्पताल में भर्ती कराने पर होने वाले खर्चे ही कवर होते हैं। इंश्योरेंस करने वाली कुछ कंपनियां ही आउट-पेशेंट केयर जैसे परामर्श के खर्चों को कवर करती हैं। एल्कोहल या ड्रग के चलते हुई मानसिक बीमारी कवर नहीं होगी।
इसके साथ ही अगर मानसिक स्थिति बार-बार खराब होती है तो हो सकता है कि क्लेम स्वीकार ना किया जाए।
मेन्टल हेल्थ से जुड़ा इंश्योरेंस दिखाता है कि पिछले कई सालों से मानसिक बीमारी को किस नजरिए से देखा जाता रहा है। अगर आपको लगता है कि आपके अपने किसी भी तरह की मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं तो ये समय गहराई से समझने का है। ये समय हमारे बात करने का है ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके उनको सही समय पर मदद मिल जाए।
पढ़ें: जानें, कोविड 19 के लिए हेल्थ इंश्योरेंस में क्या कवर होता है
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अस्वीकरण #1: *ग्राहक बीमा लेते समय विकल्प चुन सकता है। प्रीमियम राशि तदनुसार भिन्न हो सकती है। बीमाधारक को प्रस्ताव फॉर्म में पॉलिसी जारी करने से पहले किसी भी पूर्व-मौजूदा स्थिति या चल रहे उपचार का खुलासा करना आवश्यक है।
अस्वीकरण #2: यह जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए जोड़ी गई है और इंटरनेट पर विभिन्न स्रोतों से एकत्र की गई है। डिजिट इंश्योरेंस यहां किसी भी चीज का प्रचार या सिफारिश नहीं कर रहा है। कृपया कोई भी निर्णय लेने से पहले जानकारी की पुष्टि करें।
Last updated: 2024-03-24
CIN: U66010PN2016PLC167410, IRDAI Reg. No. 158.
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